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Tag Archives: महासमुंद

सामाजिक समरसता की पावन भूमि खल्लारी

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 75 कि मी, जिला मुख्यालय महासमुंद से 25 कि. मी. रायपुर-पदमपुर राष्ट्रीय राजमार्ग में अवस्थित खल्लारी मध्यकालीन ऐतिहासिक स्थल है। इस ऐतिहासिक स्थल के स्मरण में खल्लारी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र का गठन हुआ है जो बागबाहरा विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत है। इतिहासकार यहां …

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नवागाँव वाली छछान माता

छछान माता नवागांव वाली भी आदि शक्ति मां भवानी जगतजननी जगदम्बा का रूप और नाम है। छछान माता छत्तीसगढ़ प्रान्त के जिला महासमुंद मुख्यालय से तुमगांव स्थित बम्बई कलकत्ता राष्ट्रीय राजमार्ग पर महासमुंद से लगभग 22 किलोमीटर दूरी पर सीधे हाथ की ओर लगभग 300 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित …

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आज़ादी के लिए प्राणों की परवाह न करने वाली वनबाला दयावती : स्वतंत्रता दिवस विशेष

“जिस रोज 144 दफा लगाया गया था, उस रोज तमोरा गांव में सभा थी। वहां पर मैं, मेरी माँ और कुछ अन्य स्त्रियां सभा में गई। हम लोगों को सभा में जाने से किसी ने रोका नहीं। कुरुभाठा, ढोंगा, धौराभाठा, डूमरडीह इत्यादि के लोगों को डोर लगा के रोक रहे …

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शक्ति का उपासना स्थल खल्लारी माता

छत्तीसगढ़ अंचल की शाक्त परम्परा में शक्ति के कई रुप हैं, रजवाड़ों एवं गाँवों में शक्ति की उपासना भिन्न भिन्न रुपों में की जाती है। ऐसी ही एक शक्ति हैं खल्लारी माता। खल्लारी में माता जी की पूजा अर्चना तो प्रतिदिन होती ही है चैत और कुआंर कि नवरात्रि में …

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चम्पई माता एवं कलचुरीकालीन मोंहदीगढ़

इस प्रदेश के छत्तीसगढ़ नामकरण के पीछे कई मत हैं, कुछ विद्वान चेदी शासकों पर चेदिसगढ़ का अपभ्रंश बताते हैं तो कई विद्वानों का मत है कि मध्यकाल में कलचुरीकालीन छत्तीस गढ़ों को लेकर छत्तीसगढ़ का निर्माण हुआ। ये गढ़ कलचुरी शासन काल में प्रशासन की महत्वपूर्ण इकाई थे। कालांतर …

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जंगल सत्याग्रह 1930 की वर्षगांठ : हरेली तिहार

हरेली का त्यौहार छत्तीसगढ़ में प्राचीनकाल से धूमधाम से मनाया जाता है, इस दिन किसान अपने कृषि उपकरणों की पूजा के साथ देवताधामी को सुमरता है और बाल गोपाल गेड़ी चढ़कर उत्सव मनाते हैं। गांवों में इस दिन विभिन्न खेलकूदों का आयोजन किया जाता है। रोटी, पीठा, चीला के स्वाद …

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नल-दमयंती आख्यान : एक अध्ययन

पौराणिक ग्रन्थों, साहित्यों में नल और दमयन्ती के प्रेमकथा व संघर्षगाथा का अद्भुत चित्रण किया गया है। नल निषध देश का प्रतापी राजा था, उसकी ख्याति शौर्य से देवताओं को ईर्ष्या होती थी। वे जन नायक के रूप में प्रस्तुत हुए। उन्ही दिनों विदर्भ देश के राजा भीम की पुत्री …

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दक्षिण कोसल की जोंक नदी घाटी सभ्यता एवं जलमार्गी व्यापार

प्राचीनकाल से मानव ने सभ्यता एवं संस्कृति का विकास नदियों की घाटियों में किया तथा यहीं से उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति होती थी। नदी घाटियों में प्राचीन मानव के बसाहट के प्रमाण मिलते हैं। कालांतर में नदियों के तटवर्ती क्षेत्र आवागमन की दृष्टि से सुविधाजनक एवं व्यापार के केंद्र बने। …

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कलचुरीकालीन छत्तीसगढ़ का एक गढ़ : मोंहदीगढ़

विद्वानों का मत है कि मध्यकाल में कलचुरीकालीन छत्तीसगढ़ों को लेकर छत्तीसगढ़ का नामकरण हुआ। ये गढ़ कलचुरी शासन काल में प्रशासन की महत्वपूर्ण इकाई थे। कालांतर में कलचुरी दो शाखाओं में विभक्त हुए, शिवनाथ नदी के उत्तर में रतनपुर शाखा एवं दक्षिण में रायपुर शाखा का निर्माण हुआ। मोंहदीगढ़ …

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