भारतीय जीवन और संस्कृति में जो सर्वाधिक आभामय और विविध रंगी हैं, वह ‘लोक’ ही है | लोक केवल गाँव में ही नहीं बसता, बल्कि शहरों में भी बसता है | यह वह लोक है जिसे शहरी जीवन और सुविधाओं ने उसे उसकी जड़ से काटने की कोशिश की, पर …
Read More »छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति का दर्पण है सुआ गीत
छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति का हिस्सा है सुआ गीत। यह छत्तीसगढ़ प्रदेश की गोंड जाति की स्त्रियों का प्रमुख नृत्य-गीत है लेकिन अन्य जाति के महिलाएं भी इसमें सम्मिलित होकर नृत्य करती हैं। जिसे सामूहिक रुप से किया जाता है। यह मुख्यतः महिलाओं के मनोभावों सुख-दुख आदि की अभिव्यक्ति का …
Read More »महर महर करे भोजली के राउर : भोजली तिहार
श्रावण मास में जब प्रकृति अपने हरे परिधान में चारों ओर हरियाली बिखेरने लगती है तब कृषक अपने खेतों में बीज बोने के पश्चात् गांव के चौपाल में आल्हा के गीत गाने में मग्न हो जाते हैं। इस समय अनेक लोकपर्वो का आगमन होता है और लोग उसे खुशी खुशी …
Read More »खुशहाली एवं समृद्धि का प्रतीक हरेली एवं हरेला त्यौहार
भारत कृषि प्रधान देश होने के साथ – साथ उत्सव प्रधान भी है। यहाँ अधिकतर त्यौहार कृषि कार्य पर आधारित हैं, प्रत्येक त्यौहार किसी न किसी तरह कृषि कार्य से जुड़ा हुआ है। छत्तीसगढ़ में जब धान की बुआई सम्पन्न हो जाती है तब सावन माह की अमावश को कृषि …
Read More »उत्सवप्रिय छत्तीसगढ़ का हरेली तिहार
सावन का महीना अपनी हरितिमा और पावनता के कारण सबका मन मोह लेता है। सर्वत्र व्याप्त हरियाली और शिवमय वातावरण अत्यंत अलौकिक एवं दिव्य प्रतीत होता है। लोकजीवन भी इससे अछूता नहीं रहता। छत्तीसगढ़ में चौमासा श्रमशील किसानों के लिए अत्यंत व्यस्तता का समय होता है। खेती किसानी का कार्य …
Read More »जनकपुरी से जुड़ा है हरेली का तिहार
सावन माह की अमावस्या को छत्तीसगढ़ में हरेली पर्व मनाया जाता है। इस पर्व के साथ जुड़ी हुई अनेक मान्यताएं लोक में प्रचलित हैं। एक मान्यतानुसार यह कृषि पर्व राजा जनक द्वारा हल चलाने के फलस्वरुप माँ सीता के प्रकट होने से जुड़ा हुआ है। ऋषि-मुनियों के रक्त से भरा …
Read More »रमणीय बुजबुजी एवं नथेला दाई
प्रकृति बड़ी उदार है। प्रकृति के सारे उपादान लोक हित के लिए हैं। नदी जल देती है। सूरज और चांँद प्रकाश देते हैं। पेड़ फूल, फल और जीवन वायु देते हैं। प्रकृति का कण-ंउचयकण लोक हितकारी है। इसलिए प्रकृति और पर्यावरण को सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है। परन्तु अपने कर्तव्यों …
Read More »लोक संस्कृति का जीवन सरिताएं
पर्यावरण दिवस विशेष आलेख भारतीय संस्कृति में नदियों का बड़ा सम्मान जनक स्थान है। नदियों को माँ कहकर इनकी पूजा की जाती है। ये हमारा पोषण अपने अमृत समान जल से करती हैं। अन्य सभ्यताओं में देखें तो उनमें नदियों का केवल लौकिक महत्व है। लेकिन भारत में लौकिक जीवन …
Read More »बारहमासी लोकगीत : छत्तीसगढ़
लोककला मन में उठने वाले भावों को सहज रुप में अभिव्यक्त करने का सशक्त माध्यम है। यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को स्वत: स्थानांतरित हो जाने वाली विधा है। लोक कला हमारी संस्कृति की पहचान होती है, हमारी खुशी को प्रकट करने का माध्यम होती है। लोककला का क्षेत्र …
Read More »गौवंश का गुरुकुल : दईहान
छत्तीसगढ़ में गौ-पालन की समृद्ध परंपरा रही है। पहले गांवों में प्राय: हर घर में गाय रखी जाती थी और घर में अनिवार्यतः कोठा(गौशाला)भी हुआ करती थी। अब घर से गौशाला गायब है और गौशाला के स्थान पर गाड़ी रखने का शेड बना मिलता है; जहां गाय की जगह मोटरसाइकिल …
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