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संस्कृति

संस्कृति विभाग में लोक संस्कृति, नृत्य, त्यौहार-पर्व, परम्पराएं, शिष्टाचार, सामुदायिक त्यौहार एवं लोक उत्सव को स्थान दिया गया है।

संतान की दीर्घायु की कामना का पर्व हलषष्ठी

लोक में संतान की रक्षा के लिए, पति की रक्षा के लिए पर्व मनाने का प्रचलन है। परन्तु कमरछठ पर्व में माताओं द्वारा संतान की दीर्घायु के लिए व्रत (उपवास) किया जाता है। हमारे छत्तीसगढ़ राज्य की अनूठी संस्कृति का यह एक ऐसा पर्व है जिसे हर वर्ग, हर जाति …

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प्रकृति के प्रति प्रेम एवं कृतज्ञता व्यक्त करने का त्यौहार है हरेली

सावन का महीना प्रारंभ होते ही चारों तरफ़ हरियाली छा जाती है। नदी-नाले प्रवाहमान हो जाते हैं तो मेंढकों के टर्राने के लिए डबरा-खोचका भर जाते हैं। जहाँ तक नजर जाए वहाँ तक हरियाली रहती है। आँखों को सुकून मिलता है तो मन-तन भी हरिया जाता है। यही समय होता …

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क्या आप जानते हैं तंत्र-मंत्र से गांव कब क्यों और कैसे बांधा जाता है?

सावन माह लगते ही सवनाही तिहार मनाने का समय आ गया। सावन के पहले रविवार से गाँव-गाँव में सवनाही मनाने का कार्य प्रारंभ हो चुका है। इस दौरान ग्रामवासी गाँव एवं खार (खेत) में स्थिति समस्त देवी-देवताओं की आराधना कर उन्हें प्रसन्न करने का यत्न करते हैं, जिससे गाँव में …

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बरषा काल मेघ नभ छाए, बीर बहूटी परम सुहाए

मानस में भगवान श्री राम, लक्ष्मण जी से कहते हैं – बरषा काल मेघ नभ छाए। गरजत लागत परम सुहाए। ग्रीष्म ॠतु की भयंकर तपन के पश्चात बरसात देवताओं से लेकर मनुष्य एवं चराचर जगत को सुहानी लगती है। वर्षा की पहली फ़ुहार के साथ प्रकृति अंगड़ाई लेती है और …

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बस्तर का गोंचा महापर्व : रथ दूज विशेष

बस्तर अंचल में रथयात्रा उत्सव का श्रीगणेश चालुक्य राजवंश के महाराजा पुरूषोत्तम देव की जगन्नाथपुरी यात्रा के पश्चात् हुआ। लोकमतानुसार ओड़िसा में सर्वप्रथम राजा इन्द्रद्युम्न ने रथयात्रा प्रारंभ की थी, उनकी पत्नी का नाम ‘गुण्डिचा’ था। ओड़िसा में गुण्डिचा कहा जाने वाला यह पर्व कालान्तर में परिवर्तन के साथ बस्तर …

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बस्तर की माड़िया जनजाति का गौर नृत्य एवं गौर

बस्तर की संस्कृति में पशु पक्षियों का बड़ा महत्व है, ये तोता, मैना, मुर्गा इत्यादि पक्षियों को का पालन तो ये करते ही हैं, इसके साथ इनके पारम्परिक नृत्यों में गौर के सींग का प्रयोग महत्वपूर्ण है। गौर के सींग का मुकुट बनाकर इसे नृत्य के अवसर पर पहना जाता …

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जानिए बस्तर के आदिवासी समाज में क्या और क्यों होता है खटला फ़िराना

धर्म भीरू मानव एक ऐसे समाज का निर्माण करता है, जहाँ अच्छे और बुरे कर्म के साथ स्वर्ग-नर्क की अवधारणा है। अच्छे कर्म के लिये अच्छा फल चाहे उसे देर से प्राप्त होता हो। किन्तु बुरे कर्म का बुरा फल उसे तत्काल प्राप्त हो जाता है, यही उसके समाज की …

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जब आपकी होली खत्म होती है तब इनकी शुरु होती है, जानिए कौन हैं ये

बैगा जनजाति भारत के मध्य प्रांतर क्षेत्र की प्रमुख जनजाति है, ये अपने पहनावे, खान-पान, तीज-त्यौहार, आवास-व्यवहार अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। छत्तीसगढ़ अंचल में ये कवर्धा जिले एवं उसके अगल-बगल के जिलों में निवास करते हैं तथा इनका विस्तार छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे हुए मध्यप्रदेश के कुछ जिलों …

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छत्तीसगढ़ की अजब-गजब होली एवं प्राचीन परम्पराएँ

छत्तीसगढ़ अंचल में जब नगाड़े बजने की आवाज फ़ाग गायन के साथ गांव-गांव, शहर-शहर, डगर-डगर से रात के अंधेरे में सन्नाटे को तोड़ती हुई सुनाई दे लगे तो जान लो कि फ़ागुन आ गया। वातावरण में एक विशेष खुश्बू होती है जो मदमस्त कर देती है, महावृक्षों से धरा पर …

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कोण्डागाँव का मावली मेला, जहाँ एकत्रित होते हैं देवी-देवता

नारायणपुर मड़ई के पश्चात कोण्डागांव का प्रसिद्ध मावली मेला कल प्रारंभ हुआ, यह मेला होली के एक सप्ताह पूर्व भरता है। फ़ागुन माह में आयोजित होने वाले इस मेले की विशेषता यह है कि यहाँ कई परगनों के देवी देवता इकट्ठे होते हैं। मेले का अर्थ ही सम्मिलन होता है, …

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