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मध्यकालीन इतिहास

हिन्दवी स्वराज के संस्थापक : छत्रपति शिवाजी

भारत के महान योद्धा राजा, रणनीतिकार, कुशल प्रबुद्ध सम्राट के रूप में प्रतिष्ठित वीर सपूत एवं भारतीय गणराज्य के महानायक शिवा जी का जन्म 19 फरवरी को मराठा परिवार में हुआ था। माता जीजा जी बाई धार्मिक स्वभाव की कुशल व्यवहार की वीरांगना नारी थीं। उन्होंने बालक शिवा जी का …

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छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता संग्राम 1857 से पूर्व प्रारंभ हुआ : विशेष आलेख

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में छत्तीसगढ़वासियों की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता। वर्तमान छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता संग्राम 1857 से पूर्व प्रारम्भ हो चुका था, तत्कालीन समय में यह जमींदारी क्षेत्र था तथा कलचुरियों, मराठों एवं अंग्रेजों के अधीन रहा। कभी मराठों से स्वतंत्रता पाने के लिए यहाँ …

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देश भक्तों का राजकुमार पराक्रमी सुभाष चंद्र बोस

23 जनवरी पराक्रम दिवस : यानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिवस केंद्र शासन ने नेताजी के जन्मदिवस को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस एकमात्र नेता हैं जिनके जन्म दिवस को पराक्रम दिवस के रूप में …

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इन पुतरन के सीस पर वार दिए सुत चार : गुरु गोविन्द सिंह जी

गुरु गोविंद सिंह जी के 354 वें प्रकाश पर्व पर विशेष आलेख हिन्दू जाग्रत है तो भारत सुरक्षित है। भारत का धर्म और संस्कृति सुरक्षित है। किन्तु जब भारत की रक्षा करनेवाले ही हताश, निराश और ध्येय विहीन रहेंगे तो भला राष्ट्र कैसे सुरक्षित रह सकता है। इसलिए प्रत्येक भारतवासी …

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भारत के एकीकरण में सरदार वल्लभ भाई पटेल की भूमिका

भारत का बिस्मार्क, लौह पुरूष,सरदार जैसी संज्ञाओं से विभूषित भारत रत्न सरदार वल्लभभाई पटेल को कौन भूल सकता है भला? देश की स्वतंत्रता के पश्चात भारत वर्ष के सुदृढ़ीकरण और एकीकरण के लिए वे भारतीय इतिहास में सदा-सदा के लिए अमर हो गए हैं। 31 अक्टूबर सन् 1875 को गुजरात …

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झांसी मेरी है, मैं उसे कदापि नहीं दूंगी : वीरांगना लक्ष्मी बाई

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाम हिन्दुस्तान की अद्वितीय वीरांगना के रूप में लिया जाता है। उनकी महत्ता का प्रमाण यही है कि सन् 1943 में जब नेता जी सुभाषचंद बोस ने सिंगापुर में आजाद हिंद फौज में स्त्रियों की एक रेजीमेंट बनाई तो उसका नाम ‘‘रानी झांसी रेजीमेंट’’ रखा …

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महामाया माई अम्बिकापुर : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष

अम्बिकापुर की महामाया किस काल की हैं प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है पर यह तो तय है कि महामाया, छत्तीसगढ़ की सर्वाधिक प्राचीन देवियों में से एक हैं। यह क्षेत्र सधन वनों से आच्छादित था। पूरे क्षेत्र में गोंड़, कोरवा, चेरवा आदि जनजातियां निवास करती थीं। जनजातियों में प्रतीकात्मक देवी-देवताओं …

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उद्भट योद्धा एवं सशक्त महिला शासक : रानी दुर्गावती

भारत मे अनेक वीरांगनाएं अवतरित हुई जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। एक प्राकृतिक तथ्य है कि नारी स्वभाव से ही कोमलकांत होने साथ कर्मठ और सहनशील होती है। धैर्य, साहस, आत्मविश्वास से भरी होती हैं इसलिए राष्ट्र निर्माण के कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ऐसी …

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नल-दमयंती आख्यान : एक अध्ययन

पौराणिक ग्रन्थों, साहित्यों में नल और दमयन्ती के प्रेमकथा व संघर्षगाथा का अद्भुत चित्रण किया गया है। नल निषध देश का प्रतापी राजा था, उसकी ख्याति शौर्य से देवताओं को ईर्ष्या होती थी। वे जन नायक के रूप में प्रस्तुत हुए। उन्ही दिनों विदर्भ देश के राजा भीम की पुत्री …

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विलुप्त होती भारत की कलीगर जाति एवं व्यवसाय

वैदिक काल में समाज का मार्गदर्शन करते हुए ॠषियों ने पुरुषार्थ चतुष्टय एवं चतुर्वर्ण की व्यवस्था दी। जिससे मानव को जीवन निर्वहन के लिए दिशा मिल सके। इसके पश्चात आगामी काल में कर्म के आधार पर जातियों का निर्माण प्रारंभ हुआ। नवीन अविष्कार होते और नवीन जातियों का निर्माण होता …

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