Home / Tag Archives: बस्तर (page 8)

Tag Archives: बस्तर

क्या बस्तर की वनवासी संस्कृति में पुनर्जन्म को मान्यता है?

बस्तर के वनवासियों की पहचान उनकी अद्भुत अलौकिक संस्कृति और मान्य परम्परायें हैं। जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तान्तरित होकर यहाँ तक पहुँची है। भारतीय दर्शन की तरह आदिवासी समाज की भी मान्यता है कि पुनर्जन्म होता है। मृत्यु, सत्य और अटल है, जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु होती है। …

Read More »

ऐसा प्राचीन यंत्र जिसका प्रयोग वर्तमान में भी हो रहा है

सभ्यता के विकास के क्रम में मनुष्य ने आवश्यतानुसार जीवन एवं दैनिक कार्यों को सरल एवं सहज बनाने के लिए यंत्रों एवं उपस्करों का निर्माण किया। जैसे-जैसे आवश्यकता हुई एवं समझ विकसित हुई यंत्रों का अविष्कार हुआ। पुराविद कहते हैं कि गाड़ी के पहिये से पहले कुम्हार के चाक के …

Read More »

देखिए हिंगलाज देवी की भादो जात्रा (वीडियो)

छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल की केशकाल घाटी के नीचे बीहड़ वन में गौरगांव से 6 किमी की दूरी पर हिंगलाज माता का स्थान है। यहाँ प्रतिवर्ष भादो जात्रा का आयोजन किया जाता है, जिसमें 56 गांव के सोरी कुल के आदिवासी भाग लेते हैं। देवी हिंगलाज पौराणिक परम्परा से आती …

Read More »

कौन हैं वे लोग जिनका मानव समाज को सभ्य एवं उन्नत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान है?

आदि मानव ने सभ्यता के सफ़र में कई क्रांतिकारी अन्वेन्षण किए, कुछ तो ऐसे हैं जिन्होने जीवन की धारा ही बदल दी। प्रथम अग्नि का अविष्कार था। सोचकर ही देखिए कि अग्नि का अविष्कार कितना क्रांतिकारी बदलाव लेकर आया तत्कालीन समाज में। अग्नि के अविष्कार के बाद मिट्टी में से …

Read More »

शक्तिशाली एवं प्रमुख लोकदेवता राजाराव : बस्तर अंचल

एक गीत याद आता है, अंधेरी रातो मे सुनसान राहों पर, हर ज़ुल्म मिटाने को एक मसीहा निकलता है…… कुछ ऐसी कहानी बस्तर के लोकदेवता राजाराव की है। खडग एवं खेटक घारण कर, घोड़े पर सवार होकर राजाराव गाँव की सरहद पर तैनात होते हैं और सभी तरह की व्याधियों …

Read More »

देवगुड़ी में विराजित भुमिहार देवता एवं मौली माता भुवनेश्वरी

लोक बगैर देव नहीं, देव बगैर लोक नहीं। सनातन संस्कृति में देवी/ देवताओं की स्थापना/आराधना की जाती है, इस संस्कृति की धारा में वैदिक, पौराणिक एवं लोक देवी/देवता होते हैं। इन देवी/देवों में लोक देवता मानव के सबसे करीबी माने जा सकते हैं क्योंकि ये स्वयं भू हैं, इनसे लोक …

Read More »

ऐसा भव्य जलप्रपात जिसके सामने बाहूबली भी लगता है बौना

 प्रकृति ने बस्तर में जी भर कर अपना सौंदर्य लुटाया है, अद्वितीय प्राकृतिक खुबसूरती ने बस्तर को पर्यटकों का लाडला बनाया है। यहाँ की हरी-भरी वादियाँ, गगनचुम्बी चोटियाँ, खूबसूरत झरने किसी भी व्यक्ति का मनमोह लेते हैं। बस्तर में दंतेवाड़ा जिला भी पर्यटन स्थलों के मामले में अग्रणी  है।  दंतेवाड़ा …

Read More »

पौराणिक देवी-देवताओं की वनवासी पहचान : बस्तर

पुरातन काल से बस्तर एक समृद्ध राज्य रहा है, यहाँ नलवंश, गंगवंश, नागवंश एवं काकतीय वंश के शासकों ने राज किया है। इन राजवंशों की अनेक स्मृतियाँ (पुरावशेष) अंचल में बिखरे पड़ी हैं। ग्राम अड़ेंगा में नलयुगीन राजाओं के काल में प्रचलित 32 स्वर्ण मुद्राएं प्राप्त हुई थी। नलवंशी राजाओं …

Read More »

दंतेश्वरी मंदिर की प्राचीन प्रतिमा में सौंदर्य प्रसाधन पेटिका

बस्तर राजवंश की कुलदेवी दंतेश्वरी मंदिर का निर्माण चौदहवीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर में काकतीयों के 2 शिलालेख भी स्थापित हैं। इस मंदिर में एक प्रतिमा है जिसमें दो स्त्रियों को दिखाया गया है। जिसमें एक के हाथ में पेटिका (पर्स) तथा दूसरी स्त्री के हाथ में “बिजणा” …

Read More »

आजादी के बाद राजा के निजी धन से निर्मित राजा तालाब

कहानी वर्तमान कांकेर जिले के हल्बा गाँव के टिकरापारा की है, यह एक छोटा सा गांव हैं, जहाँ के एक तालाब की चर्चा करना उपयुक्त समझता हूँ, बात 1956-57 की है, बस्तर नरेश प्रवीण चंद भंजदेव टिकरापारा पहुंचे, उनके स्वागत में सारा गाँव इकट्ठा हुआ। गाँव की चौपाल में उनके …

Read More »