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संस्कृति

संस्कृति विभाग में लोक संस्कृति, नृत्य, त्यौहार-पर्व, परम्पराएं, शिष्टाचार, सामुदायिक त्यौहार एवं लोक उत्सव को स्थान दिया गया है।

रामनामी : जिनकी देह पर अंकित हैं श्री राम जी के हस्ताक्षर

प्राचीन छत्तीसगढ़ (दक्षिण कोसल) प्राचीन काल से ही राम नाम से सराबोर रहा है। छत्तीसगढ़ की जीवन दायनी नदी जिसका पुराणों में नाम चित्रोत्पला रहा है, राजिम स्थित इस नदी के संगम को छत्तीसगढ़ का प्रयागराज कहा जाता है। महानदी के किनारे स्थित सिहावा, राजिम, सिरपुर, खरौद, शिवरीनारायण, तुरतुरिया आदि …

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हमारी सांस्कृतिक धरोहरें एवं परम्पराएं

मनुष्य की पहचान कही जाने वाली मानव संस्कृति और इसमें रची-बसी कृत कला रूपों की प्रेरणा स्रोत एवं मूल आधार विषयक सवाल पर अध्ययन कर हम पाते है कि आनंद उत्सर्जना के हेतु, सृजित समग्र सृष्टि की मूल स्रोत है प्रकृति, जिसका आधार परम्तत्व माना जाता है। शिक्षा-दीक्षा के द्वारा …

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बस्तर की वनवासी संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग : साजा वृक्ष

बस्तर में निवासरत विभिन्न जाति एवं जनजाति के लोग प्रकृति आधारित जीवन-यापन करते है। ये लोग आदिकाल से प्रकृति के सान्निध्य में रहते हुये उसके साथ जीने की कला स्वमेव ही सीख लिए हैं। यहाँ के रहवासियों का मुख्य व्यवसाय वनोपज, लघुवनोपज संग्रहण कर उसे बेच कर आय कमाना है। …

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छत्तीसगढ़ का एक ऐसा वन्यग्राम जहाँ गांधी जी की पुण्यतिथि को प्रतिवर्ष भरता है मेला

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनके विराट व्यक्तित्व के आगे विश्व का बड़े से बड़ा व्यक्ति भी बौना दिखाई देता है। यह एक करिश्माई व्यक्तित्व था जिसने पूरी दुनिया को सत्य और अहिंसा के पथ पर चलने का पाठ …

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छेरिक छेरा छेर बरकतीन छेरछेरा : लोक पर्व छेरछेरा पुन्नी

जीवन में दान का बड़ा महत्व है। चाहे विद्या दान हो या अन्न दान, धनराशि दान हो या पशु दान स्वर्ण या रजत दान। चारों युगों में दान की महिमा का गान हुआ है। दान दाता की शक्ति पर यह निर्भर करता है। दान के संबंध में ये उक्तियाँ लोक …

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कल्प वृक्ष सल्फी से जुड़े बस्तर के वनवासी आर्थिक – सामाजिक सरोकार

बस्तर के ग्रामीण परिवेश में सल्फी का अत्यधिक महत्व है। यह वृक्ष जिस घर में होता है, उस घर का कुछ वर्षो में आर्थिक रूप से  काया कल्प हो जाता है। प्रकृति के साथ सन्तुलन बनाते हुये बस्तर का ग्रामीण इसे सहेजने की कला स्वमेव सीख गया है। इसलिये अपने …

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छत्तीसगढ़ी लोक में गणित

गणित से मानव का अत्यन्त निकट संबंध है। वह गणित के बिना एक पग भी चल नहीं सकता। पल-पल में उसे गणित का सहारा लेना पड़ता है। साँसों का चलना, हृदय का धड़कना, नाड़ी की गति, ये सब नियत हैं और इसमें गणित भी है। यदि मानव की शारीरिक क्रियाओं …

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लखनपुर में लाख पोखरा : तालाबों की नगरी

आदि मानव के बसेरे हमको नदी-नालों के किनारे ही प्राप्त होते हैं, जिन्हें नदी घाटी सभ्यता का नाम दिया गया है। नदी नालों के समीप बसेरा होने का एकमात्र कारण जल की उपलब्धता है, किसी भी प्राणी के प्राणों के संचालन के लिए जल अत्यावश्यक तत्व है। सभ्यता के विकास …

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मित्रता की फ़ूलवारी : मितान

मित्र का सभी मनुष्य के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान होता है। किसी व्यक्ति के मित्रों के व्यक्तित्व से ही संबंधित व्यक्ति के व्यक्तित्व का अंदाजा सहज रूप से लगाया जा सकता है। सरल शब्दों में कहा जाये तो दो मित्र एक दूसरे का प्रतिबिंब होते हैं। ये एक ऐसा नाता …

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हरिहर मिलन का पर्व : बैकुंठ चतुर्दशी

सनातन धर्म मे बारह महीनों का अपना अलग अलग महत्त्व है लेकिन समस्त मासों में कार्तिक मास को अत्यधिक पुण्यप्रद माना गया है। इस माह मे स्नान, दान व दीपदान के अलावा समस्त प्रमुख तीज त्योहार होते है। इस कार्तिक मास में बैकुंठ चतुर्दशी का विशेष महत्व है। इस दिन …

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