कहानी वर्तमान कांकेर जिले के हल्बा गाँव के टिकरापारा की है, यह एक छोटा सा गांव हैं, जहाँ के एक तालाब की चर्चा करना उपयुक्त समझता हूँ, बात 1956-57 की है, बस्तर नरेश प्रवीण चंद भंजदेव टिकरापारा पहुंचे, उनके स्वागत में सारा गाँव इकट्ठा हुआ। गाँव की चौपाल में उनके …
Read More »बस्तर का परम्परागत द्वार निर्माण काष्ठ शिल्प
कला की अभिव्यक्ति के लिए कलाकार का मन हमेशा तत्पर रहता है और यही तत्परता उपलब्ध माध्यमों के सहारे कला की अभिव्यक्ति का अवसर देती है। वह रंग तुलिका से लेकर छेनी हथौड़ी तक को अपना औजार बनाकर कला को जन जन तक पंहुचाता है, इसमें काष्ठ कला भी कलाभिव्यक्ति …
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