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इतिहास

इतिहास विभाग में वैदिक साहित्य में इतिहास, पौराणिक इतिहास, जनजातीय कथाओं में इतिहास, रामायण, महाभारत एवं जैन-बौद्ध ग्रंभों में इतिहास, भारतीय राजवंशो का इतिहास, विदेशी आक्रमणकारियों (मुगल एवं अंग्रेज) का इतिहास, स्वात्रंत्येतर इतिहास, बस्तर भूमकाल विद्रोह, नक्सल इतिहास, घुमक्कड़ परिव्राजक ॠषि मुनि तथा आदिम बसाहटों के इतिहास को स्थान दिया गया है।

मल्लालपत्तन (मल्हार) की स्थापत्य कला

मल्हार छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिले में 21090’ उत्तरी अक्षांस तथा 82020’ पूर्वी देशांतर में स्थित है। मल्हार बिलासपुर से मस्तूरी होते हुये लगभग 32 कि.मी. दूरी पर पक्के सड़क मार्ग पर स्थित हैं कल्चुरि शासक पृथ्वीदेव द्वितीय के कल्चुरि संवत् 915 (1163 ई.) का शिलालेख जो कि मल्हार से …

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हिन्दवी स्वराज के संस्थापक : छत्रपति शिवाजी

भारत के महान योद्धा राजा, रणनीतिकार, कुशल प्रबुद्ध सम्राट के रूप में प्रतिष्ठित वीर सपूत एवं भारतीय गणराज्य के महानायक शिवा जी का जन्म 19 फरवरी को मराठा परिवार में हुआ था। माता जीजा जी बाई धार्मिक स्वभाव की कुशल व्यवहार की वीरांगना नारी थीं। उन्होंने बालक शिवा जी का …

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बस्तर की मुरिया जनजाति का प्राचीन विश्वविद्यालय घोटुल

इसे बस्तर का दुर्भाग्य ही कहा जाना चाहिये कि इसे जाने-समझे बिना इसकी संस्कृति, विशेषत: इसकी वनवासी संस्कृति, के विषय में जिसके मन में जो आये कह दिया जाता रहा है। गोंड जनजाति, विशेषत: इस जनजाति की मुरिया शाखा, में प्रचलित रहे आये “घोटुल” संस्था के विषय में मानव विज्ञानी …

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हमारी सांस्कृतिक धरोहरें एवं परम्पराएं

मनुष्य की पहचान कही जाने वाली मानव संस्कृति और इसमें रची-बसी कृत कला रूपों की प्रेरणा स्रोत एवं मूल आधार विषयक सवाल पर अध्ययन कर हम पाते है कि आनंद उत्सर्जना के हेतु, सृजित समग्र सृष्टि की मूल स्रोत है प्रकृति, जिसका आधार परम्तत्व माना जाता है। शिक्षा-दीक्षा के द्वारा …

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छत्तीसगढ़ का एक ऐसा वन्यग्राम जहाँ गांधी जी की पुण्यतिथि को प्रतिवर्ष भरता है मेला

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनके विराट व्यक्तित्व के आगे विश्व का बड़े से बड़ा व्यक्ति भी बौना दिखाई देता है। यह एक करिश्माई व्यक्तित्व था जिसने पूरी दुनिया को सत्य और अहिंसा के पथ पर चलने का पाठ …

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छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता संग्राम 1857 से पूर्व प्रारंभ हुआ : विशेष आलेख

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में छत्तीसगढ़वासियों की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता। वर्तमान छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता संग्राम 1857 से पूर्व प्रारम्भ हो चुका था, तत्कालीन समय में यह जमींदारी क्षेत्र था तथा कलचुरियों, मराठों एवं अंग्रेजों के अधीन रहा। कभी मराठों से स्वतंत्रता पाने के लिए यहाँ …

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देश भक्तों का राजकुमार पराक्रमी सुभाष चंद्र बोस

23 जनवरी पराक्रम दिवस : यानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिवस केंद्र शासन ने नेताजी के जन्मदिवस को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस एकमात्र नेता हैं जिनके जन्म दिवस को पराक्रम दिवस के रूप में …

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इन पुतरन के सीस पर वार दिए सुत चार : गुरु गोविन्द सिंह जी

गुरु गोविंद सिंह जी के 354 वें प्रकाश पर्व पर विशेष आलेख हिन्दू जाग्रत है तो भारत सुरक्षित है। भारत का धर्म और संस्कृति सुरक्षित है। किन्तु जब भारत की रक्षा करनेवाले ही हताश, निराश और ध्येय विहीन रहेंगे तो भला राष्ट्र कैसे सुरक्षित रह सकता है। इसलिए प्रत्येक भारतवासी …

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गोंड़ शासकों की नगरी धमधागढ़ एवं दशावतार शिल्पांकन

धमधा दुर्ग जिले के अन्तर्गत दुर्ग से बेमेतरा रोड पर मुख्य सड़क पर स्थित है। यहां पर प्राचीन बस्ती में तालाब के किनारे महामाया मंदिर स्थित हैं। मंदिर के उत्तर में प्राचीन प्रस्तरों से निर्मित एक मोटी दीवार है जिसमें कलचुरि कालीन देवी देवताओं की प्रतिमायें जड़ी हैं। इसी मंदिर …

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प्राचीन इतिहास की साक्षी घटियारी

छत्तीसगढ़ की धरती पुरातात्विक धरोहरों की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। यहां पुरातात्विक महत्व के अनेक केन्द्र हैं। जिन पुरातात्विक स्थानों पर पुरातत्ववेत्ताओं का ध्यान अधिक आकृष्ट हुआ, जिनको ज्यादा प्रचार-प्रसार मिला वे स्थान लोगों की नजरों में आये और गौरव के केन्द्र बने। जिन पर लोगों का ध्यान नहीं …

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