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Tag Archives: ललित शर्मा

प्राचीन धरोहरें भारतीय शिल्पकला का अनुपम उदाहरण

17 सितम्बर भगवान विश्वकर्मा पूजा विशेष आलेख आज 17 सितम्बर भगवान विश्वकर्मा को स्मरण करने का दिन है, शासकीय तौर पर उनकी पूजा के लिए नियत तिथि है। इस दिन संसार के सभी निर्माण के कर्मी भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना करके अपने निर्माण कार्य में कुशलता की कामना करते …

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संतान की कुशलता की कामना का पर्व : कमरछठ

लोकपर्व-खमरछठ (हलषष्ठी) माताओं का संतान के लिए किया जाने वाला, छत्तीसगढ़ राज्य की अनूठी संस्कृति का एक ऐसा पर्व है जिसे हर वर्ग, हर जाति मे बहूत ही सद्भाव से मनाया जाता है तथा संतान के सुखी जीवन की कामना की जाती है। हलषष्ठी को हलछठ, कमरछठ या खमरछठ भी …

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तुलसी धरयो शरीर

श्रावण शुक्ल सप्तमी गोस्वामी तुलसीदास जयंती विशेष आलेख भारतीय संस्कृति में कई ऐसे संतों ने जन्म लिया जिन्होंने न केवल अपने कार्यो से हिन्दूओं को जागृत किया वरन समाज की धारा को ही नया मार्ग दिखाने का कार्य किया। भक्तिकाल ये संत आज भी जनमानस में अपना स्थान बनाये रखते …

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तत्कालीन कहानियों में विभाजन की त्रासदी

वर्तमान पीढ़ी को स्वतंत्रता मायने ही नहीं जानती, क्योकि इनका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ है। इस स्वतंत्रता को प्राप्त करने में पूर्व की पीढ़ी ने कितने कष्ट सहे और क्या-क्या अत्याचार झेले, इसके विषय में वर्तमान पीढ़ी को जानना आवश्यक है तभी स्वतंत्रता का सही मुल्यांकन कर उसकी रक्षा …

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छत्तीसगढ़ अंचल का प्रमुख पर्व रथयात्रा

छत्तीसगढ़ में भगवान जगन्नाथ का प्रभाव सदियों से रहा है, यह प्रभाव इतना है कि छत्तीसगढ़ के प्रयाग एवं त्रिवेणी तीर्थ राजिम की दर्शन यात्रा बिना जगन्नाथ पुरी तीर्थ की यात्रा अधूरी मानी जाती है। मान्यतानुसार जगन्नाथ पुरी की यात्रा के पश्चात राजिम तीर्थ की यात्रा करना आवश्यक समझा जाता …

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नव मातृकाओं में सम्मिलित विनायकी

दक्षिण कोसल पुरातात्विक दृष्टि से समृद्ध है, यहाँ मौर्यकाल से लेकर कलचुरिकाल तक एवं उसके भी बाद के मंदिर एबं पुरातात्विक स्मारक दिखाई देते हैं। मंदिर निर्माण शैली में मुख्य देवता के साथ-साथ अनुशांगिक देवताओं की प्रतिमाओं की भी स्थापना की जाती है। यह वास्तु शैली पंचायतन शैली के मंदिरों …

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लुप्त इतिहास की कड़ियाँ जोड़ने वाला छत्तीसगढ़ का प्राचीन स्थल

डमरु उत्खनन से जुड़ती है इतिहास की विलुप्त कड़ियाँ छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पश्चात राज्य सरकार ने प्रदेश के पुरातात्विक स्थलों के उत्खनन एवं संरक्षण पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया। इसके फ़लस्वरुप सिरपुर, मदकूद्वीप, पचराही, में उत्खनन कार्य हुआ तथा इसके पश्चात तरीघाट, छीता बाड़ी राजिम डमरु, जरवाय, लोरिक नगर …

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महानदी अपवाह तंत्र की व्यापारिक पथ प्रणाली : शोध पत्र

विश्व में प्राचीन सभ्यताओं का उदय नदियों की घाटी पर हुआ है। आरंभ में आदिम मानव के लिए स्वयं को लंबे समय तक सुरक्षित रख पाना बेहद ही चुनौती पूर्ण था। आदिम मानव का निवास जंगलों में नदी-नालों, झरनों एवं झीलों के आस पास रहा करता था। उसके लिए जंगली …

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स्वतंत्रता आंदोलन में छत्तीसगढ़ के जनजातीय समाज का योगदान

भारत में स्वतंत्रता आंदोलन का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि छत्तीसगढ़ अंचल में स्वतंत्रता के लिए  गतिविधियाँ 1857 के पूर्व में ही प्रारंभ हो चुकी थी। अंग्रेजी शासन के विरुद्ध क्रांति की ज्वालाएं शनै-शनै जागृत होती जा रही थी। स्वतंत्रता के अनेक पक्षधर पूर्ण साहस, वीरता, ज्वलन्त उत्साह …

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प्राचीन मूर्तिकला में केश विन्यास एवं अलंकरण

सौंदर्य के प्रति मानव प्राचीन काल से ही सजग रहा है, देह के अलंकरण में उसने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी एवं नख सिख से लेकर गुह्यांग तक अलंकरण करने के लिए नवोन्मेष किए। सौंदर्य वृद्धि के लिए किए गए भिन्न भिन्न अलंकरण हमें तत्कालीन प्रतिमा शिल्प में दिखाई देते …

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