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पर्यावरण

इस विभाग में हमारे जल, जंगल, जमीन से संबंधित शोध एवं आलेख होंगे।

अमुआ के डाली पे बैठी कोयलिया काली : खास आम

आम लोगों का आम, खास लोगों का आम, आम तो आम ही है पर आम खाने वाले लोग खास ही होते हैं। अब समय है वृक्षों पर आम के पकने का। इससे पहले तो कृत्रिम रुप से पकाए आम बाजारों में भरे पड़े है। पर उनमें वो मजा कहाँ जो …

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प्रकृति का अजूबा मंडीप खोल : छत्तीसगढ़

प्रकृति ज्ञान और आनंद का स्रोत है। प्रकृति मनुष्य को सदैव अपनी ओर आकर्षित करती है। प्रकृति के आकर्षण ने मनुष्य की जिज्ञासा व उत्सुकता को हरदम प्रेरित किया है। इसी प्रेरणा के फलस्वरूप मनुष्य प्रकृति के रहस्यों को जान-समझ कर ही ज्ञानवान बना है। प्रकृति के हर उपादान उसे …

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प्रकृति का आभूषण कटुमकसा घुमर : बस्तर

पहाड़ियाँ, घाटियाँ, जंगल, पठार, नदियाँ, झरने आदि न जाने कितने प्रकार के गहनों से सजाकर प्रकृति ने बस्तर को खूबसूरत बना दिया है। बस्तर के इन्हीं आभूषणों में से एक है, कटुमकसा घुमर। कुएमारी (पठार) से बहता हुआ एक नाला घोड़ाझर गाँव की सीमा में आता है। यहाँ एक जलप्रपात …

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बरषा काल मेघ नभ छाए, बीर बहूटी परम सुहाए

मानस में भगवान श्री राम, लक्ष्मण जी से कहते हैं – बरषा काल मेघ नभ छाए। गरजत लागत परम सुहाए। ग्रीष्म ॠतु की भयंकर तपन के पश्चात बरसात देवताओं से लेकर मनुष्य एवं चराचर जगत को सुहानी लगती है। वर्षा की पहली फ़ुहार के साथ प्रकृति अंगड़ाई लेती है और …

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अत्यावश्यक है प्राचीन पद्धति से वर्षा जल सरंक्षण

मानसून की पहली फ़ुहार के साथ वर्षा ॠतु आगमन हो गया है। मई-जून की भीषण गर्मी में जिस तरह लोगों ने जल संकट का सामना किया उसे देखकर लगता है कि आने वाले भविष्य में जल संकट भयानक रुप लेने वाला है। वर्षा जल का संग्रहण आवश्यक हो गया है। …

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ऐसा स्थान जहाँ जंगली भालू का कुनबा पीने आता है शीतल पेय

मनुष्य के पास वह कला है, जिससे उसने बड़े से बड़े एवं हिंसक पशुओं को भी पालतु बना लिया। पालतु बनाकर उसे अपनी जीविका से भी जोड़ लिया। परन्तु हम एक ऐसे हिंसक प्राणी का जिक्र कर रहे हैं जो अपनी बसाहट में रहने के साथ हिंसक प्रवृत्ति को भूलकर …

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पर्यावरण : प्रकृति के सानिध्य ने बचाए कैंसर से प्राण

जिन्दगी कैरमबोर्ड जैसी होती है, बोर्ड पर जमी हुई गोटियाँ मनुष्य के पारिवारिक सपने। जरा भी ठोकर लगी और सपने कैरम की गोटियों की मानिंद बिखर जाते हैं। बिरले ही होते हैं जो जीवन की गोटियों को फ़िर से जमाने की और नया खेल शुरु करने की हिम्मत जुटा पाते …

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ऐसा स्थान जहाँ पितर देवता भी आम के स्वाद से वंचित नहीं रहते

आम के साथ बचपन के दिन भी जुड़े हैं, जब स्कूल से भागकर टिकोरों के चक्कर में मीलों दूर तक की धरती नाप आते थे। ऐसे ही हमारे देश का राष्ट्रीय फ़ल आम को नहीं बनाया गया है। इसमें गुण भरे पड़े हैं, पर आयुर्वेद की दृष्टि से अवगुण भी …

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भ्रमर प्रत्यंचा पर धरे जब पलाश के वाण

वसंत का मौसम हो तथा पलाश की चर्चा न हो, ये नहीं हो सकता। यह समय छत्तीसगढ़ में बस्तर से लेकर सरगुजा तक के वनों में पलाश के फ़ूलने का होता है, ऐसे लगता है कि जंगल में आग लगी हो, जंगल में आग जब चहूँ दिसि लगी हो तो …

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