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Tag Archives: ललित शर्मा

सम्पूर्ण जगत का कर्ता सूर्य : छठ पूजा विशेष

मानव ने धरती पर जन्म लेकर सबसे पहले नभ में चमकते हुए गोले सूर्य को देखा। धीरे-धीरे उसने सूर्य के महत्व समझा और उसका उपासक हो गया। सूर्य ही ब्रह्माण्ड की धुरी है। जिसने अपने आकर्षण में सभी ग्रहों एवं उपग्रहों को बांध रखा है। इसका व्यवहार किसी परिवार के …

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गोधन की आराधना का पर्व गोवर्धन पूजा

त्यौहारों का भारतीय लोकजीवन में अत्यधिक महत्व है, उत्सवधर्मिता जनमानस में कूट कूट कर भरी है। आज गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और …

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मुगल सेना के छक्के छुड़ाने वाली वीरांगना रानी दुर्गावती

5 अक्टुबर रानी दुर्गावती जन्म दिवस विशेष रानी दुर्गावती हमारे देश की वो वीरांगना है, जो अपने राज्य की रक्षा के लिए मुगलों से युद्ध कर वीरगति को प्राप्त हो गई। वे बहुत ही बहादुर और साहसी महिला थीं, जिन्होंने अपने पति की मृत्यु के बाद न केवल उनका राज्य …

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प्राचीन धरोहरें भारतीय शिल्पकला का अनुपम उदाहरण

17 सितम्बर भगवान विश्वकर्मा पूजा विशेष आलेख आज 17 सितम्बर भगवान विश्वकर्मा को स्मरण करने का दिन है, शासकीय तौर पर उनकी पूजा के लिए नियत तिथि है। इस दिन संसार के सभी निर्माण के कर्मी भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना करके अपने निर्माण कार्य में कुशलता की कामना करते …

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संतान की कुशलता की कामना का पर्व : कमरछठ

लोकपर्व-खमरछठ (हलषष्ठी) माताओं का संतान के लिए किया जाने वाला, छत्तीसगढ़ राज्य की अनूठी संस्कृति का एक ऐसा पर्व है जिसे हर वर्ग, हर जाति मे बहूत ही सद्भाव से मनाया जाता है तथा संतान के सुखी जीवन की कामना की जाती है। हलषष्ठी को हलछठ, कमरछठ या खमरछठ भी …

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तुलसी धरयो शरीर

श्रावण शुक्ल सप्तमी गोस्वामी तुलसीदास जयंती विशेष आलेख भारतीय संस्कृति में कई ऐसे संतों ने जन्म लिया जिन्होंने न केवल अपने कार्यो से हिन्दूओं को जागृत किया वरन समाज की धारा को ही नया मार्ग दिखाने का कार्य किया। भक्तिकाल ये संत आज भी जनमानस में अपना स्थान बनाये रखते …

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तत्कालीन कहानियों में विभाजन की त्रासदी

वर्तमान पीढ़ी को स्वतंत्रता मायने ही नहीं जानती, क्योकि इनका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ है। इस स्वतंत्रता को प्राप्त करने में पूर्व की पीढ़ी ने कितने कष्ट सहे और क्या-क्या अत्याचार झेले, इसके विषय में वर्तमान पीढ़ी को जानना आवश्यक है तभी स्वतंत्रता का सही मुल्यांकन कर उसकी रक्षा …

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छत्तीसगढ़ अंचल का प्रमुख पर्व रथयात्रा

छत्तीसगढ़ में भगवान जगन्नाथ का प्रभाव सदियों से रहा है, यह प्रभाव इतना है कि छत्तीसगढ़ के प्रयाग एवं त्रिवेणी तीर्थ राजिम की दर्शन यात्रा बिना जगन्नाथ पुरी तीर्थ की यात्रा अधूरी मानी जाती है। मान्यतानुसार जगन्नाथ पुरी की यात्रा के पश्चात राजिम तीर्थ की यात्रा करना आवश्यक समझा जाता …

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नव मातृकाओं में सम्मिलित विनायकी

दक्षिण कोसल पुरातात्विक दृष्टि से समृद्ध है, यहाँ मौर्यकाल से लेकर कलचुरिकाल तक एवं उसके भी बाद के मंदिर एबं पुरातात्विक स्मारक दिखाई देते हैं। मंदिर निर्माण शैली में मुख्य देवता के साथ-साथ अनुशांगिक देवताओं की प्रतिमाओं की भी स्थापना की जाती है। यह वास्तु शैली पंचायतन शैली के मंदिरों …

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लुप्त इतिहास की कड़ियाँ जोड़ने वाला छत्तीसगढ़ का प्राचीन स्थल

डमरु उत्खनन से जुड़ती है इतिहास की विलुप्त कड़ियाँ छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पश्चात राज्य सरकार ने प्रदेश के पुरातात्विक स्थलों के उत्खनन एवं संरक्षण पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया। इसके फ़लस्वरुप सिरपुर, मदकूद्वीप, पचराही, में उत्खनन कार्य हुआ तथा इसके पश्चात तरीघाट, छीता बाड़ी राजिम डमरु, जरवाय, लोरिक नगर …

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