Home / Tag Archives: छत्तीसगढ़ (page 15)

Tag Archives: छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में लोक नाट्य की विधाएं

छत्तीसगढ़ का लोकनाट्य मूलः ग्राम्य जन-जीवन और लोक कलाकारों का उत्पाद है। यह गाँवों से निकलकर नगरों और महा नगरों तक पहुँचा और ख्याति प्राप्त करते हुए एक लम्बी यात्रा की। छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के अन्य प्रांतों के भी लोकनाट्य वाचिक परंपरा के ही उद्भव हैं। वाचिक परंपरा से …

Read More »

दुखों से मुक्त होने का नया एवं सरल मार्ग दिखाने वाले भगवान बुद्ध

महात्मा बुद्ध का जन्म लगभग 2500 वर्ष पूर्व (563 वर्ष ई. पू.), हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख पूर्णिमा को (वर्तमान में दक्षिण मध्य  नेपाल) की तराई में स्थित लुम्बिनी नामक वन में हुआ पिता का नाम – राजा शुद्धोधन उनकी माता का नाम – माया। बुद्ध के गर्भ में आते …

Read More »

अद्भुत मेधाशक्ति सम्पन्न पुराविद : पद्मश्री श्री विष्णु श्रीधर वाकणकर

जन्म शताब्दी विशेष लेख आज हम पद्मश्री श्री विष्णु श्रीधर वाकणकर जी जिसे हम हरिभाऊ के नाम से भी जानते हैं, की जन्मशताब्दी मना रहें हैं। इस महामना का जन्म आज ही के दिन ४ मई १९१९ को मध्यप्रदेश के नीमच नामक स्थान पर हुआ था। आपके माता जी श्रीमती …

Read More »

नल-दमयंती आख्यान : एक अध्ययन

पौराणिक ग्रन्थों, साहित्यों में नल और दमयन्ती के प्रेमकथा व संघर्षगाथा का अद्भुत चित्रण किया गया है। नल निषध देश का प्रतापी राजा था, उसकी ख्याति शौर्य से देवताओं को ईर्ष्या होती थी। वे जन नायक के रूप में प्रस्तुत हुए। उन्ही दिनों विदर्भ देश के राजा भीम की पुत्री …

Read More »

दक्षिण कोसल की जोंक नदी घाटी सभ्यता एवं जलमार्गी व्यापार

प्राचीनकाल से मानव ने सभ्यता एवं संस्कृति का विकास नदियों की घाटियों में किया तथा यहीं से उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति होती थी। नदी घाटियों में प्राचीन मानव के बसाहट के प्रमाण मिलते हैं। कालांतर में नदियों के तटवर्ती क्षेत्र आवागमन की दृष्टि से सुविधाजनक एवं व्यापार के केंद्र बने। …

Read More »

कबीर की तरह फक्कड़ कवि: भगवती सेन

इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं छत्तीसगढ़ी पाठ्यक्रम में पढ़ाये जाने वाले लोकप्रिय कवि और अपनी सुदीर्घ काव्य यात्रा में कवि भगवती लाल सेन साहित्य के जीवन अनुभवों के आन्दोलनों में न जानें कितनी परतों से होकर गुजरे हैं, कह पाना कठिन है। उनके काव्य में अभिजात्य कुलीन वर्ग अथवा व्यवस्था के विरूद्ध …

Read More »

पटनागढ़ के चौहान शासकों की देवी : पाटमेश्वरी

ब्राह्मणडीह ग्राम जिला महासमुन्द छ ग की प्राचीन जमींदारी सुअरमार अक्षांश 20°58’31.49 देशांश 82°27’25.46 में जोंक नदी एवम उसकी सहायक कांदाजरी नदी के दोआब व राष्ट्रीय राजमार्ग 243 पर माँ पाटमेश्वरी मन्दिर स्थित है। यहां दो तालाबो का समूह रहा, वर्तमान ब्रह्म ताल (27 एकड़) का निर्माण सम्भवतः कलचुरि काल …

Read More »

सुरही नदी के तीर देऊर भाना के पुरातात्विक अवशेष

गंडई की सुरही नदी सदानीरा है। बड़ी-बड़ी नदियाँ भीषण गर्मी में सूख जाती हैं, परन्तु सुरही नदी में जल प्रवाह बारहों महीने बना रहता है। सुरही नदी अपने उद्गम बंजारी से लेकर संगम कौहागुड़ी (शिवनाथ नदी) तक अनेकों पुरातातविक स्थलों को अपने आँचल में सेमेटी हुई है। गंडई अंचल अपनी …

Read More »

छत्तीसगढ़ का लोक साहित्य एवं वाचिक परम्परा

छत्तीसगढ़ नवोदित राज्य है। किन्तु हाँ की लोक संस्कृति अति प्राचीन है। यहाँ बोली जाने वाली भाषा छत्तीसगढ़ी है, जो अपनी मधुरता और सरलता के लिए जग विदित है। अर्द्ध मागधी अपभ्रंश से विकसीत पूर्वी हिन्दी की एक समृद्ध बोली है छत्तीसगढ़ी, जो अब भाषा के रूप में प्रतिष्ठित हो …

Read More »

गंडई का शिवालय जहाँ पाषाण बोलते हैं

छत्तीसगढ़ प्राचीनकाल से आस्था का केन्द्र बिंदु रहा है। यहां सिरपुर, शिवरीनारायण, राजिम, मल्हार, रतनपुर, पाली,  ताला, भोरमदेव, आरंग, जांजगीर, देवबलौदा, बारसूर, जैसे अनेक पुरातात्विक स्थलों का अपना पृथक-पृथक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पुरातात्विक महत्व है। यहां के मंदिरों में उत्कीर्ण शिल्पांकन तत्कालीन समाज की धार्मिक व सांस्कृतिक स्थितियों के जीवन्त …

Read More »