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साहित्य

बहुआयामी जीवन संदर्भों के रचनाकार: नारायण लाल परमार

01 जनवरी, परमार जी के जन्मदिन पर केन्द्रित लेख कवि एक शब्द जरूर है, किन्तु कवि होने का अर्थ हर युग में एक नहीं रहा है। यह केवल कालगत सत्य नहीं है। एक ही समय में भी, विभिन्न परिस्थितियों वाले देशों में कवि होने का अर्थ बदल जाता है। कभी-कभी …

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जन-जागरण तथा सामाजिक क्रांति के अग्रदूत : पंडित सुन्दरलाल शर्मा

छत्तीसगढ़ केवल एक जनजातीय क्षेत्र ही नहीं है। यह एक ऐसा वैचारिक केन्द्र भी रहा है,जहाँ से एक सामाजिक परिवर्तन का सूत्रपात हुआ। शोषित उपेक्षित दलित समाज को मुख्यधारा में जोड़नेे का कार्य जहां से प्रारंभ हुआ, वह छत्तीसगढ़ ही है। इसमें पंडित सुन्दरलाल शर्मा की एक महती भूमिका रही …

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लाला जगदलपुरी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व हरिहर वैष्णव की कलम से

लाला जगदलपुरी बस्तर-साहित्याकाश के वे सूर्य हैं, जिनकी आभा से हिन्दी साहित्याकाश के कई नक्षत्र दीपित हुए और आज भी हो रहे हैं। ऐसे नक्षत्रों में शानी, डॉ. धनञ्जय वर्मा और लक्ष्मीनारायण “पयोधि” के नाम अग्रगण्य हैं। 17 दिसम्बर 1920 को जगदलपुर में जन्मे दण्डकारण्य के इस ऋषि, सन्त और …

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जिनकी रचनाओं ने राष्ट्रीयता और देशप्रेम की भावना जगाई : राष्ट्रकवि पुण्यतिथि

आज राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की पुण्यतिथि है। इनका जन्म 3 अगस्त 1886 को छोटे से कस्बे चिरगांव में हुआ था जो झांसी से 35 किमी की दूरी पर है। राष्ट्रजीवन की चेतना को मंत्र स्वर देने वाले राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त को साहित्य जगत में दद्दा के नाम से जाना जाता …

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दक्षिण कोसल में लघु पत्रिका आंदोलन : एक वो भी ज़माना था !

आधुनिक हिन्दी साहित्य की विकास यात्रा में लघु पत्रिका आंदोलन का भी एक नया पड़ाव आया था। देश के हिन्दी जगत में मुख्य धारा की पत्रिकाओं से इतर यह एक अलग तरह की साहित्यिक धारा थी ।  भारतीय इतिहास में दक्षिण कोसल के नाम से प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ में इस नयी …

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