17 मार्च 1527 : खानवा के युद्ध में अज्जा झाला का बलिदान पिछले डेढ़ हजार वर्षों दुनियाँ के दो सौ देशों के स्वरूप और संस्कृति बदल गई। लेकिन विध्वंस की आँधी और विभाजन की त्रासदी के बीच भी भारत की संस्कृति अक्षुण्ण है। यह उन बलिदानियों के कारण संभव हो …
Read More »खेलत अवधपुरी में फाग, रघुवर जनक लली
होली हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। भारतीय संस्कृति का अनूठा संगम उनकी त्योहारों और पर्वो में दिखाई देता है। इन पर्वो में न जात होती है न पात, राजा और रंक सभी एक होकर इन त्योहारों को मनाते हैं। सारी कटुता को भूलकर अनुराग भरे माधुर्य से इसे मनाते …
Read More »ब्रज होरी आई रस भरी
होली का त्यौहार हो और ब्रज का ध्यान न आये, ऐसा हो ही नहीं सकता। होली का ब्रज में विशेष महत्व है। इसीलिए होली और ब्रज एक दूसरे का पर्याय बन गये हैं। श्रीकृष्ण होली के नायक हैं और नायिका राधारानी हैं। राधा -कृष्ण की दिव्य होली प्रति वर्ष ब्रज …
Read More »छत्तीसगढ़ के बिखरे साहित्यकारों को समेटने वाले ठाकुर जगमोहन सिंह
ठाकुर जगमोहन सिंह वास्तव में विजयराघवगढ़ के राजकुमार, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के सहपाठी, मित्र और उत्कृष्ट साहित्यकार थे। वे 1880 से 1882 तक धमतरी और 1885 से 1887 तक शिवरीनारायण में तहसीलदार थे। शिवरीनारायण में उन्होंने दर्जन भर पुस्तकें लिखीं और प्रकाशित कराई। श्यामा स्वप्न उनकी गद्य पद्य में लिखी उपन्यास …
Read More »लखनेश्वर दर्शन करि कंचन होत शरीर : शिवरात्रि विशेष
यात्रा संस्मरण खरौद, महानदी के किनारे बिलासपुर से 64 कि. मी., जांजगीर-चांपा जिला मुख्यालय से 55 कि. मी., कोरबा से 105 कि. मी., राजधानी रायपुर से बलौदाबाजार होकर 120 कि. मी. और रायगढ़ से सारंगढ़ होकर 108 कि. मी. और शिवरीनारायण से मात्र 02 कि. मी. की दूरी पर बसा …
Read More »समग्र क्रांति के अग्रदूत : महर्षि दयानंद सरस्वती
स्वामी दयानंद सरस्वती की आज जयंती है। स्वामी दयानंद आर्य समाज के संस्थापक, आधुनिक भारत के महान चिंतक, समाज-सुधारक और देशभक्त थे। स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म 12 फरवरी 1824 को गुजरात के टंकारा में हुआ था। मूल नक्षत्र में जन्म होने के कारण उनका नाम मूलशंकर रखा गया। स्वामी …
Read More »कंकाली मठ एवं नागा साधू : छत्तीसगढ़
भारत में प्राचीन काल से ही साधु-संतों, महात्माओं का विशेष महत्व रहा है। साधु संत समाज के पथ-प्रदर्शक माने जाते रहे हैं, जो अपने ज्ञान और साधना के माध्यम से हमेशा ही समाज का कल्याण करते आए हैं। आज भी हमें किसी कुंभ मेले या तीर्थ स्थलों पर कई साधु …
Read More »गदरपार्टी के संस्थापक : क्रान्तिकारी लाला हरदयाल
4 मार्च 1939 सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी लाला हरदयाल का बलिदान सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी और विचारक लाला हरदयाल की गणना उन विरले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में होती है जिन्होंने केवल भारत ही नहीं अपितु अमेरिका और लंदन में भी अंग्रेजों के अत्याचारों के विरुद्ध जनमत जगाया था। लालाजी को अपने पक्ष में करने …
Read More »सामाजिक समरसता एवं भक्ति की अनुपम प्रतीक देवी शबरी
फाल्गुन कृष्ण पक्ष सप्तमी : शबरी माता जयंती भक्त शिरोमणि शबरी वनवासी भील समाज से थी। फिर भी मातंग ऋषि के गुरु आश्रम की उत्तराधिकारी बनी। रामजी ने उनके जूठे बेर खाये। यह कथा भारतीय समाज की उस आदर्श परंपरा का उदाहरण है कि व्यक्ति को पद, स्थान और सम्मान …
Read More »सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी गोपीनाथ साहा का बलिदान
1 मार्च 1924 : चार्ल्स ट्रेगार्ट को मौत के घाट उतारने का प्रयास पराधीनता के दिनों में कुछ अंग्रेज अधिकारी ऐसे थे जो अपने क्रूरतम मानसिकता के चलते भारतीय स्वाधीनता सेनानियों से अमानवीयता की सीमा भी पार जाते थे। बंगाल में पदस्थ ऐसा ही अधिकारी चार्ल्स ट्रेगार्ट था। जिसे मौत …
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