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गौरक्षा और सामाजिक समरसता के लिये जीवन समर्पित करने वाले स्वामी ब्रह्मानंद

भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष में जितना योगदान सार्वजनिक संघर्ष करने वाले राजनेताओं का है उससे कहीं अधिक उन संतों का भी है जिन्होंने सार्वजनिक संघर्ष में तो सहभागिता की और जेल गये पर अपना पूरा जीवन सामाजिक और साँस्कृतिक जागरण के लिये समर्पित किया। स्वामी ब्रह्मानंद जी ऐसे ही …

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कुशल प्रशासक, शिक्षाशास्त्री और साहित्यकार बल्देवप्रसाद मिश्र

12 सितंबर जयंती विशेष आलेख छत्तीसगढ़ का पूर्वी सीमान्त जनजातीय बाहुल्य जिला रायगढ़ केवल सांस्कृतिक ही नहीं बल्कि साहित्यिक दृष्टि से भी सम्पन्न रहा है। रियासत काल में यहां के गुणग्राही राजा चक्रधरसिंह के दीवान, सुप्रसिद्ध साहित्यकार और तुलसी दर्शन के रचनाकार डॉ. बल्देवप्रसाद मिश्र थे। उन्हीं की सलाह पर …

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महादेवी वर्मा का रचना संसार

हिंदी साहित्य की प्रतिभाशाली कवयित्री एवं छायावाद के चार प्रमुख आधार स्तंभों में से एक तथा आधुनिक युग की मीरा कही जाने वाली महादेवी वर्मा का जन्म उत्तरप्रदेश के फ़ारुखाबाद में एक कायस्थ परिवार में 26 मार्च1907 को हुआ था। सात पीढ़ियों बाद पुत्री जन्म से इनके बाबा बाबू बाँके …

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विश्व हितैषी स्वामी विवेकानन्द

11 सितम्बर, 1893 विश्वबंधुत्व दिवस विशेष आलेख अयं निजः परोवेति गणना लघुचेतसाम् ।उदारचरितानां तु वसुधैवकुटुम्बकम् ॥ (महोपनिषद्, अध्याय ६, मंत्र ७१)यह नीति वाक्य सदियों से हमारी प्राचीन सनातन संस्कृति और भारतवर्ष के श्रेष्ठ चरित्र का परिचायक है। विश्व के इतिहास में एक स्वर्णिम कालखण्ड ऐसा भी रहा है जब भारत …

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छत्तीसगढ़ी का व्याकरण रचने वाले काव्योपाध्याय हीरालाल

हमारा देश जब अंग्रेजों की गुलामी में जकड़ा हुआ था और चारों ओर त्राहि त्राहि मची हुई थी तब छत्तीसगढ़ भी इससे अछूता नहीं था। यहां भी गांधी, नेहरू और सुभाषचंद्र जैसे सपूत हुए जिन्होंने यहां जन जागृति फैलायी। इनमें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और साहित्यकार थे जिन्होंने अपनी काव्यधारा प्रवाहित …

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हर जेल यात्रा में ग्रंथ तैयार करने वाले सेनानी साहित्यकार

9 सितम्बर 1968 : स्वतंत्रता संग्राम सेनानी साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी पुण्यतिथि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम विविधता से भरा है। क्राँतिकारी और अहिसंक आँदोलन के साथ अन्य धाराओं में एक ऐसी धारा भी रही जिसने प्रत्यक्ष आँदोलनों में सहभागिता के साथ ऐसी साहित्य रचना भी की जिसने जन सामान्य को झकझोर और …

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छत्तीसगढ़ में रासलीला और श्रीकृष्ण के लोक स्वरूप

एक समय था जब नाट्य साहित्य मुख्यतः अभिनय के लिए लिखा जाता था। कालिदास, भवभूति और शुद्रक आदि अनेक नाटककारों की सारी रचनाएं अभिनय सुलभ है। नाटक की सार्थकता उसकी अभिनेयता में है अन्यथा वह साहित्य की एक विशिष्ट लेखन शैली बनकर रह जाती। नाटक वास्तव में लेखक, अभिनेता और …

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मैय्या मोरी मैं नहीं माखन खायो

भारतवर्ष ने जहां एक ओर विदेशी आक्रांताओं का दंश झेला, अत्याचार सहे वहीं दूसरी ओर इस पुण्यभूमि पर अनेकों महापुरुषों, ऋषि-मुनियों ने जन्म लिया। इस देवभूमि को तो साक्षात भगवानों की माता कहलाने का भी गौरव प्राप्त है और हम भरतवंशियों को भगवानों का वंशज कहलाने का परम सौभाग्य मिला …

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संतान की कुशलता की कामना का पर्व : कमरछठ

लोकपर्व-खमरछठ (हलषष्ठी) माताओं का संतान के लिए किया जाने वाला, छत्तीसगढ़ राज्य की अनूठी संस्कृति का एक ऐसा पर्व है जिसे हर वर्ग, हर जाति मे बहूत ही सद्भाव से मनाया जाता है तथा संतान के सुखी जीवन की कामना की जाती है। हलषष्ठी को हलछठ, कमरछठ या खमरछठ भी …

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धर्म और विज्ञान एक-दूसरे के पूरक : डॉ राधाकृष्णन

किसी भी देश को महान बनाने के लिए माता-पिता और शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।माता को प्रथम गुरु एवं परिवार को प्रथम पाठशाला कहा जाता है। माँ हमें दया, करुणा, आदर, क्षमा, परोपकार सहयोग, समानता आदि सभी मानवीय गुणों का भाव देती है। जिस प्रकार माता पिता शरीर का …

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