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अतिथि संवाद

भारत को बाहरी विचारधाराओं, मजहबों की कोई आवश्यकता नहीं है : डॉ. बी. आर. अम्बेडकर

डॉ. बी. आर. अम्बेडकर पुण्यतिथि 6 दिसम्बर पर विशेष आज कल राजनीतिक फायदे के लिए एक नई थ्योरी गढ़ी जा रही है -“जय भीम-जय मीम”। यानी चुनावी सियासत के लिए भारत के मुसलमानों और दलितों को एक हो जाना चाहिए। झूठी औऱ प्रयोजित आर्य इन्वेजन थ्योरी के खारिज होने के …

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सरगुजा के जनजातीय समाज पर रामायण का प्रभाव : वेबीनार रिपोर्ट

सरगुजा के जनजातीय समाज पर रामायण का प्रभाव विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण उत्तर प्रदेश एवं सेंटर फ़ॉर स्टडी ऑन होलिस्टिक डेवलपमेंट छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वाधान में 12 जुलाई 2020 रविवार को सायं 6:30 से 8:30 बजे तक किया गया। इस वेबीनार का उद्घाटन उद्बोधन अयोध्या …

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हिन्दी ग़ज़ल का संक्षिप्त इतिहास एवं नवछंद विधान “हिंदकी”

हिन्दी ग़ज़लों का इतिहास बहुत पुराना है। जिस तरह आज की उर्दू ग़ज़लों का विकास एक बहर वाली कविता, जिसे अरबी में बैत एवं फ़ारसी में शेर कहते हैं के साथ शुरू हुआ था, ठीक उसी तरह हिन्दी ग़ज़लों का विकास भी दोहेनुमा कविता से शुरू हुआ था। हिन्दी ग़ज़ल …

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भगवा ध्वज को गुरु का दर्जा : गुरु पूर्णिमा विशेष

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भगवा ध्वज को अपना गुरू माना है तथा गुरू पूर्णिमा के अवसर पर देश भर में गुरू दक्षिणाओं के कार्यक्रम होते हैं। प्रश्न यह है कि संघ ने भगवा धवज को ही अपना गुरू क्यों माना है? गुरु दक्षिणा संघ की प्रत्येक शाखा ‘व्यास पूर्णिमा’/ गुरू …

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पद्मश्री विष्णु श्रीधर वाकणकर की मल्हार (छत्तीसगढ़) यात्रा : एक संस्मरण

बात तब की है जब छत्तीसगढ़ अविभाजित मध्यप्रदेश का हिस्सा था। उज्जैन में एक 1987 में शोध संगोष्ठी का आयोजन हुआ था। मेरे पिताजी स्वर्गीय श्री गुलाब सिंह ठाकुर जी और राष्ट्रपति पुरस्कृत शिक्षक स्वर्गीय श्री रघुनंदन प्रसाद पांडेय जी शिविर में भाग लेने और शोधपत्र वाचन करने उज्जैन गए …

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डॉ. भीमराव रामजी आम्बेडकर : जीवन कार्य

(14 अप्रेल, जयन्ती पर विशेष) दलितों के मसीहा, संविधान निर्माता, बाबा साहब आदि अनेकों विशेषणों से सम्बोधित किए जानेवाले डॉ. भीमराव रामजी आम्बेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल, 1891 को हुआ। भीमराव, रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की चौदहवीं संतान थे। वे हिन्दू महार जाति से …

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कब होगा मूल्यांकन अर्थशास्त्री डॉ. आम्बेडकर का?

आर्थिक जगत में डॉ. भीमराव अम्बेडकर के योगदान को हमेशा कमतर आंका गया है। डॉ. अम्बेडकर का कद इतना बड़ा था कि उसका आकलन छोटी बात नहीं है। आमतौर पर जन-जन में उनकी छवि संविधान निर्माता और युगांतरकारी नेता के रूप में ही प्रमुखता से रही है। अर्थ जगत में …

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इशारों की भाषा है ग़ज़ल : पद्मश्री मदन चौहान से एक साक्षात्कार

ग़ज़ल इशारों की भाषा है। सूफ़ी नज़्मों और ग़ज़लों में भी इशारों-इशारों में रूहानी प्रेम के जरिए ईश्वर तक पहुँचने की बात होती है। सूफ़ी एक स्वभाव का नाम है। सूफ़ी रचनाओं का सार भी यही है कि ईश्वरीय प्रेम के लिए धरती पर इंसान और इंसान के बीच परस्पर …

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’तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा, नारा देने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस

(23 जनवरी, जयन्ती पर विशेष) स्वर्गीय श्री कपिल दा कहते थे, “मेरी दृष्टि में स्वामी विवेकानन्द के सन्देश के प्राण स्वर को समझकर कार्यान्वित करनेवाले तीन व्यक्तित्व हुए। उनमें से प्रथम हैं – भगिनी निवेदिता, दूसरे हैं महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाषचंद्र बोस और तीसरे हैं कन्याकुमारी स्थित विवेकानन्द शिला …

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व्यक्ति स्वतंत्रता एवं व्यक्ति विकास के पक्षधर दलितों के मसीहा : डॉ बाबा साहेब आम्बेडकर

स्वतंत्रता पूर्व के कालखंड में महात्मा गांधी एवं डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर का प्रभावशाली व्यक्तित्व राजनीतिक शक्तियों तथा समाज सुधार का प्रतिबिंब था। दोनों ही नेतृत्व उच्च शिक्षित एवं अपनी राजनैतिक सामाजिक प्रतिबद्धता के साथ समाज के दलितो एवं वंचितों के सर्वांगीण विकास एवं उन्नति के लिए जीवनपर्यंत संघर्षरत रहे। …

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