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लोक संस्कृति

बकरकट्टा के बैगा और उनका देवलोक

बस्तर और सरगुजा के बीहड़ वन प्रांतरों से आच्छदित छत्तीसगढ़ का पश्चिमी भाग भी वनों से आच्छादित है, जो मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र प्रदेशों से लगा हुआ है। राजनांदगाँव जिला छत्तीसगढ़ का पश्चिमी भाग है। इसी राजनांदगाँव जिले के छुईखदान विकासखंड में बैगा जनजाति का निवास है। जिला मुख्यालय से लगभग …

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देवार समुदाय की कलाओं का आंगन छत्तीसगढ़

यदि मनुष्य जो संवेदनाओं का पुंज है, मशीन की भांति ही कार्य करता रहे तो उसका जीवन सार्थक हो जाए। अतः समाज ने नाना कलाओं में पारंगत होकर समय-समय पर अन्य समाजों का मनोरंजन करने का काम करने लगे। ऐसी ही कलाओं में से कुछ कलाओं के नाम हैं – …

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कोल जनजाति का देवलोक

भारतीय समाज और संस्कृति इंद्रधनुष की तरह विविध रंगी है। जिसमें जनजाति समुदायों के सांस्कृतिक छवि की पृथक ही पहचान है। उन जनजातियों में ‘कोल‘ प्रमुख है। कोल जनजाति भारत की प्राचीन जनजाति है और देश के विभिन्न भागों में यह निवास करती है। कोल जनजाति के नामकरण को लेकर …

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लोक मंगल का नृत्य करमा

लोकगीत और लोकनृत्यों में छत्तीसगढ़ का उल्लासित परिवेश साकार हो उठता है। जन्म से मृत्यु पर्यंत, पर्व और उत्सवों में, जीवन की विसंगतियों में होता आया लोक नृत्यों आज भी जीवंत है,समूचे जनजीवन में। ऐसा ही एक लोक नृत्य है करमा, जो विविध परिवेश में प्रचलित है। इसे छत्तीसगढ़ के …

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बुचीपुर की महामाया माई

हाफ नदी के सुरम्य तट पर बेमेतरा जिला के नवागढ़ तहसील में बसा छोटा सा गांव बुचीपुर है। यह गांव छत्तीसगढ़ के अन्य गांव के समान ही खेती किसानी वाला गांव है, परंतु इसकी प्रसिद्धि यहां विराजमान माँ महामाया के नाम से दूर-दूर तक है। दूर-दूर से यहां श्रद्धालु आते …

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बारहमासी लोकगीत : छत्तीसगढ़

लोककला मन में उठने वाले भावों को सहज रुप में अभिव्यक्त करने का सशक्त माध्यम है। यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को स्वत: स्थानांतरित हो जाने वाली विधा है। लोक कला हमारी संस्कृति की पहचान होती है, हमारी खुशी को प्रकट करने का माध्यम होती है। लोककला का क्षेत्र …

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रामसाय की सुरमोहनी भरथरी गायिका सुरुज बाई खांडे

“घोड़ा रोवय घोड़ासार म, हाथी रोवय हाथीसार म …मोर रानी ये या, महलों में रोवय …” भरथरी की विधा में इस गीत का राग-संगीत तबले की थाप, बांसुरी के सुर में जीवन की सच्चाई को ब्यक्त करता है। छत्तीसगढ़ को इतिहास को झांक कर देंखें तो यहाँ का इतिहास यहाँ …

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जानिए बस्तर के घोटुल को

इसे बस्तर का दुर्भाग्य ही कहा जाना चाहिये कि इसे जाने-समझे बिना इसकी संस्कृति, विशेषत: इसकी जनजातीय संस्कृति, के विषय में जिसके मन में जो आये कह दिया जाता रहा है। गोंड जनजाति, विशेषत: इस जनजाति की मुरिया शाखा, में प्रचलित रहे आये “घोटुल” संस्था के विषय में मानव विज्ञानी …

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मान दान का पर्व : छेरछेरा तिहार

छेरछेरा त्यौहार छत्तीसगढ़ का लोक पर्व है । अंग्रेज़ी के जनवरी माह में व हिन्दी के पुष पुन्नी त्यौहार छेरछेरा को मनाया जाता है। त्यौहार के पहले घर की साफ़-सफ़ाई की जाती है। छत्तीसगढ़ में धान कटाई, मिसाई के बाद यह त्यौहार को मनाया जाता है। यह त्यौहार छत्तीसगढ़ का …

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भुंजिया जनजाति का चांउर धोनी परब

छत्तीसगढ़ की संस्कृति अद्भुत है। वन्य प्रांतर, नदियों और पहाड़ियों से आच्छादित छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है। मैदानी इलाकों में अनेक परंपराएं देखने को मिलती है। वैसे ही सुदूर वनांचल क्षेत्रों में निवासरत जनजातियों की भी अपनी समृद्ध परंपरा और संस्कृति है। छत्तीसगढ़ में निवासरत कई जनजातियों …

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