Home / Tag Archives: छत्तीसगढ़ी संस्कृति

Tag Archives: छत्तीसगढ़ी संस्कृति

परम्परा के संवाहक भ्रमणशील कथा गायक : बसदेवा

भारतीय संस्कृति को समृद्ध करने में भ्रमणशील समुदायों का बड़ा योगदान रहा है। ये समुदाय जिन्हें घुमंन्तु जातियों के नाम से जाना पहचाना जाता है । यायावरी संस्कृति के पोषक ये जातियाँ हमारी परम्पराओं के संवाहक हैं, जो कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक और गुजरात से लेकर असम तक …

Read More »

गौवंश का गुरुकुल : दईहान

छत्तीसगढ़ में गौ-पालन की समृद्ध परंपरा रही है। पहले गांवों में प्राय: हर घर में गाय रखी जाती थी और घर में अनिवार्यतः कोठा(गौशाला)भी हुआ करती थी। अब घर से गौशाला गायब है और गौशाला के स्थान पर गाड़ी रखने का शेड बना मिलता है; जहां गाय की जगह मोटरसाइकिल …

Read More »

छत्तीसगढ़ का हरेली त्यौहार एवं लोक प्रचलित खेलों की परम्परा

लोक संस्कृति का वैभव लोक जीवन के क्रिया-व्यवहार में परिलक्षित होता है। यदि समग्र रूप से समूचे भारतीय लोक जीवन को देखें तो आँचलिकता व स्थानीयता के आधार पर, चाहे व पंजाब हो, या असम हो, कश्मीर हो या केरल, महाराष्ट्र हो या पश्चिम बंगाल, गुजरात हो या राजस्थान, उत्तरप्रदेश …

Read More »

मित्रता की फ़ूलवारी : मितान

मित्र का सभी मनुष्य के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान होता है। किसी व्यक्ति के मित्रों के व्यक्तित्व से ही संबंधित व्यक्ति के व्यक्तित्व का अंदाजा सहज रूप से लगाया जा सकता है। सरल शब्दों में कहा जाये तो दो मित्र एक दूसरे का प्रतिबिंब होते हैं। ये एक ऐसा नाता …

Read More »

गौधन के प्रति कृतज्ञता अर्पण : सोहाई बंधन

प्रकाश का पर्व दीपावली लोगों के मन में उल्लास भर देता है। यह पर्व संपूर्ण भारत में मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने के पीछे अनेकानेक कारण और कहानियां जुड़ी हुई है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार दीपावली के दिन ही भगवान राम का लंका विजय पश्चात अयोध्या आगमन हुआ …

Read More »

चंदैनी गोंदा के अप्रतिम कला साधक: रामचन्द्र देशमुख

छत्तीसगढ़ माटी की अपनी विशिष्ट पहचान है। जहां राग-रागिनियों, लोककला और लोक संस्कृति से यह अंचल महक उठता है और लोक संस्कृति की सुगंध बिखेरने वाली समूचे छत्तीसगढ़ अंचल की अस्मिता का नाम है ‘चंदैनी गोंदा’। चंदैनी गोंदा कला सौंदर्य की मधुर अभिव्यक्ति है। यह आत्मा का वह संगीत है …

Read More »

दक्षिण कोसल के रामायण कालीन ऋषि मुनि एवं उनके आश्रम : वेबीनार रिपोर्ट

दक्षिण कोसल के रामायण कालीन ऋषि मुनि एवं उनके आश्रम विषय पर ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण उत्तर प्रदेश और सेंटर फॉर स्टडी एंड हॉलिस्टिक डेवलपमेंट छत्तीसगढ़ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार श्रृंखला की 9 वीं कड़ी का आयोजन दिनाँक 9/8/ 2020, रविवार, शाम 7:00 से 8:30 के मध्य किया गया। इस वेबीनार …

Read More »

विष्णु के आठवें अवतार : योगेश्वर श्री कृष्ण

भगवान कृष्ण का जन्मदिन, श्री कृष्ण जन्माष्टमी, जुलाई या अगस्त के महीने में पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसे जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें हिंदू लोग श्रीकृष्ण के जन्म को विष्णु के आठवें अवतार के रूप में …

Read More »

लोक आस्था का दर्पण : आठे कन्हैया

लोक की यह खासियत होती है कि उसमें किसी भी प्रकार की कोई कृत्रिमता या दिखावे के लिए कोई स्थान नहीं होता। वह सीधे-सीधे अपनी अभिव्यक्ति को सहज सरल ढ़ंग से शब्दों रंगो व अन्य कला माध्यमों से अभिव्यक्त करता है। तीज-त्यौहारों की परम्परा तो शिष्ट में भी है और …

Read More »

छत्तीसगढ़ी संस्कृति में मितान परम्परा

“जाति और वर्ग भेद समाप्त कर सामाजिक समरसता स्थापित करने वाली परम्परा” जग में ऊंची प्रेम सगाई, दुर्योधन के मेवा त्यागे, साग बिदूर घर खाई, जग में ऊंची प्रेम सगाई। जीवन में प्रेम का महत्व इतना होता है कि वह मनुष्य की जीवन लता को सींचता है और पुष्ट कर …

Read More »