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Yearly Archives: 2021

पंडित दीनदयाल उपाध्याय : एक युगदृष्टा

आत्मविश्वास,कर्मठता, दृढ़निश्चय, लगन , निष्ठा, त्याग, समाज कल्याण और राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता जैसे शब्द जहाँ बहुतायत श्रेष्ठ व्यक्तित्व के लोगों का मान बढ़ाते हैं, वहीं पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के जीवन से जुड़कर इन शब्दों की महत्ता और भी बढ़ जाती है। पंडित दीन दयाल उपाध्याय का जन्म …

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माता कौशल्या के जीवन पर पहला उपन्यास : कोशल नंदिनी

प्राचीन महाकाव्यों के प्रसिद्ध पात्रों पर उपन्यास लेखन किसी भी साहित्यकार के लिए एक चुनौतीपूर्ण और जोख़िम भरा कार्य होता है। चुनौतीपूर्ण इसलिए कि लेखक को उन पात्रों से जुड़े पौराणिक प्रसंगों और तथ्यों का बहुत गहराई से अध्ययन करना पड़ता है। इतना ही नहीं, बल्कि उसे उन पात्रों की …

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कोडाखड़का घुमर का अनछुआ सौंदर्य एवं शैलचित्र

बस्तर अपनी नैसर्गिक सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध है। केशकाल को बस्तर का प्रवेश द्वार कहा जाता है, यहीं से बस्तर की प्राकृतिक सुन्दरता अपनी झलक दिखा जाती है। बारह मोड़ों वाली घाटी, ऊँचे-ऊँचे साल के वृक्ष, टाटमारी, नलाझर, मांझिनगढ़ और कुएमारी जैसे अनेक मारी (पठार) हैं। मारी में अनेक शैलचित्र, …

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और क्या उम्मीद हो

जिन्होंने मृत्यु और अपमान में,वरण किया था अपमान का।उनकी बेटियां बिक रही है,और क्या उम्मीद हो।शकुनि के देश में,गांधार का गौरव चकनाचूर होकर,कन्धार बना खड़ा है।आहत होना दुर्भाग्य बना है।बन्दूक लिये मुजाहिद,अल्लाह हो अकबर के नारे।12 बरस की दुल्हनेंऔर 60 बरस के दूल्हे।कोई क्या कहेकैसे कहे।कुछ भी सही हैजो हो …

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जानिए ऑपरेशन पोलो क्या है?

भारत देश पर ब्रिटेन के लंबे शोषण, उत्पीड़नपूर्ण औपनिवेशिक शासन से 1947 मे स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद लौह व्यक्तित्व और अदम्य साहस के धनी तत्कालीन गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल के अथक प्रयासों से 562 देशी रियासतों मे से अधिकतर का भारत विलय हो गया। जिन्ना जहां एक ओर द्विराष्ट्र …

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राजभाषा के 72 साल : आज भी वही सवाल?

हमारे अनेक विद्वान साहित्यकारों और महान नेताओं ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में महिमामण्डित किया है। उन्होंने इसे राष्ट्रीय एकता की भाषा भी कहा है। उनके विचारों से हम सहमत भी हैं। हमने 15 अगस्त 2021 को अपनी आजादी के 74 साल पूरे कर लिए और हिन्दी को राजभाषा …

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जूझ रही ‘आदमखोरों’ से, हर औरत अफगान की

(अफगानिस्तान के वर्तमान हालात पर एक व्याकुल कविता) जूझ रही ‘आदमखोरों’ से, हर औरत अफगान की। नादानों को कहाँ सूझती – हैं बातें सम्मान की।। नाम भले मजहब का लेते,पर मजहब से दूर हुए।हाथ में ले हथियार भयानक,मर्द अचानक क्रूर हुए।छीन लिया महिलाओं का हक,कैद किया अधिकारों को। शर्म नहीं …

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कृषि और ऋषि संस्कृति का लोक-पर्व : नुआखाई

खेतों में नयी फसल के आगमन पर उत्साह और उत्सवों के साथ देवी अन्नपूर्णा के स्वागत की हमारे देश में एक लम्बी परम्परा है।  अलग-अलग मौसमों में अलग-अलग फसलों के पकने की खुशी में देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग ढंग से और अलग-अलग नामों से त्यौहार मनाए जाते हैं। …

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दक्षिण कोसल में गाणपत्य सम्प्रदाय एवं प्राचीन गणपति प्रतिमाएँ

भारतीय धार्मिक परंपरा में गाणपत्य सम्प्रदाय का प्रमुख स्थान माना गया है। वैदिक काल से देव के रूप में गणपति की प्रतिष्ठा हो गई थी। ऋग्वेद में रूद्र के गण मस्तों का वर्णन किया गया है।1 इन गणों के नायक को गणपति कहा गया है। पौराणिक देवमण्डल में गणपति का …

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रींवा उत्खनन से प्रकाशित मृतिका स्तूप

दक्षिण कोसल/छत्तीसगढ़ प्रदेश के पूर्व में झारखण्ड और उड़ीसा, उत्तर में उत्तरप्रदेश, पश्चिम में महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश और दक्षिण में आन्ध्रप्रदेश तथा तेलंगाना की सीमाएं हैं। रींवा ( 21*21’ उत्तरी अक्षाश एवं 81*83’ पूर्वी देशांश ) के मध्य छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले से 25 कि. मी. दूरी पर पूर्वी दिशा …

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