बुरा मत कहो, बुरा मत सुनो, बुरा मत देखो की उक्ति को परिभाषित करते हुए तीन बंदर गांधी जी के कहलाते हैं। सहज बोल-चाल में गांधी जी के बंदर कह दिए जाते हैं। प्रश्न यह आता है कि गांधी जी के बंदरों के नाम से प्रसिद्ध वे तीन बंदर किसके …
Read More »दण्डकारण्य स्थित वह स्थल जहाँ मान्यता है कि वनवास काल में भगवान राम पहुंचे थे
छत्तीसगढ़ अंचल की प्राकृतिक सुंदरता का कोई सानी नहीं है। नदी, पर्वत, झरने, गुफ़ाएं-कंदराएं, वन्य प्राणी आदि के हम स्वयं को प्रकृति के समीप पाते हैं। अंचल के सरगुजा क्षेत्र पर प्रकृति की विशेष अनुकम्पा है, चारों तरफ़ हरितिमा के बीच प्राचीन स्थलों के साथ रमणीय वातावरण मनुष्य को मोहित …
Read More »जानिए कौन सा स्थान है जहाँ सीता जी ने लिखना सीखा था?
शंख लिपि प्राचीन लिपि है, माना जाता है कि इसका उद्भव ब्राह्मी लिपि के साथ ही हुआ, यह भारत के कई प्राचीन स्थलों में दिखाई देती है। इसके वर्णों की आकृति शंख जैसे होने के कारण इसे शंख लिपि कहा गया। इसके साथ ही विडम्बना यह है कि इसे पढ़ा …
Read More »जिसकी समृद्धि का उल्लेख व्हेनसांग ने अपने यात्रा वृतांत में किया, क्यों उजड़ा वह नगर?
दक्षिण कोसल की एक प्रमुख पुरा धरोहर सिरपुर है, किसी जमाने में यह समृद्ध सर्वसुविधा युक्त विशाल एवं भव्य नगर हुआ करता था, जिसके प्रमाण आज हमें मिलते हैं। यह कास्मोपोलिटिन शहर शरभपुरियों एवं पाण्डुवंशियों की राजधानी रहा है और यहाँ प्रसिद्ध चीनी यात्रा ह्वेनसांग के भी कदम पड़े थे, …
Read More »प्राचीन मृदा भाण्ड अवशेष भी होते हैं इतिहास के साक्षी
आज मृदाभाण्डों को पुरातत्व शास्त्र की वर्णमाला कहा जाता है। जिस प्रकार किसी वर्णमाला के आधार पर ही उसका साहित्य पढा जाता है, उसी प्रकार मृदा भाण्ड अपने काल की सभ्यता सामने लाते हैं।
Read More »छत्तीसगढ़ के सरगुजा अंचल में मृतक स्मारक एवं सती स्तंभ : एक अनुशीलन
जब भारत में इस्लाम द्वारा सिंध, पंजाब और राजपूत क्षेत्रों पर आक्रमण किया जा रहा था। इन क्षेत्रों की महिलाओं को उनके पति की हत्या के बाद इस्लामी हाथों में ज़लील होने से बचाने के लिए पति के शव के साथ जल जाने की प्रथा पर जोर दिया गया।
Read More »दूसरी शताब्दी का दुर्लभ युप स्तंभ लेख जिसमें तत्कालीन शासकीय अधिकारियों के नाम एवं पदनाम उल्लेखित हैं
छत्तीसगढ़ में पुरातत्व से संबंधित कुछ ऐसी दुर्लभ चीजे हैं जो अन्य कहीं पर नहीं मिलती, इनमें से एक ग्राम किरारी से प्राप्त सातवाहनकालीन दूसरी शताब्दी का काष्ठस्तंभ लेख है। जो वर्तमान में महंत घासीदास संग्रहालय रायपुर की दीर्घा में प्रदर्शित है। दुर्लभ इसलिए है कि हमें शिलालेख, ताम्रपत्र, सिक्कों …
Read More »पांच पैर वाला सुअर एवं सोनई डोंगर के योद्धा भाई
कथा कहानियों में से इतिहास निकल कर सामने आता है। एक बार की बात है, पलासिनी (जोंक) नदी के किनारे डूंडी शाह एवं कोंहंगी शाह नामक भाईयों ने आठ एकड़ भूमि पर चने की फ़सल उगाई थी। इस फ़सल को कोई जानवर रात्रि में आकर नष्ट कर जाता था। भाईयों …
Read More »त्रिवेणी तीर्थ का राजिम कुंभ अब पुन्नी मेला
माघ पूर्णिमा को मेले तो बहुत सारे भरते हैं, परन्तु राजिम मेले का अलग ही महत्व है। राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है, यहाँ पैरी, सोंढूर एवं महानदी मिलकर त्रिवेणी संगम का निर्माण करती हैं। भारतीय संस्कृति में जहाँ तीन नदियों का संगम होता वह स्थान तीर्थ की …
Read More »जानिए कुंभ मेला कब से और क्यों भरता है?
बहरहाल पुनः प्राचीन नाम के साथ प्रयागराज के संगम तट पर कुंभ मेला शुरू हो चुका है और इस समय इसकी भव्यता और दिव्यता दोनों ही चर्चा का विषय बने हुये हैं। नाम परिवर्तन के आकर्षण मे अथवा अर्धकुंभ की व्यापकता को बढ़ाने के लिए अब यह सर्वत्र कुम्भ मेले …
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