Home / 2021 (page 10)

Yearly Archives: 2021

भारतीय सांस्कृतिक एकता का प्रतीक रथ दूज पर्व

छत्तीसगढ़ अंचल में रथदूज या रथयात्रा का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, जगह-जगह भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है तथा इस दिन मांगलिक कार्य करना भी शुभ माना जाता है। वैसे तो मुख्य रथयात्रा का पर्व उड़ीसा के पुरी में मनाया जाता है, परन्तु छत्तीसगढ़ की सीमा साथ …

Read More »

छत्तीसगढ़ी लोक में रचा बसा रथदूज का त्यौहार

प्रकृति ने बड़ी उदारता के साथ छत्तीसगढ़ की धरती को अपना प्राकृतिक सौन्दर्य प्रदान कर इसे अग्रगण्य बनाया है। हरितिमा के गीत गाते जंगल, उन्नत शिखर लिए पहाड़, लहरों के स्वर में लोरी गाती नदियॉं श्लोक और ऋचाएँ गुनगुनाती चिड़ियाँ, स्वर्णिम आभा लिए लहराते धान के खेत, क्या कुछ नहीं …

Read More »

इतिहास का साक्षी ईष्टिका निर्मित सिद्धेश्वर महादेव मंदिर

छत्तीसगढ़ में ईष्टिका निर्मित तीन मंदिर हैं, जिसमें पहला सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर दूसरा सिरपुर का राम मंदिर और तीसरा पलारी का सिद्धेवर महादेव मंदिर है। रायपुर राजधानी से बलौदा बाजार मार्ग पर यह मंदिर लगभग 70 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। भारत में ईष्टिका निर्मित मंदिर बहुत …

Read More »

प्राचीन मंदिरों की स्थापत्य कला में स्त्री मनो विनोद का शिल्पांकन

प्राचीनकाल के मंदिरों की भित्ति में जड़ित प्रतिमाओं से तत्कालीन सामाजिक गतिविधियाँ एवं कार्य ज्ञात होते हैं। शिल्पकारों ने इन्हें प्रमुखता से उकेरा है। इन प्रतिमाओं से तत्कालीन समाज में स्त्रियों के कार्य, दिनचर्या एवं मनोरंजन के साधनों का भी पता चलता है। जिस तरह तेरहवीं शताब्दी के कोणार्क के …

Read More »

दक्षिण कोसल की स्थापत्य कला में नदी मातृकाओं का शिल्पांकन

दक्षिण कोसल में स्थापत्य कला का उद्भव शैलोत्खनित गुहा के रूप में सरगुजा जिले के रामगढ़ पर्वत माला में स्थित सीताबेंगरा से प्रारंभ होता है। पांचवीं-छठवीं सदी ईस्वीं से दक्षिण कोसल में स्थापत्य कला के अभिनव उदाहरण प्राप्त होने लगते हैं जिसके अन्तर्गत मल्हार तथा ताला में मंदिर वास्तु की …

Read More »

बाबा बच्छराज कुंवर एवं जोबा पहाड़ की पुरा सम्पदा

सरगुजा सम्भाग मुख्यालय से लगभग 80 कि0मी0 दूर बलरामपुर नये जिले के अन्तर्गत चलगली मार्ग में वाड्रफनगर विकास खण्ड के अलका ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम मानपुर में ग्रामीणों की अटूट श्रद्धा के आराध्य देव ‘‘बाबा बच्छराजकुवंर‘‘ विराजमान हैं। मानपुर से 5 कि0मी0 दूर ‘‘जोबा पहाड़‘‘ अपना सीना ताने खड़ा …

Read More »

इतिहास जानने का प्रमुख स्रोत छत्तीसगढ़ की लोक कथाएं

छत्तीसगढ़ के भू-भाग से मानव सभ्यता का इतिहास जुड़ा हुआ है। इस संदर्भ के पुरातात्विक साक्ष्य मिलते हैं। धार्मिक और पौराणिक ग्रंथों में छत्तीसगढ़ का उल्लेख मिलता है। सभ्यता की शुरूआत होने का यहां संकेत मिलता है। इसे ऋषि-मुनियों की तपोस्थली भी कहा गया है। जीव जंतुओं और वनस्पतियों की …

Read More »

ब्रिटिश संसद के पहले भारतीय सांसद

फारस पर्शिया या आधुनिक समय का ईरान प्राचीन काल से आहुर मजदा धर्म के मानने वालों का क्षेत्र था. इनका धर्म ग्रंथ जेंद अवेस्ता था जिसकी समानता ऋग्वेद के साथ कथ्य के आधार पर की जाती है. इसी आधार पर माना जाता है कि सुदूर अतीत में ऋग्वैदिक आर्य और …

Read More »

शिल्पांकन एवं साहित्य में शुक-सारिका

पक्षियों से मनुष्य का जन्म जन्मानंतर का लगाव रहा है। पक्षियों का सानिध्य मनुष्य को मन की शांति प्रदान करता है तो बहुत कुछ सीखने को उद्यत करता है। कुछ पक्षी तो ऐसे हैं जो मनुष्य से उसकी बोली में बात करते हैं और इन्होंने सामान्य नागरिक के गृह से …

Read More »

चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर : कबीर जयंती विशेष

कबीर पंथ के चौदहवे आचार्य पंथश्री गृन्धमुनिनाम साहब ने अपने ग्रंथ ‘सद्गुरु कबीर ज्ञान पयोनिधि’ की प्रस्तावना में लिखा है,- “संसार के लोग राख के ढेर पर ही पैर रखकर चलते हैं- जलती आग पर नहीं। किन्तु जो इसके ठीक विपरीत होते हैं, आग पर चलकर अग्नि परीक्षा देते हैं …

Read More »