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Tag Archives: छत्तीसगढ़

बाणासुर की नगरी बारसूर

पर्यटन अथवा देशाटन प्रत्येक व्यक्ति को आकर्षित करता है। पर्यटन अथवा देशाटन के बिना जीवन को अधूरा कहा जा सकता है। इसी परिप्रेक्ष्य में अगर छत्तीसगढ़ को देखा जाए तो यहाँ की नैसर्गिक छटा अपने आप में अद्भुत है, उसमें भी बस्तर क्षेत्र की बात ही कुछ और है। जिनको …

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रहस्य और रोमांच से परिपूर्ण ताला की कलाकृतियाँ

देवरानी-जेठानी मंदिर ताला हमारे देश के गिने-चुने पुरातात्वीय धरोहरों में से एक है जो भारतीय कला परंपरा के गौरवशाली स्वर्णिम अध्याय में दुर्लभ और विलक्षण कलाकृतियों के लिए विख्यात है। छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण पुरातत्वीय स्थलों में ताला का नाम विगत शताब्दी के आठवें दशक से जुड़ा है तभी से यह …

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बस्तर की महान क्रांति का नायक गुंडाधुर: भूमकाल विद्रोह

रायबहादुर पंडा बैजनाथ (1903 – 1910 ई.) राज्य में अधीक्षक की हैसियत से नियुक्त हुए थे। पंडा बैजनाथ का प्रशासन निरंकुशता का द्योतक था जबकि उनके कार्य प्रगतिशील प्रतीत होते थे। उदाहरण के लिये शिक्षा के प्रसार के लिये उन्होंने उर्जा झोंक दी किंतु इसके लिये आदिवासियों को विश्वास में …

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प्राचीन दक्षिण कोसल के शिल्पकार : विश्वकर्मा जयंती विशेष

विश्वकर्मा जयंती, माघ सुदी त्रयोदशी विशेष आलेख भारत में तीर्थाटन की परम्परा सहस्त्राब्दियों से रही है। परन्तु समय के साथ लोगों की रुचि एवं विचारधारा में परिवर्तन हो रहा है। काम से ऊबने पर मन मस्तिष्क को तरोताजा करने के लिए लोग प्राचीन पुरातात्विक एवं प्राकृतिक स्थलों के सपरिवार दर्शन …

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युवा बैगा वनवासियों का प्रिय दसेरा नृत्य

वनवासी संस्कृति में उत्सव मनाने के लिए नृत्य प्रधान होता है। जब भी कोई उत्सव मनाते हैं वहाँ नृत्य एवं गान आवश्यक हो जाता है। ढोल की थाप के साथ सामुहिक रुप से उठते हुए कदम अद्भुत दृश्य उत्पन्न करते हैं। यह नृत्य युवाओं को प्रिय है क्योंकि इससे ही …

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बुद्ध प्रतिमाओं की मुद्राएं

भारत में एक दौर ऐसा आया कि भगवान बुद्ध की प्रतिमाएं बहुतायत में निर्मित होने लगी। स्थानक बुद्ध से लेकर ध्यानस्थ बुद्ध की प्रतिमाएं स्थापित होने लगी। ज्ञात हो कि भारतीय शिल्पकला में हिन्दू एवं बौद्ध प्रतिमाओं में प्रमुखता से आसन एवं हस्त मुद्राएं अंकित की जाती है। हमें प्राचीन …

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प्राचीन नगर मल्हार का पुरातत्व

प्राचीन नगर मल्हार छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में अक्षांक्ष 21 90 उत्तर तथा देशांतर 82 20 पूर्व में 32 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। बिलासपुर से रायगढ़ जाने वाली सड़क पर 18 किमी दूर मस्तूरी है। वहां से मल्हार, 14 कि. मी. दूर है। देऊर मंदिर प्राचीन …

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जन-जागरण तथा सामाजिक क्रांति के अग्रदूत : पंडित सुन्दरलाल शर्मा

छत्तीसगढ़ केवल एक जनजातीय क्षेत्र ही नहीं है। यह एक ऐसा वैचारिक केन्द्र भी रहा है,जहाँ से एक सामाजिक परिवर्तन का सूत्रपात हुआ। शोषित उपेक्षित दलित समाज को मुख्यधारा में जोड़नेे का कार्य जहां से प्रारंभ हुआ, वह छत्तीसगढ़ ही है। इसमें पंडित सुन्दरलाल शर्मा की एक महती भूमिका रही …

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लाला जगदलपुरी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व हरिहर वैष्णव की कलम से

लाला जगदलपुरी बस्तर-साहित्याकाश के वे सूर्य हैं, जिनकी आभा से हिन्दी साहित्याकाश के कई नक्षत्र दीपित हुए और आज भी हो रहे हैं। ऐसे नक्षत्रों में शानी, डॉ. धनञ्जय वर्मा और लक्ष्मीनारायण “पयोधि” के नाम अग्रगण्य हैं। 17 दिसम्बर 1920 को जगदलपुर में जन्मे दण्डकारण्य के इस ऋषि, सन्त और …

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सोनाखान के बलिदानी वीरनारायण सिंह : पुण्यतिथि विशेष

स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी भारत में सुलग रही थी और राजे-रजवाड़े अंग्रेजी दमन के कारण अंग्रेजों के खिलाफ़ लामबंद हो रहे थे। उस समय यह स्वतंत्रता आन्दोलन पूरे भारत में फ़ैल रहा था। छत्तीसगढ़ अंचल भी इससे अछूता नहीं था। यहाँ भी 1857 के आन्दोलन में स्वतंत्रता की चाह लिए …

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