हम सबका अभिमान है हिन्दी

हम सबका अभिमान है हिन्दी, हम सब का सम्मान है हिन्दी॥ उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम तक, फुलवारी सी सजती है हिन्दीशिलालेखों एवं प्राच्य अभिलेखों में, मेंहदी सी रचती है हिन्दीहम सबका अभिमान है हिन्दी, हम सब का सम्मान है हिन्दी॥ मातृभाषा व राष्ट्रभाषा के पद पर, सदैव शोभित हमारी हिन्दी संस्कृत, पालि, …

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छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक वैभव : भोजली गीत

लोक गीतों का साहित्य एवं अनुसंधान दोनों दृष्टियों से महत्व है। छत्तीसगढ़ अंचल ऐसे लोक गीतों से भरे-पूरे हैं, ग्राम्य एवं आदिम दोनों संस्कृतियों का घर है छत्तीसगढ़। गीत और नृत्य जहां एक ओर हमारे लिए मनोरंजन के साधन हैं, वहीं दूसरी ओर वे कला के विशिष्ट अवयव बन जाते …

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जानिए भंगाराम देवी हैं या देवता? 

बस्तर अंचल के कोंडागाँव जिले में रायपुर-जगदलपुर राजमार्ग पर कोंडागाँव से लगभग 52 किलोमीटर पहले या जगदलपुर की ओर से चलें तो जगदलपुर-रायपुर राजमार्ग पर जगदलपुर से 129 किलोमीटर दूर केसकाल नामक गाँव है। इसी गाँव के एक मोहल्ले सुरडोंगर से हो कर जाते हैं एक पहाड़ी की ओर जहाँ …

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नागरिक निर्माण में शिक्षकों की अकल्पनीय भूमिका

नागरिक निर्माणकर्ताओं को नमन, ‘अध्यापक और अध्यापन’ दोनों में कोई खास असमानता नहीं होती, एक समान ही होते हैं। क्योंकि ये दोनों हर किसी के जीवन का हिस्सा रहे होते हैं। इंसान के जीवन में शुरू से तरक्की-समृद्धि के वास्तविक पथ धारक टीचर ही रहे हैं जिनके जरिए इंसान खुद …

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जब तक नहीं विचार मिलेगा : सप्ताह की कविता

जब तक नहीं विचार मिलेगा।बदतर यह संसार मिलेगा। अफवाहों के बाजारों में,है भारी कालाबाजारी।भाईचारे का अभाव है,सस्ती में तलवार दुधारी।गोली, बम, बारूद जखीरा,जगह-जगह अंगार मिलेगा। जब तक नहीं विचार मिलेगा।बदतर यह संसार मिलेगा। शरद पूर्णिमा है महलों में,बाहर गहन अमावस काली।कहीं खजाना भरा हुआ है,कहीं अन्न बिन कोठी खाली।जला नहीं …

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छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक वैभव : बांसगीत

छत्तीसगढ़ में निवासरत राउत जाति जोकि अपने को यदुवंशी मानते हैं तथा भगवान श्रीकृष्ण को अपना पूर्वज मानकर उनकी पूजा करते हैं साथ ही उनकी बाँसुरी के प्रति अटूट श्रद्धा रखते हैं। इनके प्रिय गीत बाँस गीत के गायन के साथ एक लगभग दो हाथ लम्बी मोटे बाँस की बनाई …

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हेमाद्रि संकल्प और ऋषि पंचमी

भारत की ऋषि संस्कृति में संस्कारों का बहुत महत्व है। वस्तुतः संस्कृति एवं संस्कार अन्योन्याश्रित होते है। संस्कारो से है संस्कृति का निर्माण होता है। सम् की आवृति करके सम्यक संस्कार से ही संस्कृति का निर्माण होता जाता है। संस्कारों से आत्मा और अंत:करण की शुद्धि होती है। सम्यक कृति …

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छत्तीसगढ़ का लोक पर्व : तीजा तिहार

भारतीय जीवन व संस्कृति में बड़ी विविधता है। इस विविधता का कारण यहाँ विभिन्न धर्मो और विभिन्न संस्कृतियों का समन्वय है। कहीं-कहीं इस विविधता का प्रमुख कारण यहाँ की आंचलिक जीवन शैली और उसकी लोक संस्कृति भी है। किसी तीज त्यौहार या पर्वों के पीछे उसकी वैदिक मान्यता के स्थान …

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छत्तीसगढ के तिहार : गरभ पूजा एवं पोला

दुनिया के प्रत्येक भू-भाग की अपनी विशिष्ट पहचान एवं संस्कृति है, जो उसे अन्य से अलग पहचान देती है। इसी तरह छत्तीसगढ की अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान एवं छवि है। प्राचीन सभ्यताओं को अपने आंचल में समेटे इस अंचल में विभिन्न प्रकार के कृषि से जुड़े त्यौहार मनाए जाते हैं। …

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छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्यौहार पोला

प्रकृति को सहेजती सनातन परंपरा और धार्मिक रीति-रिवाजों में हमारी भावनाएं मूर्त रूप ले लेती हैं, इन्हीं भावों को साकार करते हैं हमारे पर्व। भारत की गोधन संस्कृति में गाय और गोवंश जीवन जगत की मूलाधार रही है। गाय गौ माता और खेती किसानी में बैल किसानों के जीवन का …

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