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ॠषि परम्परा

छत्तीसगढ़ में भव्यता से मनाया जाने वाला पर्व : रथयात्रा

छत्तीसगढ़ में रथयात्रा का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, यह पर्व उड़ीसा एवं छत्तीसगढ़ राज्य की सांझी संस्कृति की एक मिसाल के रुप में व्याप्त है। छत्तीसगढ़ की संस्कृति में रथयात्रा पर्व उतना ही महत्व रखता है, जितना उड़ीसा की संस्कृति में। यहाँ प्राचीन काल से यह पर्व उल्लासपूर्वक …

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वनवासी करते हैं दादर गायन : गंगा दशहरा

सरगुजा अंचल में गंगा दशहरा का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि अंचल में सनातनी त्यौहार नागपंचमी से प्रारंभ होकर गंगा दशहरा तक मनाये जाते हैं। इस तरह गंगा दशहरा को वर्ष का अंतिम त्यौहार माना जाता है। इस त्यौहार को समाज की सभी जातियाँ एवं जनजातियाँ …

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विश्व कल्याणकारी सनातन धर्म प्रवर्तक आदि शंकराचार्य

आठ वर्ष की आयु में दक्षिण से निकले और नर्मदा तट के ओमकारेश्वर में गुरु गोविंदपाद के आश्रम पर जा पहुंचे। जहां समाधिस्थ गुरु ने पूछा, “बालक! तुम कौन हो”? बालक शंकर ने उत्तर दिया,” स्वामी! मैं ना तो मैं पृथ्वी हूं, ना जल हूं ना अग्नि, ना वायु, ना …

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लोक मानस में रचा बसा पर्व : अक्षय तृतीया

हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया का महत्व बहुत ही अधिक है। पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु के छठवें अवतार के रूप में भगवान परशुराम जी बैशाख शुक्ल तृतीया को अवतरित हुए, हिंदु धर्म के मुताबिक प्रथम पर्व है, इसे अक्षय तृतीया अर्थात ऐसा तिथि जो समृद्धि, आशा, आनन्द सफलता जो …

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जहाँ प्रतिदिन भालू उपस्थिति देते हैं : मुंगई माता

हमारे गाँव के बड़े बुजुर्गों ने जब से होश संभाला तब उन्होंने देखा कि उनके पूर्वज ग्राम की पहाड़ी पर पूजन सामग्री लेकर आदि शक्ति मां जगदम्बा भवानी की नित्य पूजा अर्चना करते रहते हैं और अपने ग्राम्य जीवन की सुख-शांति, खुशहाली की कामना करते हैं। आज भी इसी रीति …

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पंडो जनजाति का लाटा त्यौहार

सरगुजा अंचल में निवासरत पंडो जनजाति का लाटा त्यौहार चैत्र माह में मनाया जाता है। लोक त्यौहारों में लाटा त्योहार मनाने प्रथा प्राचीन से रही है। पंडो वनवासी समुदाय के लोग इस त्यौहार को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। दरअसल यह त्योहार चैत्र शुक्ल पक्ष के नवरात्रि के समय …

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लोकदेवी पतई माता

भारत में प्रकृति रुपी देवी देवताओं पूजा सनातन काल होती आ रही है क्योंकि प्रकृति के साथ ही जीवन की कल्पना की जा सकती है, प्रकृति से विमुख होकर नहीं। भारत देश का राज्य प्राचीन दक्षिण कोसल वर्तमान छत्तीसगढ़ और भी अधिक प्रकृति के सानिध्य में बसा है। प्राचीन ग्रंथों …

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नवागाँव वाली छछान माता

छछान माता नवागांव वाली भी आदि शक्ति मां भवानी जगतजननी जगदम्बा का रूप और नाम है। छछान माता छत्तीसगढ़ प्रान्त के जिला महासमुंद मुख्यालय से तुमगांव स्थित बम्बई कलकत्ता राष्ट्रीय राजमार्ग पर महासमुंद से लगभग 22 किलोमीटर दूरी पर सीधे हाथ की ओर लगभग 300 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित …

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शक्ति तीर्थ डोंगरगढ़ की बमलाई माता

राजनांदगांव से 36 कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित डोंगरगढ नगरी धार्मिक विश्वास एवं श्रध्दा का प्रतीक है। डोंगरगढ की पहाड़ी पर स्थित शक्तिरुपा माँ बम्लेश्वरी  देवी का विख्यात मंदिर सभी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां मां बम्लेश्वरी देवी के दो विख्यात मंदिर है। डोंगरगढ की पहाड़ी पर 1600 …

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महानदी तट पर स्थित चंद्रहासिनी देवी

भारत के सम्बन्ध में विद्वानों का मानना है कि सिंधु घाटी की सभ्यता के नागरिक जिन देवताओं की पूजा-अर्चना करते थे वे आगामी वैदिक सभ्यता में पशुपति और रुद्र कहलाएं तथा वे जिस मातृका की उपासना करते थे वे वैदिक सभ्यता में देवी का आरम्भिक रुप बनी। भारतीय इतिहास गवाह …

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