आज विश्व जल दिवस है, जब विश्व किसी चीज को लेकर दिवस मनाने लग जाता है तब मैं समझता हूँ कि यह खतरे की घंटी है। जिस तरह से मीठे जल का दोहन किया जा रहा है, उससे तो यह तय है कि आगामी पन्द्रह बीस वर्षों के के बाद …
Read More »जैव जगत एवं पुरातत्व का सजीव संग्रहालय : बार नवापारा अभयारण्य
छत्तीसगढ़ के अन्यान्य वनांचलों की ही भांति बारनवापारा को भी एक रहस्यपूर्ण, अलग-थलग, सजीव व सतत् सृजनशील तथा बेदाग हरापन लिए बीहड़ वन क्षेत्र के रूप में सहृदय दर्शक सहज अनुभव करता है। जिस वन्य परिवेश के प्रत्यक्षानुभव प्राप्त करने हेतु छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर से बारनवापारा की यात्रा …
Read More »प्रकृति की अनुपम भेंट कांगेर वैली एवं उसकी अद्भुत गुफ़ाएं
कांगेर वैली राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ़ प्रदेश के बस्तर जिले के जिला मुख्यालय जगदलपुर में स्थित है। राष्ट्रीय उद्यान को कांगेर नदी से अपना नाम मिलता है, जो उत्तर-पश्चिम से दक्षिण पूर्व दिशा में केंद्र से बहती है। वर्ष 1982 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत राष्ट्रीय उद्यान अधिसूचित किया …
Read More »इतिहास का साक्षी बाम्हनसरा का वट वृक्ष एवं बस्तरहीन देवी
छत्तीसगढ़ स्थित महासमुन्द जिले के अंतिम छोर उड़ीसा सीमा पर राष्ट्रीय राज मार्ग 353 से लगा जनजातीय बाहुल्य ग्राम बाम्हनसरा विकास खण्ड बागबाहरा है। इसके प्राचीन वट वृक्ष ने सैकड़ो वर्षो के इतिहास को संजो रखा है। यह विशाल वट वृक्ष उत्तरी अक्षांश 20°58’21” पूर्वी देशांश 82°29′ 54”पर राष्ट्रीय राजमार्ग …
Read More »अमुआ के डाली पे बैठी कोयलिया काली : खास आम
आम लोगों का आम, खास लोगों का आम, आम तो आम ही है पर आम खाने वाले लोग खास ही होते हैं। अब समय है वृक्षों पर आम के पकने का। इससे पहले तो कृत्रिम रुप से पकाए आम बाजारों में भरे पड़े है। पर उनमें वो मजा कहाँ जो …
Read More »प्रकृति का अजूबा मंडीप खोल : छत्तीसगढ़
प्रकृति ज्ञान और आनंद का स्रोत है। प्रकृति मनुष्य को सदैव अपनी ओर आकर्षित करती है। प्रकृति के आकर्षण ने मनुष्य की जिज्ञासा व उत्सुकता को हरदम प्रेरित किया है। इसी प्रेरणा के फलस्वरूप मनुष्य प्रकृति के रहस्यों को जान-समझ कर ही ज्ञानवान बना है। प्रकृति के हर उपादान उसे …
Read More »प्रकृति का आभूषण कटुमकसा घुमर : बस्तर
पहाड़ियाँ, घाटियाँ, जंगल, पठार, नदियाँ, झरने आदि न जाने कितने प्रकार के गहनों से सजाकर प्रकृति ने बस्तर को खूबसूरत बना दिया है। बस्तर के इन्हीं आभूषणों में से एक है, कटुमकसा घुमर। कुएमारी (पठार) से बहता हुआ एक नाला घोड़ाझर गाँव की सीमा में आता है। यहाँ एक जलप्रपात …
Read More »बरषा काल मेघ नभ छाए, बीर बहूटी परम सुहाए
मानस में भगवान श्री राम, लक्ष्मण जी से कहते हैं – बरषा काल मेघ नभ छाए। गरजत लागत परम सुहाए। ग्रीष्म ॠतु की भयंकर तपन के पश्चात बरसात देवताओं से लेकर मनुष्य एवं चराचर जगत को सुहानी लगती है। वर्षा की पहली फ़ुहार के साथ प्रकृति अंगड़ाई लेती है और …
Read More »अत्यावश्यक है प्राचीन पद्धति से वर्षा जल सरंक्षण
मानसून की पहली फ़ुहार के साथ वर्षा ॠतु आगमन हो गया है। मई-जून की भीषण गर्मी में जिस तरह लोगों ने जल संकट का सामना किया उसे देखकर लगता है कि आने वाले भविष्य में जल संकट भयानक रुप लेने वाला है। वर्षा जल का संग्रहण आवश्यक हो गया है। …
Read More »ऐसा स्थान जहाँ जंगली भालू का कुनबा पीने आता है शीतल पेय
मनुष्य के पास वह कला है, जिससे उसने बड़े से बड़े एवं हिंसक पशुओं को भी पालतु बना लिया। पालतु बनाकर उसे अपनी जीविका से भी जोड़ लिया। परन्तु हम एक ऐसे हिंसक प्राणी का जिक्र कर रहे हैं जो अपनी बसाहट में रहने के साथ हिंसक प्रवृत्ति को भूलकर …
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