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Tag Archives: कलचुरीकाल

खरदूषण की नगरी खरोद का पुरातत्वीय वैभव

छत्तीसगढ़ प्रदेश के अन्तर्गत जांजगीर-चांपा जिला मुख्यालय से शिवरीनारायण सड़क मार्ग पर स्थित ग्राम खरोद लगभग 35 कि.मी. दूरी पर स्थित है। बिलासपुर जिला मुख्यालय से खरोद की दूरी लगभग 62 कि.मी. तथा रायपुर से वाया कसडोल शिवरीनारायण होकर खरोद लगभग 140 कि.मी. दूरी पर है। यहां पर पहुंचने के …

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छत्तीसगढ़ के कलचुरीकालीन अभिलेखों के परिप्रेक्ष्य में स्थापत्य एवं मूर्तिकला

इतिहास का अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि अभिलेख उत्कीर्ण कराने के उद्येश्यों में प्रमुख स्थान धार्मिक निर्माण एवं दान तथा अनुदान का रहा है और संपूर्ण भारतवर्ष से अब तक प्राप्त लगभग पचास प्रतिशत से अधिक अभिलेख जो विभिन्न शासकों, व्यक्तियों एवं संस्थाओं द्वारा जारी किये गये है, …

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भारतीय प्रतिमा शिल्प पर कालखंड का प्रभाव

शिल्पकला में समय के अनुसार परिवर्तन दिखाई देता है। अगर हम निरीक्षण करते हैं तो छठवीं शताब्दी से लेकर अद्यतन यह परिवर्तन स्पष्ट दिखाई देता है। शिल्प के विषय में शिल्पकार निर्माण की स्वतंत्रता भी रखते तो शास्त्र सम्मत प्रतिमाओं का निर्माण भी करते थे। प्रतिमा शिल्प के वस्त्राभूषण अलंकरण, …

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रींवा गढ़ का पुरातात्विक उत्खनन

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 25 किमी की दूरी पर रींवा गढ़ में एक टीले का उत्खनन हो रहा है। यहाँ उत्खनन के द्वारा इतिहास की किताब के अज्ञात पृष्ठ अनावृत हो रहे हैं। खुरपी से खुरचकर धरती की परतों के नीचे छिपा इतिहास परतों से बाहर लाया रहा है। …

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