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आधुनिक साहित्य

छत्तीसगढ़ी के प्रथम नाटक के रचयिता : पंडित लोचन प्रसाद पाण्डेय

छत्तीसगढ़ के मनीषी साहित्यकारों में बहुमुखी प्रतिभा के धनी पंडित लोचन प्रसाद पाण्डेय का नाम प्रथम पंक्ति में अमिट अक्षरों में अंकित है। हिंदी और छत्तीसगढ़ी साहित्य को उनके अवदान का उल्लेख किए बिना प्रदेश का साहित्यिक इतिहास अपूर्ण ही माना जाएगा। कवि, कहानीकार, इतिहासकार और पुरातत्वविद तो वह थे …

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छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश के स्मृतिशेष नवगीतकार : विशेष आलेख

नवगीत गीत-परंपरा के विकास का वर्तमान स्वरूप है जिसमें समकालीन परिप्रेक्ष्य का समग्र मूल्यांकन दिखाई देता है । दरअसल नवगीत गीत ही है , वह गीत के अन्तर्गत नवाचार है, कोई अलग विधा नहीं है। अक्सर प्रश्न उठता कि जब गीत की जानकारी के बिना नवगीत नहीं लिखा जा सकता …

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कुंडलियाँ : सप्ताह की कविता

बनकर मृग मारीच वे, बिछा रहे भ्रम जाल।फँसती जातीं बेटियाँ, समझ न पातीं चाल।।समझ न पातीं चाल, चली असुरों ने कैसी।तिलक सुशोभित भाल, क्रियाएँ पंडित जैसी।।प्रश्रय पा घुसपैठ, राष्ट्र को छलने तनकर।बिछा रहे भ्रम जाल, हिरण सोने का बनकर।। (2)कर लें पालन सूत्र हम, सर्व धर्म समभाव।सत्य सनातन धर्म का, …

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छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश के नवगीतकार

एक नवंबर 2020 को पृथक राज्य बनने से पूर्व छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश का अविभाज्य अंग था। प्राकृतिक सौंदर्य एवं अपार खनिज संपदा तथा समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक भंडार होने के बावजूद पहले उसकी कोई अलग पहचान से नहीं थी। दुष्यंत कुमार का यह शेर छ.ग. पर सटीक बैठता था और कई …

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ओ थके पथिक! विश्राम करो, मैं बोधि वृक्ष की छाया हूँ

संत कवि पवन दीवान की जयंती एक जनवरी पर विशेष आलेख -स्वराज करुण छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के लिए  अपनी मर्मस्पर्शी और ओजस्वी कविताओं के माध्यम से  कई दशकों तक  जन -जागरण में लगे पवन दीवान आज अगर हमारे बीच होते तो 76 साल के हो चुके होते । लेकिन तब …

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साहित्य महर्षि लाला जगदलपुरी : जन्म शताब्दी

अपनी लगभग 77 वर्षों की सुदीर्घ साहित्य साधना से छत्तीसगढ़ और बस्तर वनांचल को देश और दुनिया में पहचान दिलाने वाले लाला जगदलपुरी आज अगर हमारे बीच होते तो आज 17 तारीख़ को अपनी जीवन यात्रा के सौ वर्ष पूर्ण कर 101 वें वर्ष में प्रवेश कर चुके होते। लेकिन …

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अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार : छत्तीसगढ़ निर्माण दिवस

पृथक छत्तीसगढ़ राज्य का सपना हमारे पुरखों ने देखा था और उस सुनहरे स्वप्न को हकीकत का अमलीजामा पहनाने के लिए संघर्ष और आंदोलन का एक लंबा दौर चला। पं.सुंदरलाल छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के प्रथम स्वप्नदृष्टा थे तत्पश्चात डॉ खूबचंद बघेल, संत पवन दीवान, ठाकुर रामकृष्ण सिंह और श्री चंदूलाल …

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हिन्दी ग़ज़ल का संक्षिप्त इतिहास एवं नवछंद विधान “हिंदकी”

हिन्दी ग़ज़लों का इतिहास बहुत पुराना है। जिस तरह आज की उर्दू ग़ज़लों का विकास एक बहर वाली कविता, जिसे अरबी में बैत एवं फ़ारसी में शेर कहते हैं के साथ शुरू हुआ था, ठीक उसी तरह हिन्दी ग़ज़लों का विकास भी दोहेनुमा कविता से शुरू हुआ था। हिन्दी ग़ज़ल …

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कबीर की तरह फक्कड़ कवि: भगवती सेन

इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं छत्तीसगढ़ी पाठ्यक्रम में पढ़ाये जाने वाले लोकप्रिय कवि और अपनी सुदीर्घ काव्य यात्रा में कवि भगवती लाल सेन साहित्य के जीवन अनुभवों के आन्दोलनों में न जानें कितनी परतों से होकर गुजरे हैं, कह पाना कठिन है। उनके काव्य में अभिजात्य कुलीन वर्ग अथवा व्यवस्था के विरूद्ध …

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धरती और परिवेश को ऊर्जात्मक पहचान देता संग्रह – रात पहाही अंजोरी आही

छत्तीसगढ़ी गीत संग्रह ‘‘रात पहाही अंजोरी आही’’ कवि डाॅ. पीसीलाल यादव छत्तीसगढ़ी के अत्यंत प्रतिभाशाली कवि हैं। प्रतिभाशाली कवि कहना ही काफी नहीं ‘अत्यंत’ भी लगाना पड़ता है। मैं तो छत्तीसगढ़ी के पूरे ही परिवेश से परिचित हूं, डाॅ. पीसीलाल यादव जी से मेरा परिचय डेढ़ दशक से है-कह सकता …

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