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Tag Archives: ललित शर्मा

अमुआ के डाली पे बैठी कोयलिया काली : खास आम

आम लोगों का आम, खास लोगों का आम, आम तो आम ही है पर आम खाने वाले लोग खास ही होते हैं। अब समय है वृक्षों पर आम के पकने का। इससे पहले तो कृत्रिम रुप से पकाए आम बाजारों में भरे पड़े है। पर उनमें वो मजा कहाँ जो …

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शिव द्वार का प्रहरी कीर्तिमुख

मंदिरों में एक ऐसा मुख दिखाई देता है, जो वहाँ आने वाले प्रत्येक भक्त के मन में कौतुहल जगाता है, वे उसे देखकर आगे बढ़ जाते हैं और मन में प्रश्न रहता है कि ऐसी भयानक आकृति यहाँ क्यों स्थापित की गई? फ़िर सोचते हैं कि शिवालयों में भयावह आकृति …

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संग्रहालय दिवस पर हुआ ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन

सेंटर फ़ॉर स्टडी ऑन होलिस्टिक डेवलपमेंट, रायपुर नामक संस्था एवं वेबपोर्टल दक्षिण कोसल टुडे के संयुक्त तत्वाधान में अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस 18 मई 2020 सोमवार को सिसको वेबेक्स मीटिंगस् एप के माध्यम ऑनलाईन व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता डॉ प्रवीण कुमार मिश्र, क्षेत्रीय निदेशक भारतीय पुरातत्त्व एवं …

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दुखों से मुक्त होने का नया एवं सरल मार्ग दिखाने वाले भगवान बुद्ध

महात्मा बुद्ध का जन्म लगभग 2500 वर्ष पूर्व (563 वर्ष ई. पू.), हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख पूर्णिमा को (वर्तमान में दक्षिण मध्य  नेपाल) की तराई में स्थित लुम्बिनी नामक वन में हुआ पिता का नाम – राजा शुद्धोधन उनकी माता का नाम – माया। बुद्ध के गर्भ में आते …

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देवऋषि नारद : लोक-कल्याण संचारक और संदेशवाहक

भारतवर्ष का हिमालय क्षेत्र सदैव से ऋषि-मुनियों तथा संतों को आकर्षित करने वाला रहा है। ऋषि अष्टावक्र, देवऋषि नारद, महर्षि व्यास, परसुराम, गुरु गोरखनाथ, मछिंदरनाथ इत्यादि ने हिमालय को अपनी साधना हेतु चुना। अतएव हिन्दू संस्कृति में देवऋषि नारद का शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि वे ब्रह्मा जी के …

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कणकाँ दी मुक गई राखी, ओ जट्टा आई बैसाखी

भारत कृषि प्रधान देश है, यहाँ के तीज त्यौहारों के मूल में कृषि कर्म ही दिखाई देता है। कोई त्यौहार फ़सल बोने की खुशी में मनाया जाता है तो कोई फ़सल काटने की। वर्षा होने की खुशी में तो वर्षाजनित रोगों की रोकथाम के लिए भी लोक पर्व मनाया जाता …

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वासंती नवसस्येष्टि पर्व : होलिकोत्सव

हमारा भारत देश उत्सवों एवं पर्वों का देश है, यहाँ की संस्कृति में बारहों मास उल्लास की व्यवस्था है। ॠतुओं के अनुसार एवं ॠतु परिवर्तन पर त्यौहार मनाए जाते हैं, जो समाज को सांस्कृतिक शिक्षा देते हैं तथा संस्कृति को समृद्ध करते हैं। फ़ाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली मनाई …

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गाँव का रक्षक घुड़सवार देवता : बस्तर अंचल

एक फ़िल्म का गीत याद आता है, अंधेरी रातों में सुनसान राहों पर, हर ज़ुल्म मिटाने को एक मसीहा निकलता है…… कुछ ऐसी कहानी बस्तर के लोकदेवता राजा राव की है। खडग एवं खेटक धारण कर, घोड़े पर सवार होकर राजाराव गाँव की सरहद पर तैनात होते हैं और सभी …

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विलुप्त होती भारत की कलीगर जाति एवं व्यवसाय

वैदिक काल में समाज का मार्गदर्शन करते हुए ॠषियों ने पुरुषार्थ चतुष्टय एवं चतुर्वर्ण की व्यवस्था दी। जिससे मानव को जीवन निर्वहन के लिए दिशा मिल सके। इसके पश्चात आगामी काल में कर्म के आधार पर जातियों का निर्माण प्रारंभ हुआ। नवीन अविष्कार होते और नवीन जातियों का निर्माण होता …

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प्राचीन दक्षिण कोसल के शिल्पकार : विश्वकर्मा जयंती विशेष

विश्वकर्मा जयंती, माघ सुदी त्रयोदशी विशेष आलेख भारत में तीर्थाटन की परम्परा सहस्त्राब्दियों से रही है। परन्तु समय के साथ लोगों की रुचि एवं विचारधारा में परिवर्तन हो रहा है। काम से ऊबने पर मन मस्तिष्क को तरोताजा करने के लिए लोग प्राचीन पुरातात्विक एवं प्राकृतिक स्थलों के सपरिवार दर्शन …

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