Home / इतिहास / प्राचीन इतिहास (page 2)

प्राचीन इतिहास

छत्तीसगढ़ से प्राप्त मुद्राओं पर प्रतिबिंबित शैव धर्म

इतिहास साक्ष्य सापेक्ष होता है। इतिहासकार पुरावशेषों से ज्ञात तथ्यों के आधार पर ही इतिहास का निर्माण करता है। प्राचीन मुद्राओं का इतिहास लेखन में विशिष्ट स्थान है। प्राचीन भारतीय इतिहास के अनेक तथ्यों के विषय में मुद्राएं ही साधन के रूप में प्रस्तुत होते हैं, जिससे इतिहास के अज्ञात …

Read More »

डिडिनेश्वरी माई मल्हार : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष

छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे प्राचीनतम नगर मल्हार, जिला मुख्यालय बिलासपुर से दक्षिण-पश्चिम में बिलासपुर से शिवरीनारायण मार्ग पर बिलासपुर से 17 किलोमीटर दूर मस्तूरी है, वहाँ से 14 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में जोंधरा मार्ग पर मल्हार नामक नगर है। यह नगर पंचायत 21• 55′ उत्तरी अक्षांश और 82• 22′ …

Read More »

बौद्ध धर्म एवं उसका विकास : छत्तीसगढ़

(अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर) भारतीय संस्कृति में धर्म का स्थान उसी प्रकार सुनिश्चित किया जा सकता है, जिस प्रकार शरीर में प्राण। धर्म को प्राचीनकाल से ही एक पवित्र प्रेरक के रूप में आत्मसात् किया गया है। भारत की यह धरा अनेक धर्मों के उत्थान एवं पतन की साक्षी …

Read More »

बस्तर की प्राचीन सामाजिक परम्परा : पारद

बस्तर की हल्बी बोली का शब्द है “पारद”। इसका शाब्दिक अर्थ  होता है। गोण्डी बोली में इसे “वेट्टा” कहते है।  को हिन्दी, हल्बी, गोण्डी में खेल कहकर प्रयुक्त किया जाता है। इसे हिन्दी में खेलना, हल्बी में पारद खेलतो तथा गोण्डी में “कोटुम वली दायना” कहते है। जिसका अर्थ पारद …

Read More »

छत्तीसगढ़ भी आए थे भगवान बुद्ध

भारत के प्राचीन इतिहास में कोसल और दक्षिण कोसल के नाम से प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ प्रदेश अनेक महान संतों और महान विभूतियों की जन्मस्थली, कर्म भूमि और तपोभूमि के रूप में भी पहचाना जाता है। कई महान विभूतियों ने यहाँ जन्म तो नहीं लिया, लेकिन अपनी चरण धूलि से और अपने महान …

Read More »

प्राचीन दक्षिण कोसल के शिल्पकार : विश्वकर्मा जयंती विशेष

विश्वकर्मा जयंती, माघ सुदी त्रयोदशी विशेष आलेख भारत में तीर्थाटन की परम्परा सहस्त्राब्दियों से रही है। परन्तु समय के साथ लोगों की रुचि एवं विचारधारा में परिवर्तन हो रहा है। काम से ऊबने पर मन मस्तिष्क को तरोताजा करने के लिए लोग प्राचीन पुरातात्विक एवं प्राकृतिक स्थलों के सपरिवार दर्शन …

Read More »

सुअरलोट के शैलचित्र : क्या सीता हरण यहीं हुआ था?

छत्तीसगढ़ राज्य अपनी पुरातात्विक सम्पदाओं के लिए गर्व कर सकता है। छत्तीसगढ़ राज्य में ऐसा कोई भी स्थल नहीं है, जहाँ पुरासम्पदा न हो। जैसे-जैसे इनकी खोज आगे बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे ही नये-नये तथ्य प्रकाश में आ रहे हैं। यहाँ सभ्यता के विकास से पूर्व की भी गाथाएँ …

Read More »

जानिए प्राचीन काल से लेकर अद्यतन छत्तीसगढ़ की 6 राजधानियाँ

छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस है, यह राज्य पहले मध्य प्रदेश का हिस्सा था।, राज्य एवं राष्ट्र सीमाओं से जाने जाते हैं, प्रत्येक राष्ट्र एवं राज्य की सीमाएं होती हैं और एक उनकी एक राजधानी होती है। समय के साथ राज्य की सीमाओं एवं राजधानियों परिवर्तन होता है। नये राज्य, नये …

Read More »

बारसूर का भुला दिया गया वैभव : पेदाम्मागुड़ी

दक्षिण बस्तर (दंतेवाड़ा जिला) के बारसूर को बिखरी हुई विरासतों का नगर कहना ही उचित होगा। एक दौर में एक सौ सैंतालिस तालाब और इतने ही मंदिरों वाला नगर बारसूर आज बस्तर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। कोई इस नगरी को दैत्य वाणासुर की नगरी कहता है …

Read More »

प्राचीन शिल्प एवं काव्य में सोलह शृंगार

दक्षिण कोसल के प्राचीन मंदिरों में अलंकृत अप्सराओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं, विभिन्न कालखंड के इन शिल्पों से हमें तत्कालीन सौंदर्य प्रसाधनों की जानकारी मिलती है। आभूषणों के अलंकरण के साथ वस्त्रालंकरण एवं केशगुंथन की विभिन्नता दिखाई देती है। प्राचीन से अद्यतन सौंदर्य अभिवृद्धि के उपायों पर दृष्टिपात करते हैं। …

Read More »