30 नवंबर को पुण्यतिथि के अवसर पर विशेष आलेख छत्तीसगढ़ प्रदेश अनेक अर्थो में अपनी विशेषता रखता है। यहां ऐतिहासिक और पुरातात्विक अवशेषों का बाहुल्य है जो अपनी प्राचीनता और वैभव सम्पन्नता की गाथाओं को मौन रहकर बताता है लेकिन इसके प्रेरणास्रोत और विद्वतजन गुमनामी के अंधेरे में खो गये। …
Read More »छत्तीसगढ़ी काव्य में जन जागरण
साहित्य समाज का पहरुआ होता है। चाहे वह गीत, कविता, कहानी, निबंंध, नाटक या किसी अन्य साहित्यिक विधा में क्यों न हो। वह तो युगबोध का प्रतीक होता है। कवि वर्तमान को गाता है लेकिन वह भविष्य का दृष्टा होता है। साहित्य जो भी कहता है निरपेक्ष भाव से कहता …
Read More »प्रतिभाशाली मुकुट काव्य के मुकुट मनोहर
30 सितंबर पंडित मुकुटधर पांडेय जी की जयंती के अवसर पर विशेष लेख महानदी के तट पर रायगढ़-सारंगढ़ मार्ग के चंद्रपुर से 7 कि.मी. की दूरी पर जांजगीर-चांपा जिलान्तर्गत बालपुर ग्राम स्थित है। यह ग्राम पूर्व चंद्रपुर जमींदारी के अंतर्गत पंडित शालिगराम, पंडित चिंतामणि और पंडित पुरुषोत्तम प्रसाद पांडेय की …
Read More »राजा चक्रधर सिंह और रायगढ़ का गणेशोत्सव
01 जनवरी 1948 को पांच देशी रियासतों क्रमशः रायगढ़, सारंगढ़, धरमजयगढ़, जशपुर और सक्ती रियासतों को मिलाकर रायगढ़ जिला का निर्माण किया गया था। 1956 में राज्य पुनर्गठन के पश्चात् सक्ती और खरसिया तहसील के कुछ भाग बिलासपुर जिले में सम्मिलित कर दिये गये। रायगढ़ नगर के नाम पर जिले …
Read More »महादेवी वर्मा का रचना संसार
हिंदी साहित्य की प्रतिभाशाली कवयित्री एवं छायावाद के चार प्रमुख आधार स्तंभों में से एक तथा आधुनिक युग की मीरा कही जाने वाली महादेवी वर्मा का जन्म उत्तरप्रदेश के फ़ारुखाबाद में एक कायस्थ परिवार में 26 मार्च1907 को हुआ था। सात पीढ़ियों बाद पुत्री जन्म से इनके बाबा बाबू बाँके …
Read More »छत्तीसगढ़ी का व्याकरण रचने वाले काव्योपाध्याय हीरालाल
हमारा देश जब अंग्रेजों की गुलामी में जकड़ा हुआ था और चारों ओर त्राहि त्राहि मची हुई थी तब छत्तीसगढ़ भी इससे अछूता नहीं था। यहां भी गांधी, नेहरू और सुभाषचंद्र जैसे सपूत हुए जिन्होंने यहां जन जागृति फैलायी। इनमें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और साहित्यकार थे जिन्होंने अपनी काव्यधारा प्रवाहित …
Read More »अमर शहीदों का चारण राष्ट्र कवि
2 सितंबर 2000 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और राष्ट्रकवि श्रीकृष्ण सरल का निर्वाण दिवस श्रीकृष्ण सरल की कविता ग्यारहवीं की हिन्दी पाठ्य पुस्तक में थी, हम उसे पढ़ते थे। 1983 में एक दिन श्रीकृष्ण सरल जी स्वयं मेरे स्कूल में पधारे। क्लास में आकर उन्होंने “अमर शहीदों का चारण” नामक कविता …
Read More »अमृत काल में स्वामी विवेकानंद की प्रासंगिकता – पुस्तक चर्चा
अपने शीर्षक “अमृत काल में स्वामी विवेकानंद की प्रासंगिकता” के अनुसार यह पुस्तक स्वामी विवेकानंद के कार्य और विचारों पर आधारित है, जो आधुनिक भारत के लिए अमृत कल में मार्गदर्शन का कार्य करेगी। इस पुस्तक के माध्यम से जहाँ एक ओर अपने पाठकों को “स्वामी विवेकानंद के जागृत भारत …
Read More »अंगारों के हाथ न सौंपो फूलों के संसार को : स्व: हरि ठाकुर
16 अगस्त 1927 हरि ठाकुर जयंती विशेष आलेख हरि ठाकुर जी हिन्दी और छत्तीसगढ़ी के श्रेष्ठ कवि तो वह थे ही, छत्तीसगढ़ के पौराणिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, साहित्यिक और राजनीतिक इतिहास के भी वह गहन अध्येता और लेखक थे। राज्य निर्माण आंदोलन के लिए सर्वदलीय मंच के संयोजक के रूप में …
Read More »तत्कालीन कहानियों में विभाजन की त्रासदी
वर्तमान पीढ़ी को स्वतंत्रता मायने ही नहीं जानती, क्योकि इनका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ है। इस स्वतंत्रता को प्राप्त करने में पूर्व की पीढ़ी ने कितने कष्ट सहे और क्या-क्या अत्याचार झेले, इसके विषय में वर्तमान पीढ़ी को जानना आवश्यक है तभी स्वतंत्रता का सही मुल्यांकन कर उसकी रक्षा …
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