Home / अतिथि संवाद (page 2)

अतिथि संवाद

अमर लोक से हम चले आए

ज्येष्ठ पूर्णिमा, सद्गुरु कबीर साहब प्रगट दिवस पर विशेष कबीरा खड़ा बाजार में, मांगे सबकी खैर। ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर।। ‘सद्गुरु कबीर साहब’ की उक्त साखी को भला आज कौन नहीं जानता! ऐसे अनगिनत सखियां और पद हैं जो जनमानस के हृदयों को भावविभोर कर देती …

Read More »

बस्तर की जनजाति का अभिन्न अंग शृंगार

मनुष्य में सौन्दर्य बोध होना एक स्वभाविक गुण है। वह जब भी किसी शृंगारित सुन्दर एवं कलात्मक चीज को देखता है, तो वह उसकी तरफ आकर्षित होता है और तारीफ किये बिना नहीं रहता। हर समय मनुश्य अपने को दूसरे से सुन्दर और श्रेष्ठ दिखाने का प्रयास करता है। व्यक्ति …

Read More »

कालेपानी में सर्वाधिक प्रताड़ना झेलने वाले क्रान्तिकारी

भारतीय स्वाभिमान और स्वातंत्र्य बोध जागरण के लिए यूँ तो करोड़ों महापुरुषों के जीवन का बलिदान हुआ है किन्तु उनमें कुछ ऐसे हैं जिनके जीवन की प्रत्येक श्वाँस राष्ट्र के लिये समर्पित रही। स्वातंत्र्यवीर सावरकर जी ऐसे ही महान विभूति थे जिनके जीवन का प्रतिक्षण राष्ट्र और स्वत्व बोध कराने …

Read More »

छत्तीसगढ़ की नाट्य परंपरा

अभिनय मनुष्य की सहज प्रवृत्ति है। हर्ष, उल्लास और खुशी से झूमते, नाचते-गाते मनुष्य की सहज अभिव्यक्ति है अभिनय। छत्तीसगढ़ के लोक जीवन की झांकी गांवों के खेतों, खलिहानों, गली, चौराहों और घरों में स्पष्ट देखी जा सकती है। इस ग्रामीण अभिव्यक्ति को ‘लोक नाट्य’ कहा जाता है। छत्तीसगढ़ में …

Read More »

भारत के स्वतंत्रता सेनानियों पर स्वामी विवेकानंद का प्रभाव

भारत के राष्ट्रीय आंदोलन पर स्वामी विवेकानंद के प्रभाव का वर्णन स्वयं स्वतंत्रता के नायकों ने किया है। गांधीजी जब 1901 में पहली बार कांग्रेस अधिवेशन में हिस्सा लेने कलकत्ता पहुंचे तो उन्होंने स्वामी जी से मिलने का प्रयास भी किया था। अपनी आत्मकथा में गांधी लिखते हैं कि उत्साह …

Read More »

बाबा साहेब के व्यक्तित्व पर बचपन में मिले धार्मिक संस्कारों का प्रभाव

यह भारत भूमि की विशेषता है कि उसे समयानुकूल राजनीतिक, बौद्धिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक नेतृत्व प्राप्त होता रहा है। भारत को राजनीतिक रूप से एकसूत्र में बांधने का प्रश्न उठा, तब आचार्य चाणक्य सामने आए। विदेशी दमनकारी शक्तियों के सामने भारत के सामर्थ्य को प्रकट करने के लिए चंद्रगुप्त मौर्य, …

Read More »

भारत के हर कोने में नरसंहार किये थे अंग्रेजों ने

जलियाँवाला बाग नर संहार 13 अप्रैल 1919 : विशेष आलेख आज जलियाँ वाला बाग नरसंहार को एक सौ तेइस वर्ष हो गये। इस दिन जनरल डायर के आदेश पर स्त्री बच्चों सहित निर्दोष नागरिकों पर गोलियाँ चलीं थी, और लगातार दस मिनट तक चलतीं रहीं थीं। इसमें तीन सौ से …

Read More »

रंगून की जेल में बलिदान देने वाला क्रांतिकारी

क्रांतिकारी वीर राम सिंह पठानिया जन्म दिवस विशेष आलेख सामान्यतः लोग जानते हैं कि अंग्रेजों की हड़प नीति 1857 के आसपास शुरु हुई। पर इतिहास गवाह है कि इस हड़प नीति के विरुद्ध अद्भुत साहस के प्रतीक इस 24 वर्षीय नवयुवक ने अपने मुट्ठी भर साथियों के बल पर अंग्रेजी …

Read More »

रामसाय की सुरमोहनी भरथरी गायिका सुरुज बाई खांडे

“घोड़ा रोवय घोड़ासार म, हाथी रोवय हाथीसार म …मोर रानी ये या, महलों में रोवय …” भरथरी की विधा में इस गीत का राग-संगीत तबले की थाप, बांसुरी के सुर में जीवन की सच्चाई को ब्यक्त करता है। छत्तीसगढ़ को इतिहास को झांक कर देंखें तो यहाँ का इतिहास यहाँ …

Read More »

सुभाष चंद्र बोस और जवाहर लाल नेहरू

सुभाष चंद्र बोस जन्म दिवस विशेष आलेख गंगाधर नेहरू का परिवार दिल्ली से उखड़ गया और 1857 में आगरा पहुंचा। 34 वर्ष की आयु में 1861 के वर्ष उनका निधन हो गया। इसके 3 महीने बाद मोतीलाल नेहरू का जन्म हुआ। मोतीलाल जी के बड़े भाई वंशीधर नेहरू आगरा में …

Read More »