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Tag Archives: बिलासपुर

पंडित मालिकराम भोगहा का साहित्यिक अवदान

30 नवंबर को पुण्यतिथि के अवसर पर विशेष आलेख छत्तीसगढ़ प्रदेश अनेक अर्थो में अपनी विशेषता रखता है। यहां ऐतिहासिक और पुरातात्विक अवशेषों का बाहुल्य है जो अपनी प्राचीनता और वैभव सम्पन्नता की गाथाओं को मौन रहकर बताता है लेकिन इसके प्रेरणास्रोत और विद्वतजन गुमनामी के अंधेरे में खो गये। …

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मानवता के पुजारी छत्तीसगढ़ के संत गहिरा गुरु

संत गहिरा का जन्म छत्तीसगढ़ राज्य के रायगढ़ जिले के उड़ीसा से लगे गहिरा गांव में सावन महीने की अमावस के दिन हुआ था, इनका मूल नाम रामेश्वर था , गुरू जी सनातन धर्म, जिसे सच्ची मानवता का धर्म कहा जाता है, के प्रवर्तक थे। गुरूजी ने छत्तीसगढ़ में जहाँ …

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आदि शक्ति माँ सरई श्रृंगारिणी देवी

तीन दिनों से लगातार बारिश की झड़ी के मध्य अचानक कार्यक्रम बना कि कहीं भ्रमण पर जाया जाए। तभी मुझे सरई श्रृंगार का ध्यान आया, बहुत दिनों से वहां जाने का विचार था परंतु अवसर नहीं मिल पा रहा था, आज बारिश की झड़ी ने यह अवसर हमें दे दिया। …

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स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी : छत्तीसगढ़

स्वतंत्रता आंदोलन में छत्तीसगढ़ भी कभी पीछे नहीं रहा है। छत्तीसगढ़ के साथ ही पूरे देश के आंदोलन में इस भूमि के सिपाही सपूत सक्रिय रूप से भाग लेते रहे लेकिन उनका समुचित मूल्यांकन आज तक नहीं हो सका है। 1856-57 में सोनाखान के वीर सपूत नारायण सिंह ने अंग्रेज …

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मल्लालपत्तन (मल्हार) की स्थापत्य कला

मल्हार छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिले में 21090’ उत्तरी अक्षांस तथा 82020’ पूर्वी देशांतर में स्थित है। मल्हार बिलासपुर से मस्तूरी होते हुये लगभग 32 कि.मी. दूरी पर पक्के सड़क मार्ग पर स्थित हैं कल्चुरि शासक पृथ्वीदेव द्वितीय के कल्चुरि संवत् 915 (1163 ई.) का शिलालेख जो कि मल्हार से …

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दक्षिण कोसल की जनजाति संस्कृति एवं धार्मिक विश्वास : वेबीनार रिपोर्ट

दक्षिण कोसल की जनजाति संस्कृति एवं धार्मिक विश्वास विषय पर दिनाँक 2 अगस्त 2020 को सेंटर फॉर स्टडी एंड हॉलिस्टिक डेवलपमेंट छत्तीसगढ़ और ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वाधान में इंटरनेशनल वेबीनार की आठवीं कड़ी संपन्न हुई। इसमें उद्घाटन उद्बोधन श्री विवेक सक्सेना, सचिव सी एस एच …

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गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्व विद्यालय में 5-6 नवम्बर को दो दिवसीय शोध संगोष्ठी

दक्षिण कोसल का इतिहास, संस्कृति, सभ्यता एवं समाज विषयक राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का दो दिवसीय आयोजन 5 एवं 6 नवम्बर 2019 को गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय में सेंटर फ़ॉर स्टडीज ऑन हॉलेस्टिक डेवलपमेंट, रायपुर एवं गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर के संयुक्त तत्वाधान में हो रहा है। इस संगोष्ठी में …

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दूसरी शताब्दी का दुर्लभ युप स्तंभ लेख जिसमें तत्कालीन शासकीय अधिकारियों के नाम एवं पदनाम उल्लेखित हैं

छत्तीसगढ़ में पुरातत्व से संबंधित कुछ ऐसी दुर्लभ चीजे हैं जो अन्य कहीं पर नहीं मिलती, इनमें से एक ग्राम किरारी से प्राप्त सातवाहनकालीन दूसरी शताब्दी का काष्ठस्तंभ लेख है। जो वर्तमान में महंत घासीदास संग्रहालय रायपुर की दीर्घा में प्रदर्शित है। दुर्लभ इसलिए है कि हमें शिलालेख, ताम्रपत्र, सिक्कों …

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पूस पुन्नी भजन मेला : निराकार राम का साधक रामनामी सम्प्रदाय समाज 

रामनामी समाज एक बड़ा सम्प्रदाय है जो छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुख्यतः रायगढ़ ,सारंगढ़ ,बिलाईगढ़ , कसडोल , जांजगीर, बिलासपुर, जैजैपुर, मालखरौदा, चंद्रपुर, पामगढ़, नवागढ़, अकलतरा के सुदूर अंचल से शहर तक निवासरत हैं। रामनामी समाज की आबादी लगभग 5 लाख होगी जो 300 गांव से अधिक गांवों में निवास करते है …

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क्या आपने भगवान विष्णु का युनानी योद्धा रुप देखा है?

प्राचीन देवालय, शिवालय स्थापत्य एवं शिल्पकला की दृष्टि से समृद्ध होते हैं। इनके स्थापत्य में शिल्पशास्त्र के साथ शिल्पविज्ञान का प्रयोग होता था। जिसके प्रमाण हमें दक्षिण कोसल के मंदिरों में दिखाई देते हैं। वर्तमान छत्तीसगढ़ में हमें उत्खनन में कई अद्भुत प्रतिमाएं प्राप्त हुई हैं, जिसमें से मल्हार से …

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