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मध्यकालीन इतिहास

महामाया माई अम्बिकापुर : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष

अम्बिकापुर की महामाया किस काल की हैं प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है पर यह तो तय है कि महामाया, छत्तीसगढ़ की सर्वाधिक प्राचीन देवियों में से एक हैं। यह क्षेत्र सधन वनों से आच्छादित था। पूरे क्षेत्र में गोंड़, कोरवा, चेरवा आदि जनजातियां निवास करती थीं। जनजातियों में प्रतीकात्मक देवी-देवताओं …

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उद्भट योद्धा एवं सशक्त महिला शासक : रानी दुर्गावती

भारत मे अनेक वीरांगनाएं अवतरित हुई जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। एक प्राकृतिक तथ्य है कि नारी स्वभाव से ही कोमलकांत होने साथ कर्मठ और सहनशील होती है। धैर्य, साहस, आत्मविश्वास से भरी होती हैं इसलिए राष्ट्र निर्माण के कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ऐसी …

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नल-दमयंती आख्यान : एक अध्ययन

पौराणिक ग्रन्थों, साहित्यों में नल और दमयन्ती के प्रेमकथा व संघर्षगाथा का अद्भुत चित्रण किया गया है। नल निषध देश का प्रतापी राजा था, उसकी ख्याति शौर्य से देवताओं को ईर्ष्या होती थी। वे जन नायक के रूप में प्रस्तुत हुए। उन्ही दिनों विदर्भ देश के राजा भीम की पुत्री …

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विलुप्त होती भारत की कलीगर जाति एवं व्यवसाय

वैदिक काल में समाज का मार्गदर्शन करते हुए ॠषियों ने पुरुषार्थ चतुष्टय एवं चतुर्वर्ण की व्यवस्था दी। जिससे मानव को जीवन निर्वहन के लिए दिशा मिल सके। इसके पश्चात आगामी काल में कर्म के आधार पर जातियों का निर्माण प्रारंभ हुआ। नवीन अविष्कार होते और नवीन जातियों का निर्माण होता …

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सोनाखान के बलिदानी वीरनारायण सिंह : पुण्यतिथि विशेष

स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी भारत में सुलग रही थी और राजे-रजवाड़े अंग्रेजी दमन के कारण अंग्रेजों के खिलाफ़ लामबंद हो रहे थे। उस समय यह स्वतंत्रता आन्दोलन पूरे भारत में फ़ैल रहा था। छत्तीसगढ़ अंचल भी इससे अछूता नहीं था। यहाँ भी 1857 के आन्दोलन में स्वतंत्रता की चाह लिए …

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देखिए ऐसा प्राचीन शिवलिंग जिसमें एक लाख छिद्र हैं

तपोभूमि छत्तीसगढ़ को महाजनपद काल में दक्षिण कोसल के नाम से जाना जाता था। रामायण में वर्णित यह दण्डकारण्य प्रदेश अपने सघन वनों, सरल एवं सहज निवासियों, वन्य प्राणियों की आदर्श निवास स्थली, खनिजों एवं सुरम्य प्राकृतिक वातावरण के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ तीर्थों की भी कमी नहीं है। …

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