Home / hukum (page 61)

hukum

भाई एवं बहन के स्नेह का प्रतीक : भाई दूज

हमारा देश त्यौहारों एवं प्राचीन परम्पराओं की भूमि है, हमारे पंचांग के अनुसार कार्तिक मास को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है, इसी मास में दिवाली जैसा महत्वपूर्ण त्यौहार आता है। जिसे उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। पांच दिवसीय दिवाली का समापन भाई दूज से होता है। इसे यम द्वितीया के नाम …

Read More »

जनजातीय अनुष्ठान : गौरी-गौरा पूजा

छत्तीसगढ़ राज्य नया है, किन्तु इसकी लोक संस्कृति का उद्गम आदिम युग से जुड़ा हुआ है, जो आज भी यहाँ के लोक जीवन में सतत् प्रवाहमान है। यहाँ तीज-त्यौहारों और पर्वों की बहुलता है। ये तीज-त्यौहार और पर्व यहाँ के जनमानस में रची-बसी आस्था को आलोकित करते हैं और लोक …

Read More »

समय की मांग है भगवान बिरसा मुंडा का हूल जोहार : जयंती विशेष

छोटा नागपुर के अधिकतर वनवासी सन 1890-92 के कालखंड में चर्च के पादरियों के बहकावे में आकर ईसाई हो गये थे। बिरसा का परिवार में इसमें शामिल था परंतु शीघ्र ही ईसाई पादरियों की असलियत भांप कर बिरसा न केवल ईसाई मत त्यागकर हिंदू धर्म में लौट आये वरन उन्होंने …

Read More »

दक्षिण कोसल की स्थापत्य कला में लक्ष्मी का प्रतिमांकन

प्राचीन काल में भारत में शक्ति उपासना सर्वत्र व्याप्त थी, जिसके प्रमाण हमें अनेक अभिलेखों, मुहरों, मुद्राओं, मंदिर स्थापत्य एवं मूर्तियों में दिखाई देते हैं। शैव धर्म में पार्वती या दुर्गा तथा वैष्णव धर्म में लक्ष्मी के रूप में देवी उपासना का पर्याप्त प्रचार-प्रसार हुआ। लक्ष्मी जी को समृद्धि सौभाग्य …

Read More »

दक्षिण कोसल की कुबेर प्रतिमाएं

सनातन धर्म में त्रिदेववाद और पंचायतन पूजा के साथ – साथ अष्टदिक्पालों की उपासना और पूजा पाठ का विशेष महत्व रहा है। दिकपालों को पृथ्वी का संरंक्षक कहा गया है। इन्हें लोकपाल भी कहा जाता है। साधारणतया भूतल और आकाश की दिशाओं को छोड़कर इस पृथ्वी पर आठ दिशाएं मानी …

Read More »

छत्तीसगढ़ का प्रमुख जनजातीय पर्व : गौरी-गौरा पूजन

दीपावली के अगले दिन अर्थात कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा किया जाता है। विष्णु पुराण, वराह पुराण तथा पदम् पुराण के अनुसार इसे अन्नकूट भी कहा जाता है। श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार भगवान कृष्ण के द्वारा सबसे पहले गोवर्धन पूजा की शुरुआत की गईं तब से यह पर्व मनाया …

Read More »

केशकाल का भव्य झरना : उमरादाह

प्रकृति की अपार खूबसूरती से भरा बस्तर संभाग अपने अकूत प्राकृतिक सौंदर्य और खनिज संपदा के लिए जाना जाता है। इसी क्रम में अविभाजित बस्तर जिले से मुक्त होकर बने नवीन जिले कोंडागांव में पर्यटन की अपार संभावनाएं है, जिसका सिरमौर केशकाल विकासखंड है। विगत एक दो वर्षों में चर्चा …

Read More »

नागा साधू द्वारा शापित नगर की कहानी

प्राचीनकाल से भारत भूमि में संत-महात्माओं, ॠषि-मुनियों की सुदीर्घ परम्परा रही है। संत-महात्माओं के आशीषों के फ़लों की किंदन्तियो, किस्से कहानियों के रुप में वर्तमान में चर्चा होती है तो उनके द्वारा दिए गये शापों की भी चर्चा होती है। ऐसा ही एक शाप लखनपुर को मिला था। जानकारों की …

Read More »

मंदिरों की नगरी : प्रतापपुर

छत्तीसगढ़ के उत्तरांचल में जनजातीय बहुल संभाग सरगुजा है, यहाँ की प्राकृतिक सौम्यता, हरियाली, ऐतिहासिक व पुरातात्विक स्थलें, लोकजीवन की झांकी, सांस्कृतिक परंपराएं, रीति-रिवाज, पर्वत, पठार, नदियाँ कलात्मक आकर्षण बरबस ही मन को मोह लेते हैं। सरगुजा अंचल के नवीन उत्खनन ने तो भारत के इतिहास में एक नया स्वर्णिम …

Read More »

अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार : छत्तीसगढ़ निर्माण दिवस

पृथक छत्तीसगढ़ राज्य का सपना हमारे पुरखों ने देखा था और उस सुनहरे स्वप्न को हकीकत का अमलीजामा पहनाने के लिए संघर्ष और आंदोलन का एक लंबा दौर चला। पं.सुंदरलाल छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के प्रथम स्वप्नदृष्टा थे तत्पश्चात डॉ खूबचंद बघेल, संत पवन दीवान, ठाकुर रामकृष्ण सिंह और श्री चंदूलाल …

Read More »