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Tag Archives: ललित शर्मा

महानदी अपवाह तंत्र की व्यापारिक पथ प्रणाली : शोध पत्र

विश्व में प्राचीन सभ्यताओं का उदय नदियों की घाटी पर हुआ है। आरंभ में आदिम मानव के लिए स्वयं को लंबे समय तक सुरक्षित रख पाना बेहद ही चुनौती पूर्ण था। आदिम मानव का निवास जंगलों में नदी-नालों, झरनों एवं झीलों के आस पास रहा करता था। उसके लिए जंगली …

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स्वतंत्रता आंदोलन में छत्तीसगढ़ के जनजातीय समाज का योगदान

भारत में स्वतंत्रता आंदोलन का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि छत्तीसगढ़ अंचल में स्वतंत्रता के लिए  गतिविधियाँ 1857 के पूर्व में ही प्रारंभ हो चुकी थी। अंग्रेजी शासन के विरुद्ध क्रांति की ज्वालाएं शनै-शनै जागृत होती जा रही थी। स्वतंत्रता के अनेक पक्षधर पूर्ण साहस, वीरता, ज्वलन्त उत्साह …

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प्राचीन मूर्तिकला में केश विन्यास एवं अलंकरण

सौंदर्य के प्रति मानव प्राचीन काल से ही सजग रहा है, देह के अलंकरण में उसने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी एवं नख सिख से लेकर गुह्यांग तक अलंकरण करने के लिए नवोन्मेष किए। सौंदर्य वृद्धि के लिए किए गए भिन्न भिन्न अलंकरण हमें तत्कालीन प्रतिमा शिल्प में दिखाई देते …

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आजादी के आंदोलन में छत्तीसगढ़ अंचल की भूमिका

गणतंत्र दिवस विशेष आलेख आजादी के आंदोलन में सक्रीय भागीदारी के साथ भारत को गणतंत्र के रुप में स्थापित करने में छत्तीसगढ़ अंचल की भी महती भूमिका रही है, यहाँ के लोगों के स्वातंत्र्य समर में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाई। भारतीय दृष्टिकोण से 1857 की घटनाओं को देखने पर ज्ञात होता …

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राम वनगमन पथ की रामलीलाओं पर छत्तीसगढ़ का पहला संदर्भ ग्रंथ प्रकाशित

दक्षिण कोसल यानी प्राचीन छत्तीसगढ़ को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का ननिहाल माना जाता है। लोक प्रचलित मान्यता है कि इस अंचल में उनकी माता कौशल्या का मायका रहा है।इस नाते भगवान श्रीराम छत्तीसगढ़ वासियों के भांजे हुए। उनके साथ मामा -भांजा का यह रिश्ता सैकड़ों-हजारों वर्षों से यहाँ के …

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आरोग्य का पर्व आंवला नवमी

प्रकृति के साथ मानव का जुड़ाव जन्मजात है, वह किसी न किसी रुप में प्रकृति के साथ जुड़ा रहना चाहता है। हिन्दू धार्मिक मान्यताएँ प्रकृति के साथ जुड़ी हुई हैं। सनातन धर्म प्रकृति के अनुरुप आचरण करना एवं जीना सिखाता है। प्रकृति के अनुरुप जीवन यापन करने के लिए आयुर्वेद …

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छत्तीसगढ़ में पर्यटन के विविध आयाम

जानिए पर्यटन के चार आधार, सुरक्षा, साधन, आवास आहार। भारतीय गणराज्य का नवनिर्मित प्रदेश छत्तीसगढ़ है तथा इससे पूर्व यह मध्यप्रदेश का भाग था। प्रकृति ने इस भू-भाग को अपने हाथों से दुलार देकर संवारा है। जब हम भमण करते है तो ज्ञात होता है कि प्रकृति की लाडली संतान …

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छत्तीसगढ के तिहार : गरभ पूजा एवं पोला

दुनिया के प्रत्येक भू-भाग की अपनी विशिष्ट पहचान एवं संस्कृति है, जो उसे अन्य से अलग पहचान देती है। इसी तरह छत्तीसगढ की अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान एवं छवि है। प्राचीन सभ्यताओं को अपने आंचल में समेटे इस अंचल में विभिन्न प्रकार के कृषि से जुड़े त्यौहार मनाए जाते हैं। …

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नागों का उद्भव एवं प्राचीन सभ्यताओं पर प्रभाव

नागपंचमी विशेष आलेख प्राचीनकाल में नागों की सत्ता पूरी दुनिया पर थी, जिसके प्रमाण हमें आज भी मिलते हैं। भूगोल की शायद ऐसी कोई संस्कृति या सभ्यता न हो जहाँ नागों का वर्चस्व या प्रभाव न दिखाई देता हो। चाहे भारतीय संस्कृति/सभ्यता हो, चाहे माया सभ्यता हो चाहे मिश्र की …

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छत्तीसगढ़ में चौमासा

जेठ की भीषण तपन के बाद जब बरसात की पहली फ़ुहार पड़ती है तब छत्तीसगढ़ अंचल में किसान अपने खेतों की अकरस (पहली) जुताई प्रारंभ कर देता है। इस पहली वर्षा से खेतों में खर पतवार उग आती है तब वर्षा से नरम हुई जमीन पर किसान हल चलाता है …

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