Home / nohukum123 (page 4)

nohukum123

पीथमपुर धूल पंचमी मेले में शिव बारात

इतिहास इस बात का साक्षी है कि छत्तीसगढ़ की भूमि अनादि काल से ही अपनी परंपरा, समर्पण की भावना, सरलता और कलाओं की विपुलता के कारण सारे देश के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। यहां के लोगों का भोलापन, यहां के शासकों की वचनबद्धता, दानशीलता और प्रकृति के निश्छल …

Read More »

मड़ई में गाली बकने की परम्परा

बस्तर के वनवासी अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों को संजोए हुए होली मनाते हैं, दंतेवाड़ा के माई मंदिर में। छत्तीसगढ़ के बस्तर का दंतेवाड़ा जहां विराजी हैं वनवासियों की आराध्य मां दंतेश्वरी देवी। डंकिनी- शंखिनी नदी संगम के तट पर बसा है दंतेवाड़ा। हर बरस माता के दरबार में होली मनाने आ …

Read More »

क्रांतिकारी पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी का बलिदान

सार्वजनिक जीवन या पत्रकारिता में ऐसे नाम विरले हैं जिनका व्यक्तित्व व्यापक है और जो विभिन्न विचारों में समन्वय बिठा कर राष्ट्र और संस्कृति की सेवा में समर्पित रहे हों। ऐसे ही क्राँतिकारी पत्रकार थे गणेश शंकर विद्यार्थी। उन्हे उनके जीवन में और जीवन के बाद भी सब अपना मानते …

Read More »

छत्तीसगढ़ी फाग का लोकरंग

भारतीय जीवन और संस्कृति में जो सर्वाधिक आभामय और विविध रंगी हैं, वह ‘लोक’ ही है | लोक केवल गाँव में ही नहीं बसता, बल्कि शहरों में भी बसता है | यह वह लोक है जिसे शहरी जीवन और सुविधाओं ने उसे उसकी जड़ से काटने की कोशिश की, पर …

Read More »

लोक वाद्य नगाड़ा और होली

छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति में वाद्य यंत्रों का विशेष महत्व है. इन्ही में से नगाड़ा एक ऐसा वाद्ययंत्र जो आज भी छत्तीसगढ़ के विभिन्न आयोजनों में दिखाई देता है. भले ही इसका चलन कम हुआ है, लेकिन आज भी इसकी जगह अन्य वाद्ययंत्र नहीं ले पाया है. जब इसकी आवाज …

Read More »

भारत की ऋषि और कृषि चेतना का पर्व है होली

समस्त ब्रह्मांड की रीति – नीति का संचालन किसी एक नियत व्यवस्था के अंतर्गत होता है। भारतीय ऋषियों ने इस व्यवस्था को ‘ऋत’ कहा है। ऋत अर्थात् नैसर्गिक नियम। सूर्य, चंद्रमा, तारे, दिन-रात आदि इसी नियम द्वारा संचालित होते हैं, ऋत- वैदिक धर्म में सही प्राकृतिक व्यवस्था और संतुलन के …

Read More »

बसंती चोले के तीन राष्ट्रभक्त दीवाने

(23 मार्च, बलिदान दिवस पर विशेष) ‘एक जीवन और एक ध्येय’ वाले तीन मित्र भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु, इन तीनों की मित्रता क्रांति के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है। बसंती चोला के इन दीवानों की ऐसी मित्रता थी जो जीवन के अंतिम क्षण तक साथ थी और बलिदान के बाद …

Read More »

भारतीय इतिहास की हृदयविदारक घटना : शहीद दिवस

“जो आँखें देशहित जागी, वो हरगिज़ सो नहीं सकती। जिस्म के ख़ाक होने पर भी, शोहरत खो नहीं सकती। भले दौलत की ताक़त से खरीदो, सारी दुनिया को, शहादत की मगर कोई भी क़ीमत हो नहीं सकती।। ” भारत को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त कराने के दो मुखर स्वर …

Read More »

छत्तीसगढ़ी नाचा और गम्मत : हमारी धरोहर

भारत का हृदय प्रांत छत्तीसगढ़ एक उत्सव प्रिय राज्य होने के साथ ही लोककलाओं का कुबेर भी है।इसके अधिकांश हिस्से में ग्रामीण आदिवासी निवास करते हैं।लगभग वर्ष भर यहां विविध पर्वों और उत्सवों का आयोजन होता रहता है। प्राचीन काल से ऐसे उत्सवों पर उल्लास की अभिव्यक्ति छत्तीसगढ़ के कलाकार …

Read More »

आध्यात्म और पर्यटन का संगम गिरौदपुरी का मेला

नवगठित बलौदाबाजार भाटापारा जिलान्तर्गत बलौदाबाजार से 45 कि मी पर जोंक नदी के किनारे गिरौदपुरी स्थित है। गिरौदपुरी जाने के लिए रायपुर से सड़क मार्ग से कटगी से और गिधौरी से बरपाली होकर जाने का रास्ता है। यहाँ सतनाम पंथ के गुरु घासीदास की जन्मस्थल है और जोंक नदी के …

Read More »