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Tag Archives: स्व: श्री हरि ठाकुर

अंगारों के हाथ न सौंपो फूलों के संसार को : स्व: हरि ठाकुर

16 अगस्त 1927 हरि ठाकुर जयंती विशेष आलेख हरि ठाकुर जी हिन्दी और छत्तीसगढ़ी के श्रेष्ठ कवि तो वह थे ही, छत्तीसगढ़ के पौराणिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, साहित्यिक और राजनीतिक इतिहास के भी वह गहन अध्येता और लेखक थे। राज्य निर्माण आंदोलन के लिए सर्वदलीय मंच के संयोजक के रूप में …

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जन जागरण का काव्य : संदर्भ छत्तीसगढ़

साहित्य समाज का पहरुआ होता है। चाहे वह गीत, कविता, कहानी, निबंध, नाटक या किसी अन्य साहित्यिक विधा में क्यों न हो। वह तो युगबोध का प्रतीक होता है। कवि वर्तमान को गाता है लेकिन वह भविष्य का दृष्टा होता है। साहित्य जो भी कहता है निरपेक्ष भाव से कहता …

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कुल उद्धारिणी चित्रोत्पला गंगा महानदी

महानद्यामुपस्पृश्य तर्पयेत पितृदेवता:।अक्षयान प्राप्नुयाल्वोकान कुलं चेव समुध्दरेत्॥ (महाभारत, वनपर्व, तीर्थ यात्रा पर्व, अ-84)अर्थात महानदी में स्नान करके जो देवताओं और पितरों का तर्पण करता है, वह अक्षय लोकों को प्राप्त होता है, और अपने कुल का भी उध्दार करता है। महानदी का कोसल के लिए वही महत्व है जो भारत …

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