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तत्कालीन कहानियों में विभाजन की त्रासदी

वर्तमान पीढ़ी को स्वतंत्रता मायने ही नहीं जानती, क्योकि इनका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ है। इस स्वतंत्रता को प्राप्त करने में पूर्व की पीढ़ी ने कितने कष्ट सहे और क्या-क्या अत्याचार झेले, इसके विषय में वर्तमान पीढ़ी को जानना आवश्यक है तभी स्वतंत्रता का सही मुल्यांकन कर उसकी रक्षा …

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औरंगजेब को पराजित कर अपनी शर्तें मनवाने वाले वीर दुर्गादास राठौड़

13 अगस्त 1668 – वीर ठाकुर दुर्गादास राठौड़ जन्म दिवस आलेख निसंदेह भारत में परतंत्रता का अंधकार सबसे लंबा रहा। असाधारण दमन और अत्याचार हुये पर भारतीय मेधा ने दासत्व को कभी स्वीकार नहीं किया। भारत भूमि ने प्रत्येक कालखंड में ऐसे वीरों को जन्म दिया जिन्होंने आक्रांताओं और अनाचारियों …

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छत्तीस भाषाओं के ज्ञाता थे छत्तीसगढ़ के हरिनाथ डे

12 अगस्त स्व: हरिनाथ डे जयंती विशेष आलेख ज़िन्दगी के सफ़र में सिर्फ़ 34 साल की उम्र तक 36 भाषाओं का ज्ञाता बनना कोई मामूली बात नहीं है। संसार में अत्यधिक विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न ऐसे विद्वान गिने -चुने ही होते हैं। यहां तक कि ऐसी महान प्रतिभाओं के बारे में …

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तिरंगे की शान के लिए सीने पर गोली खाने वाले क्रांतिकारी

12 अगस्त 1942 : क्राँतिकारी लाल पद्मधर सिंह और बालवीर रमेशदत्त का बलिदान स्वतंत्रता आँदोलन में संघर्ष की अहिसंक धारा में भी सैकड़ों बलिदान हुये हैं। 1942 के भारत छोड़ो आँदोलन में ही देश के पचास से अधिक स्थानों पर गोलियाँ चलीं और सौ से अधिक सेनानी बलिदान हुये। अंग्रेजों …

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बालकपन में फ़ाँसी चढ़ने वाले क्रांतिकारी : खुदीराम बोस

हुतात्मा खुदीराम बोस बलिदान दिवस विशेष आलेख दुनियाँ में ऐसा कोई देश नहीं जो कभी न परतंत्रता के अंधकार में डूबा न हो। उनमें अधिकांश का स्वरूप ही बदल गया। उन देशों की अपनी संस्कृति का आज कोई अता पता नहीं है। लेकिन दासत्व के लंबे अंधकार के बाद भी …

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गंगा अवतरण : आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक रहस्य

भारतीय अस्मिता के जागरण एवं राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में अनेकानेक विभूतियों का महती योगदान रहा है। यदि भारत के प्राचीन काल के इतिहास को खंगाला जाय तो अनेक ऐसे अमर हुआत्माओं के नाम समक्ष आते है जिन्होने अपना सारा जीवन खपा दिया। हुतात्मा मात्र वह नही होता जो राष्ट्र …

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सुप्रसिद्ध झंडा गीत रचने वाले पत्रकार श्याम लाल गुप्त

भारत को स्वतंत्रता सरलता से नहीं मिली। इसके लिये असंख्य बलिदान हुये हैं। यह बलिदान दोनों प्रकार के। एक वे जिन्होंने अपने प्राणों का बलिदान दिया और दूसरे वे जिन्होंने देश स्वाधीनता का जन जागरण करने के लिये अपने संपूर्ण जीवन का समर्पण किया। श्यामलाल जी गुप्त ऐसे ही महामना …

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अगस्त क्रान्ति : स्वाधीनता के सूर्योदय के लिये निर्णायक आँदोलन का उद्घोष

भारत के स्वाधीनता आँदोलन में 9 अगस्त वह ऐतिहासिक तिथि है जब स्वतंत्रता के लिये निर्णायक संघर्ष का उद्घोष हुआ था। इसलिए इसे अगस्त क्रान्ति कहा जाता है। स्वाधीनता आँदोलन के इतिहास में यह नौ अगस्त की तिथि दो महत्वपूर्ण स्मृतियों से जुड़ी है। पहली तिथि 9 अगस्त 1925 है …

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छत्तीसगढ़ों में से एक गढ़ : बिन्द्रानवागढ़

राजाओं के शासन काल में दक्षिण कोसल में बहुत सारी जमीदारियाँ थी। बस्तर से सरगुजा तक अगर दृष्टिपात करें तो लगभग एक सैकड़ा जमीदारियाँ होंगी, जहाँ विभिन्न जाति एवं वर्ग के जमींदार शासन करते थे। वर्तमान में यह सब इतिहास की बातें हो गई परन्तु इनकी कहानियों में रहस्य, रोमांच …

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नरोधी नर्मदा जहाँ झिरिया से बुलबुलों में निकलता है जल

लोक गाँवों में बसता है। इसलिए लोक जीवन में सरसता है। निरसता उससे कोसों दूर रहती है। लोक की इस सरसता का प्रमुख कारण, प्रकृति से उसका जुड़ाव है। लोक प्रकृति की पूजा करता है। आज भी गाँवों में जल को वह चाहे नदी हो, या तालाब का, किसी झरने …

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