सावन का महीना प्रारंभ होते ही चारों तरफ़ हरियाली छा जाती है। नदी-नाले प्रवाहमान हो जाते हैं तो मेंढकों के टर्राने के लिए डबरा-खोचका भर जाते हैं। जहाँ तक नजर जाए वहाँ तक हरियाली रहती है। आँखों को सुकून मिलता है तो मन-तन भी हरिया जाता है। यही समय होता …
Read More »क्या आप जानते हैं तंत्र-मंत्र से गांव कब क्यों और कैसे बांधा जाता है?
सावन माह लगते ही सवनाही तिहार मनाने का समय आ गया। सावन के पहले रविवार से गाँव-गाँव में सवनाही मनाने का कार्य प्रारंभ हो चुका है। इस दौरान ग्रामवासी गाँव एवं खार (खेत) में स्थिति समस्त देवी-देवताओं की आराधना कर उन्हें प्रसन्न करने का यत्न करते हैं, जिससे गाँव में …
Read More »बस्तर का गोंचा महापर्व : रथ दूज विशेष
बस्तर अंचल में रथयात्रा उत्सव का श्रीगणेश चालुक्य राजवंश के महाराजा पुरूषोत्तम देव की जगन्नाथपुरी यात्रा के पश्चात् हुआ। लोकमतानुसार ओड़िसा में सर्वप्रथम राजा इन्द्रद्युम्न ने रथयात्रा प्रारंभ की थी, उनकी पत्नी का नाम ‘गुण्डिचा’ था। ओड़िसा में गुण्डिचा कहा जाने वाला यह पर्व कालान्तर में परिवर्तन के साथ बस्तर …
Read More »प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण का पर्व वट सावित्री पूर्णिमा
आदि मानव सभ्यता के विकास के क्रम में ही प्रकृति का महत्व जान गया था, जिसमें नदी, पहाड़, वृक्ष, वन, वायु, अग्नि आकाशादि तत्वों की उसने पहचान कर ली थी और इनका प्रताप भी देख चुका था। इनको उसने देवता माना एवं इनकी तृप्ति का वैज्ञानिक साधन यज्ञ के रुप …
Read More »अक्ति तिहार : प्राचीन परम्पराएं, मान्यताएं एवं ठाकुर देव पूजा
बैगा आदिवासियों द्वारा अक्ति पूजा : फ़ोटो गोपी सोनी अक्षय का अर्थ है, कभी न मिटने वाला, कभी न खत्म होने वाला। इसलिए इस दिन जो भी कार्य किया जाता है वह फ़लदाई होता है। इस दिन को इतना पवित्र माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन कोई भी …
Read More »जब आपकी होली खत्म होती है तब इनकी शुरु होती है, जानिए कौन हैं ये
बैगा जनजाति भारत के मध्य प्रांतर क्षेत्र की प्रमुख जनजाति है, ये अपने पहनावे, खान-पान, तीज-त्यौहार, आवास-व्यवहार अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। छत्तीसगढ़ अंचल में ये कवर्धा जिले एवं उसके अगल-बगल के जिलों में निवास करते हैं तथा इनका विस्तार छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे हुए मध्यप्रदेश के कुछ जिलों …
Read More »ऐसा स्थान जहाँ पितर देवता भी आम के स्वाद से वंचित नहीं रहते
आम के साथ बचपन के दिन भी जुड़े हैं, जब स्कूल से भागकर टिकोरों के चक्कर में मीलों दूर तक की धरती नाप आते थे। ऐसे ही हमारे देश का राष्ट्रीय फ़ल आम को नहीं बनाया गया है। इसमें गुण भरे पड़े हैं, पर आयुर्वेद की दृष्टि से अवगुण भी …
Read More »छत्तीसगढ़ की अजब-गजब होली एवं प्राचीन परम्पराएँ
छत्तीसगढ़ अंचल में जब नगाड़े बजने की आवाज फ़ाग गायन के साथ गांव-गांव, शहर-शहर, डगर-डगर से रात के अंधेरे में सन्नाटे को तोड़ती हुई सुनाई दे लगे तो जान लो कि फ़ागुन आ गया। वातावरण में एक विशेष खुश्बू होती है जो मदमस्त कर देती है, महावृक्षों से धरा पर …
Read More »ऐसे मनाया जाता है सरगुजा में लोकपर्व छेरता (छेरछेरा)
सरगुजा अंचल में कई लोकपर्व मनाएं जाते हैं, इन लोक पर्वों में “छेरता” का अपना ही महत्व है। इसे मैदानी छत्तीसगढ़ में “छेरछेरा” भी कहा जाता है। इस लोकपर्व को देशी पूस माह की शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस त्यौहार को समाज के सभी वर्ग परम्परागत रुप से …
Read More »भक्त शिरोमणी माता राजिम जयंती पर विशेष
छत्तीसगढ़ का प्रयाग राजिम एक पवित्र सांस्कृतिक एवं एतिहासिक नगरी है जो अपने आप में गौरवशाली पुरातन इतिहास व परम्पराओं को आत्मसात किये हुये है । इसे भगवान विष्णु की नगरी भी कहा जाता है । विशेषकर माघ पूर्णिमा से शिवरात्रि तक सांस्कृतिक एकता के पवित्र बंधन में बंधे हुए …
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