मानस में भगवान श्री राम, लक्ष्मण जी से कहते हैं – बरषा काल मेघ नभ छाए। गरजत लागत परम सुहाए। ग्रीष्म ॠतु की भयंकर तपन के पश्चात बरसात देवताओं से लेकर मनुष्य एवं चराचर जगत को सुहानी लगती है। वर्षा की पहली फ़ुहार के साथ प्रकृति अंगड़ाई लेती है और …
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