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Tag Archives: प्रवीण गुंगवानी

बाबासाहेब के निर्वाणकाल की व्यथा : पुण्यतिथि विशेष

कबीर तहां न जाइए, जहाँ सिद्ध को गाँव, स्वामी कहे न बैठना, फिर फिर पूछे नांव।  इष्ट मिले अरु मन मिले मिले सकल रस रीति, कहैं कबीर तहां जाइए, जंह संतान की प्रीति।  बाबासाहेब अम्बेडकर के कांग्रेस से जुड़ाव को कबीर के इन दोहों के माध्यम से पुर्णतः प्रकट किया …

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