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जीवन काल में शक्ति संजोने का पर्व नवरात्रि

जीवन अच्छी तरह से जीने के लिए, उसके बीच गुजरते हुए ऐसा बहुत कुछ जो अनावश्यक है, आवश्यक सा जान पड़ता है इसीलिए जीने के हर क्षण को उत्सव की तरह जिया जाये तो शक्ति का संचार बना रहता है। संभवतः इसीलिए ऋतुओं के अनुसार बांटी गई भारतीय आध्यात्मिक और …

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भाषा के प्रति बाबा साहेब का राष्ट्रीय दृष्टिकोण

बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के लिए भाषा का प्रश्न भी राष्ट्रीय महत्व का था। उनकी मातृभाषा मराठी थी। अपनी मातृभाषा पर उनका जितना अधिकार था, वैसा ही अधिकार अंग्रेजी पर भी था। इसके अलावा बाबा साहेब संस्कृत, हिंदी, पर्शियन, पाली, गुजराती, जर्मन, फारसी और फ्रेंच भाषाओं के भी विद्वान …

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डॉ. भीमराव अंबेडकर का भारतीय राजनीति में उत्थान और योगदान

महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में मंडनगढ से पांच मील की दूरी पर आंबवडे नामक देहात है। भीमराव अंबेडकर घराने का मूल गांव यही था। इस घर आने का कुल नाम सकपाल था। कुलदेवी की पालकी रखने का सम्मान इस महार घराने का था। महार जाति मजबूत कद काठी, जोरदार आवाज …

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कनकां दी मुक गई राखी, ओ जट्टा आई बैसाखी

बैशाखी उत्तर भारत में पंजाब एवं हरियाणा में जोर शोर से मनाई जाती है। इस दिन गंगा जी का धरती पर अवतरण हुआ था तथा गुरु गोविंद सिंह जी ने 1699 ईस्वीं में खालसा पंथ सजाया था। यानि खालसा पंथ की स्थापना इसी दिन हुई थी। इसके साथ ही यह …

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शक्ति रुपेण संस्थिता : छत्तीसगढ़ की देवियां

छत्तीसगढ़ में देवियां ग्रामदेवी और कुलदेवी के रूप में पूजित हुई। विभिन्न स्थानों में देवियां या तो समलेश्वरी या महामाया देवी के रूप में प्रतिष्ठित होकर पूजित हो रही हैं। राजा-महाराजाओं, जमींदारों और मालगुजार भी शक्ति उपासक हुआ करते थे। वे अपनी राजधानी में देवियों को ‘‘कुलदेवी’’ के रूप में …

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धर्म एवं आस्था का केन्द्र माँ बमलेश्वरी

छत्तीसगढ़ प्रदेश के राजनांदगांव जिलान्तर्गत दक्षिण पूर्वी मध्य रेल्वे के स्टेशन और रायपुर नागपुर राष्ट्रीय राजमार्ग में महाराष्ट्र प्रांत से लगा सीमांत तहसील मुख्यालय डोंगरगढ़ हैं। ब्रिटिश शासन काल में यह एक जमींदारी थी। प्राचीन काल से विमला देवी यहां की अधिष्ठात्री है जो आज बमलेश्वरी देवी के नाम से …

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सनातनी हिंदुओं को आक्रांताओं से बचाने भगवान झूलेलाल का अवतरण

चैत्र शुक्ल द्वितीया – जन्म दिन पर विशेष संवत दस सौ सात मंझारा । चैत्र शुक्ल द्वितिया के वारा ॥ ग्राम नसरपुर सिंध प्रदेशा । प्रभु अवतरे हरे जन क्लेशा ॥ भारत के प्राचीन काल में सिंध प्रांत को भारत का प्रवेश द्वार कहा जाता था क्योंकि सिंध प्रांत को …

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भारत की सांस्कृतिक सेना के शिल्पी डॉ. हेडगेवार

परम वैभवशाली भारत माता का पाथेय है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आ सिंधु-सिंधु पर्यन्ता, यस्य भारत भूमिका। पितृभू- पुण्यभूभुश्चेव सा वै हिंदू रीति स्मृता॥ इस श्लोक के अनुसार “भारत के वह सभी लोग हिंदू हैं जो इस देश को पितृभूमि-पुण्यभूमि मानते हैं” वीर दामोदर सावरकर के इस दर्शन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक …

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नव संकल्पों से हो नव वर्ष का स्वागत

विक्रम संवत नव संवत्सर विशेष आलेख भारत व्रत, पर्व व त्योहारों का देश है। यूं तो हम हर दिन को पावन मानते हैं। महापुरुषों के निधन के दिनों पर भी हम शोक व्यक्त करने के स्थान पर उसे पुण्यतिथि के रूप में मनाते हुए कुछ नव-संकल्पों के साथ उनके बताए …

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मंगल पाण्डेय के स्वाभिमान की चिंगारी क्राँति का दावानल बनी

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में 1857 की क्रान्ति को सब जानते हैं। यह एक ऐसा सशस्त्र संघर्ष था जो पूरे देश में एक साथ हुआ। इसमें सैनिकों और स्वाभिमान सम्पन्न रियासतों ने हिस्सा लिया। असंख्य प्राणों की आहूतियाँ हुईं थी। इस संघर्ष का सूत्रपात करने वाले स्वाभिमानी सिपाही मंगल पाण्डेय थे। …

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