माघ सुदी त्रयोदशी विश्वकर्मा जयंती पर विशेष आलेख सृजन एवं निर्माण का के देवता भगवान विश्वकर्मा है, इसके साथ ॠग्वेद के मंत्र दृष्टा ॠषि भगवान विश्वकर्मा भी हैं। ऋग्वेद मे विश्वकर्मा सुक्त के नाम से 11 ऋचाऐं लिखी हुई है। जिनके प्रत्येक मन्त्र पर लिखा है ऋषि विश्वकर्मा भौवन देवता …
Read More »प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि का पर्व : मकर संक्रांति
संक्रांति का तात्पर्य संक्रमण से है, सूर्य का एक राशि से अगली राशि में जाना संक्रमण कहलाता है। वैसे तो वर्ष में 12 संक्रांतियाँ होती हैं, परन्तु मकर, मेष, धनु, कर्क आदि चार संक्रांतियाँ देश के विभिन्न भू-भागों पर मनाई जाती हैं। इसमें अधिक महत्व मकर संक्रांति को दिया जाता …
Read More »दक्षिण कोसल के वैष्णव पंथ का प्रमुख नगर शिवरीनारायण
आदिकाल से छत्तीसगढ़ अंचल धार्मिक एवं सांस्कृतिक केन्द्र रहा है। यहाँ अनेक राजवंशों के साथ विविध आयामी संस्कृतियाँ पल्लवित एवं पुष्पित हुई। यह पावन भूमि रामायणकालीन घटनाओं से जुड़ी हुई है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ में शैव, वैष्णव, जैन, बौद्ध एवं शाक्त पंथों का समन्वय रहा है। वैष्णव पंथ …
Read More »दक्षिण कोसल के प्रागैतिहासिक काल के शैलचित्र
प्रागैतिहासिक काल के मानव संस्कृति का अध्ययन एक रोचक विषय है। छत्तीसगढ़ अंचल में प्रागैतिहासिक काल के शैलचित्रों की विस्तृत श्रृंखला ज्ञात है। पुरातत्व की एक विधा चित्रित शैलाश्रयों का अध्ययन है। चित्रित शैलाश्रयों के चित्रों के अध्ययन से विगत युग की मानव संस्कृति, उस काल के पर्यावरण एवं प्रकृति …
Read More »छत्तीसगढ़ का सीतानदी अभयारण्य
सीतानदी अभयारण्य की स्थापना 1974 में हुई थी एवं इसका क्षेत्रफ़ल 553 .36 वर्ग किमी है। यहाँ की विशेषताओं में 1600 मिलीमीटर वार्षिक वर्षा, तापमान न्यूनतम 8.5 से अधिकतम 44.5 डिग्री सेल्सियस पर रहता है। सीतानदी के आधार पर अभयारण्य को सीतानदी नाम दिया गया है। जो कि अभयारण्य में …
Read More »पंजाब की संत परम्परा के प्रथम संत : संत नामदेव
धर्मभुमि भारत में मानव जाति को मार्गदर्शन देने के लिए समय – समय पर संत धरती पर अवतरित होते रहते हैं जो अपने ज्ञान से लोगों का मार्गदर्शन करते हैं तथा उन्हें जीवन की सही राह बताते हैं। ये संत किसी जाति विशेष के न होकर पूरी मानव जाति के …
Read More »जानिए नरक चौदस का महत्व
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी कहा जाता है। नरक चतुर्दशी को ‘छोटी दीपावली’ भी कहते हैं। इसके अतिरिक्त इस चतुर्दशी को ‘नरक चौदस’, ‘रूप चौदस’, ‘रूप चतुर्दशी’, ‘नर्क चतुर्दशी’ या ‘नरका पूजा’ के नाम से भी जाना जाता है। नरक शब्द का अभिप्राय मलिनता से …
Read More »जन्म से मृत्यू तक का साथी बाँस
बाँस से व्यक्ति का प्रथम परिचय सुर के साथ होता है तथा जब सुर की बात हो तो कृष्ण की बांसूरी आँखों के सामने दिखाई देने लगती है। इसकी मधुर धुन मन को मोहित कर लेती है। इस सुरीले पौधे का दैनिक जीवन में अत्यधिक महत्व एवं मानव मन को …
Read More »आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि
वाल्मीकि जयंती महान लेखक और महर्षि वाल्मीकि के जन्मदिवस की स्मृति के रूप में मनाई जाती है । महर्षि वाल्मीकि महान हिंदू महाकाव्य रामायण के लेखक होने के साथ-साथ संस्कृत साहित्य के पहले कवि भी हैं। उन्होंने रामायण नामक अद्भुत काव्य ग्रंथ की रचना की। उनके द्वारा लिखित भगवान राम …
Read More »जाग जाओ तुम – सप्ताह की कविता
लौट आए हैं नगर में भेड़िये एक बार फ़िर से।कत्ल कर रहे मानवता का एक बार फ़िर से॥ लोगों की भीड़ में शिनाख्त कर लो तुम इसकी,जाग गये हैं कातिल शैतान एक बार फ़िर से॥ नोच-नोच कर लहूलूहान कर गये इंसानियत को,हमले लगातार कर रहे हैवान एक बार फ़िर से॥ …
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