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तीज त्यौहार

सखि वसन्त आया

वसंतोन्माद में कोई वासंती गीत गा उठता है तो नगाड़ो की थाप के साथ अनहद बाजे बजने लगते हैं। जिस तरह विजयादशमी का त्यौहार सैनिकों के लिए उत्साह लेकर आता है और वे अपने आयुधों की पूजा करते हैं उसी तरह वसंत पंचमी का यह दिन विद्वानों के लिए अपनी पुस्तकों एवं व्यास पूर्णिमा का दिन होता है।

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जानिए गुप्त नवरात्रि क्या है और क्यों मनाई जाती है।

शक्ति की उपासना प्राचीन काल से ही होते रही है। इसके प्रमाण हमें दक्षिण कोसल में मिलते है, यहाँ शाक्त सम्प्रदाय का भी खासा प्रभाव रहा है। सिरपुर से उत्खनन में प्राप्त चामुंडा की प्रतिमा इसका प्रमाण है। दक्षिण कोसल के अन्य स्थानों पर देवी पूजा के प्रमाण प्राचीन काल …

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चंद्र कलाओं पर आधारित हिन्दू त्यौहार : छेरछेरा पुन्नी विशेष

सूर्य और ग्रह मंडल से मिलकर सौरमण्डल बना है। जिसका मुखिया सूर्य है। सूर्य को ‘सर्वति साक्षी भूतम’ (सब कुछ देखने वाला) कहा गया है। ऐसा कहा जाता है कि सूर्य भगवान हर क्रियाकलाप के साक्षी हैं। भारतीय ज्योतिष में नव ग्रह हैं- सूर्य, चंद्र, बुद्ध, शुक्र, मंगल, गुरु, शनि, …

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गज लक्ष्मी एवं लक्ष्मी पूजन की परम्परा

‘महालक्ष्‍मी नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि।हरि प्रिये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं दयानिधे।।’ प्राचीन काल से श्री लक्ष्मी का संबंध धन-एश्वर्य, श्री कीर्ति से माना जाता है। पौराणिक शास्त्रों में लक्ष्मी के अष्ट रुप माने गए हैं, जो आदि लक्ष्मी या महालक्ष्मी, धन लक्ष्मी, धन्य लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, सनातना लक्ष्मी, विजया लक्ष्मी या जाया लक्ष्मी …

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बीरनपाल की झारगयाइन देवी जातरा : बस्तर

बस्तर का आदिवासी समुदाय देवी देवताओं की मान्यतानुसार कार्य करता है, वर्ष में इन देवी देवताओं की आराधना करने के लिए जातरा पर्व का आयोजन विभिन्न परगनों में होता है। एक परगना में परगना में चालिस पचास गांवों का समूह होता है, जो अपने आराध्य देवी-देवता को प्रशन्न करने के …

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शरद पूर्णिमा : लोक मान्यता एवं वैज्ञानिक पक्ष

तीज त्यौहारों एवं उत्सवों के युक्त भारतीय संस्कृति में प्रकृति को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। जिसमें हम सूर्य, चन्द्रमा एवं ग्रहों से लेकर वृक्ष-पौधों एवं जीव जंतुओं तक का मान करते हैं। इसी मान देने के दिन को हम त्यौहार या पर्व के रुप में मनाते है। लोक का …

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बारसूर का भुला दिया गया वैभव : पेदाम्मागुड़ी

दक्षिण बस्तर (दंतेवाड़ा जिला) के बारसूर को बिखरी हुई विरासतों का नगर कहना ही उचित होगा। एक दौर में एक सौ सैंतालिस तालाब और इतने ही मंदिरों वाला नगर बारसूर आज बस्तर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। कोई इस नगरी को दैत्य वाणासुर की नगरी कहता है …

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बस्तर का नवाखाई त्यौहार एवं परम्परा

बस्तर अंचल के खेतीहर किसान उदार प्रकृति के प्रति सदैव कृतज्ञ रही है। उनकी संस्कृति में प्रकृति से उपजे उपादानों के लिए, नयी फसल के आने पर उसे ग्रहण करने से पूर्व समारोह पूर्वक कृतज्ञता अर्पण करता है। वैसे तो बस्तर अंचल में बारहों मास प्रकृति से प्राप्त किसी न …

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बस्तर का तीजा व्रत एवं तीजा जगार

छत्तीसगढ़ अंचल के अन्य त्यौहारों में तीजा व्रत भी प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार भासो मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को प्रदेश के सरगुजा क्षेत्र से लेकर बस्तर तक मनाया जाता है। पोला तिहार से इस पर्व की तैयारी प्रारंभ हो जाती है। विवाहित बेटियाँ-बहने अपने भाई के आने …

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संतान की दीर्घायु की कामना का पर्व हलषष्ठी

लोक में संतान की रक्षा के लिए, पति की रक्षा के लिए पर्व मनाने का प्रचलन है। परन्तु कमरछठ पर्व में माताओं द्वारा संतान की दीर्घायु के लिए व्रत (उपवास) किया जाता है। हमारे छत्तीसगढ़ राज्य की अनूठी संस्कृति का यह एक ऐसा पर्व है जिसे हर वर्ग, हर जाति …

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