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संस्कृति

संस्कृति विभाग में लोक संस्कृति, नृत्य, त्यौहार-पर्व, परम्पराएं, शिष्टाचार, सामुदायिक त्यौहार एवं लोक उत्सव को स्थान दिया गया है।

छत्तीसगढ़ का लोक साहित्य एवं वाचिक परम्परा

छत्तीसगढ़ नवोदित राज्य है। किन्तु हाँ की लोक संस्कृति अति प्राचीन है। यहाँ बोली जाने वाली भाषा छत्तीसगढ़ी है, जो अपनी मधुरता और सरलता के लिए जग विदित है। अर्द्ध मागधी अपभ्रंश से विकसीत पूर्वी हिन्दी की एक समृद्ध बोली है छत्तीसगढ़ी, जो अब भाषा के रूप में प्रतिष्ठित हो …

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युवा बैगा वनवासियों का प्रिय दसेरा नृत्य

वनवासी संस्कृति में उत्सव मनाने के लिए नृत्य प्रधान होता है। जब भी कोई उत्सव मनाते हैं वहाँ नृत्य एवं गान आवश्यक हो जाता है। ढोल की थाप के साथ सामुहिक रुप से उठते हुए कदम अद्भुत दृश्य उत्पन्न करते हैं। यह नृत्य युवाओं को प्रिय है क्योंकि इससे ही …

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ऐसी चित्रकारी जहाँ देह बन जाती है कैनवास

भारत विभिन्नताओं का देश है, यहाँ आदिम जातियाँ, आदिम संस्कृति से लेकर आधुनिक संस्कृति भी दिखाई देती है। यहाँ उत्तर से लेकर दक्षिण तक एक ही कालखंड में विभिन्न मौसम मिल जाएंगे तो विभिन्न प्रकार के खान पान के साथ विभिन्न बोली भाषाओं भी सुनने मिलती हैं, इतनी विभिन्नताएं होते …

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बरन-बरन तरु फुले उपवन वन : वसंतोत्सव विशेष

भारतवर्ष मे ऋतु परिवर्तन के साथ त्यौहार मनाने की परंम्परा है। ऋतुओं के विभाजन में बसंत ऋतु का विशेष महत्व है क्योंकि इस ॠतु का सौंदर्य अनुपम एवं छटा निराली होती है। शीत ऋतु की समाप्ति और ग्रीष्म ॠतु की आहट की धमक के बीच का काल वसंत काल होता …

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सखि वसन्त आया

वसंतोन्माद में कोई वासंती गीत गा उठता है तो नगाड़ो की थाप के साथ अनहद बाजे बजने लगते हैं। जिस तरह विजयादशमी का त्यौहार सैनिकों के लिए उत्साह लेकर आता है और वे अपने आयुधों की पूजा करते हैं उसी तरह वसंत पंचमी का यह दिन विद्वानों के लिए अपनी पुस्तकों एवं व्यास पूर्णिमा का दिन होता है।

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चंद्र कलाओं पर आधारित हिन्दू त्यौहार : छेरछेरा पुन्नी विशेष

सूर्य और ग्रह मंडल से मिलकर सौरमण्डल बना है। जिसका मुखिया सूर्य है। सूर्य को ‘सर्वति साक्षी भूतम’ (सब कुछ देखने वाला) कहा गया है। ऐसा कहा जाता है कि सूर्य भगवान हर क्रियाकलाप के साक्षी हैं। भारतीय ज्योतिष में नव ग्रह हैं- सूर्य, चंद्र, बुद्ध, शुक्र, मंगल, गुरु, शनि, …

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जिनके चौबीस गुरु थे : भगवान दत्तात्रेय

भगवान दत्तात्रेय की माता अनुसइया एवं पिता अत्रि थे। दत्तात्रेय को विष्णु का अवतार माना जाता है। दत्तात्रेय के अन्य दो भाई चंद्र देव और ऋषि दुर्वाशा थे। चंद्रमा को ब्रह्मा और ऋषि दुर्वाशा को शिव का रूप ही माना जाता है। जिस दिन दत्तात्रेय का जन्म हुआ आज भी …

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सभ्यता एवं लोक संस्कृति संवाहक चित्रोत्पला गंगा महानदी

नदियाँ हमारी धरती को प्रकृति की सबसे बड़ी सौगात हैं। जरा सोचिए! एक नदी के कितने नाम हो सकते हैं? छत्तीसगढ़ और ओड़िशा की जीवन रेखा 885 किलोमीटर की महानदी के भी कई नाम हैं। इसकी महिमा अपरम्पार है। इसके किनारों पर इसका उद्गम वह नहीं है, जिसे आम तौर …

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बस्तर की जनजातियों में संस्कार

बस्तर सम्भाग में आदिवासियों की विभिन्न प्रकार की प्रजातियाँ निवास करती हैं जिनमें  मुरिया, माड़िया, अबूझमाड़िया, दंडामी माड़िया, परजा, धुरवा इसी तरह गदबा, मुंडा, हल्बा और भतरा आदि प्रमुख जनजातियाँ प्रमुख हैं। इन जनजातियों की बोली-भाषा, रहन-सहन आदि में काफी समानता है। इन्हें केवल अध्ययन की दृष्टि से अलग किया …

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दक्षिण कोसल का पारम्परिक भित्ति चित्र सुलो कुठी

मानव मन की अभिव्यक्ति का एक प्राचीन माध्यम भित्ति चित्र हैं, जो आदि मानव की गुफ़ा कंदराओं से लेकर वर्तमान में गांव की भित्तियों में पाये जाते हैं। इन भित्ति चित्रों में तत्कालीन मानव की दैनिक चर्या एवं सामाजिक अवस्था का चित्रण दिखाई देता है। वर्तमान में भित्ति में देवी-देवताओं …

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