एक राष्ट्र के रूप में भारत ने आज तक की अपनी निंरतर ऐतिहासिक यात्रा में अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। इतिहास बताता है कि देश के सांस्कृतिक-आध्यात्मिक आधार के कारण किसी एक आध्यात्मिक विभूति की उपस्थिति ने समाज को पतन से उबारा है। तत्कालीन समाज में व्याप्त अज्ञानता, रूढ़ि और कर्मकांड …
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छत्तीसगढ़ का सीतानदी अभयारण्य
सीतानदी अभयारण्य की स्थापना 1974 में हुई थी एवं इसका क्षेत्रफ़ल 553 .36 वर्ग किमी है। यहाँ की विशेषताओं में 1600 मिलीमीटर वार्षिक वर्षा, तापमान न्यूनतम 8.5 से अधिकतम 44.5 डिग्री सेल्सियस पर रहता है। सीतानदी के आधार पर अभयारण्य को सीतानदी नाम दिया गया है। जो कि अभयारण्य में …
Read More »पंजाब की संत परम्परा के प्रथम संत : संत नामदेव
धर्मभुमि भारत में मानव जाति को मार्गदर्शन देने के लिए समय – समय पर संत धरती पर अवतरित होते रहते हैं जो अपने ज्ञान से लोगों का मार्गदर्शन करते हैं तथा उन्हें जीवन की सही राह बताते हैं। ये संत किसी जाति विशेष के न होकर पूरी मानव जाति के …
Read More »ईसाई षड़यंत्रों के लिए बड़ी चुनौती थे भगवान बिरसा मुंडा
जनजातीय गौरव दिवस विशेष आलेख वन में रहनेवाले जनजातियों (वनवासियों) को एकत्र कर अंग्रेजी शासकों के दमनकारी एवं कठोर कानून के खिलाफ व्यापक आंदोलन चलाने वाले बिरसा मुंडा आज अपने अनुयायियों के बीच ‘भगवान’ के रूप में पूजे जाते हैं और देशभर में उन्हें वनवासियों का प्रेरणाप्रद नेता माना जाता …
Read More »भगवा ध्वज लहराए : सप्ताह की कविता
भगवा ध्वज लहराए, भगवा ध्वज फहराए।सप्त सिंधु की लहर-लहर में, नव ऊर्जा भर जाए। घर-घर के आंगन में गूँजे,उत्सव की किलकारें।द्वार-द्वार में फूल बिछे हों,नाचें झूम बहारें। हर्षित मन का कोना कोना, मंद मंद मुस्काए।भगवा ध्वज लहराए, भगवा ध्वज फहराए। अंबर-धरती, दसों दिशा में,वेद मंत्र का गुंजन हो।अमर पुत्र उस …
Read More »छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश के स्मृतिशेष नवगीतकार : विशेष आलेख
नवगीत गीत-परंपरा के विकास का वर्तमान स्वरूप है जिसमें समकालीन परिप्रेक्ष्य का समग्र मूल्यांकन दिखाई देता है । दरअसल नवगीत गीत ही है , वह गीत के अन्तर्गत नवाचार है, कोई अलग विधा नहीं है। अक्सर प्रश्न उठता कि जब गीत की जानकारी के बिना नवगीत नहीं लिखा जा सकता …
Read More »अवघट म मिलय राम : मातर विशेष
प्रकाशपर्व दीपावली की प्रतीक्षा हर वर्ग करता है। विशेषकर गौचारण और गौ-पालन करने वाले यदुवंशियों को इस पर्व की विशेष प्रतीक्षा होती है। क्योंकि ये पर्व उनको गौधन के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर प्रदान करता है। दीपावली के दूसरे दिन अर्थात गोवर्धन पूजा के दिन से अहीर समुदाय …
Read More »लोकमंगल का पर्व सुरहुति तिहार
वर्ष भर की प्रतीक्षा उपरांत लो आ गई त्योहारों की रानी दीपावली। प्रकाश, पवित्रता, हर्षोल्लास और स्वच्छता का पर्व दीपावली जनमानस में उत्साह और ऊर्जा का संचार करता है। यह पर्व संपूर्ण भारत वर्ष के साथ ही विश्व के दूसरे भू भागों में भी मनाया जाता है जहां भारतवंशी रहते …
Read More »जानिए नरक चौदस का महत्व
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी कहा जाता है। नरक चतुर्दशी को ‘छोटी दीपावली’ भी कहते हैं। इसके अतिरिक्त इस चतुर्दशी को ‘नरक चौदस’, ‘रूप चौदस’, ‘रूप चतुर्दशी’, ‘नर्क चतुर्दशी’ या ‘नरका पूजा’ के नाम से भी जाना जाता है। नरक शब्द का अभिप्राय मलिनता से …
Read More »फणिनागवंशियों के नगर पचराही का पुरातात्विक वैभव
पचराही, छत्तीसगढ के कबीरधाम जिला मुख्यलय से लगभग 45 कि॰ मी॰ दूर हांप नदी के किनारे मैकल पर्वत श्रृंखला की तलहटी में बसा एक छोटा सा गांव है। प्राचीन नाम पंचराहों का अपभंश पचराही से समझा जा सकता है। क्योंकि यहां से पांच राहे निकलती है। जिनमे रतनपुर, मंडला, सहसपुर, …
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