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पुरातत्व

सरोवरों-तालाबों की प्राचीन संस्कृति एवं समृद्ध परम्परा : छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में तालाबों के साथ अनेक किंवदंतियां जुड़ी हुई है और इनके नामकरण में धार्मिक, ऐतिहासिक तथा सामाजिक बोध होते हैं। प्रदेश की जीवन दायिनी सरोवर लोक कथाओं तथा लोक मंगल से जुड़े हुए हैं। यहा तालाबों की बहुलता के पृष्ठभूमि में प्राकृतिक भू-संरचना, उष्ण-कटिबंधीय जलवायु नगर और ग्रामों का …

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अप्प दीपो भव : बुद्ध पूर्णिमा

धार्मिक ग्रंथों के आधार पर भगवान विष्णु के नौवें अवतार बुद्ध का जन्म वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का यह प्रमुख पर्व है। बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परंपरा से निकला धर्म और दर्शन है, इसके संस्थापक शाक्य मुनि महात्मा गौतम …

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संग्रहालय दिवस एवं महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय रायपुर

भविष्य के लिए मानव बहुत कुछ सहेजने के साथ अतीत को भी सहेजता है जिससे आने वाली पीढ़ियों को ज्ञात हो सके कि उनके पूर्वजों का अतीत कैसा था? यही सहेजा गया अतीत इतिहास कहलाता है। बीत गया सो भूत हो गया पर भूत की उपस्थिति धरा पर है। सहेजे …

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छत्तीसगढ़ के इतिहास में नई कड़ियाँ जोड़ता डमरुगढ़

डमरु उत्खनन से जुड़ती है इतिहास की विलुप्त कड़ियाँ छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पश्चात राज्य सरकार ने प्रदेश के पुरातात्विक स्थलों के उत्खनन एवं संरक्षण पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया। इसके फ़लस्वरुप सिरपुर, मदकूद्वीप, पचराही में उत्खनन कार्य हुआ तथा तरीघाट, छीता बाड़ी राजिम तथा डमरु में उत्खनन कार्य हुआ। …

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सकल सृष्टि की जनक माँ : मातृ दिवस विशेष

माँ एक ऐसा शब्द है जिसे सुनकर मन आनन्द से भर कर हिलोर लेने लगता है। माता, जननी, मम्मी, आई, अम्माँ इत्यादि बहुत से नामों से माँ को पुकारते हैं भाषा चाहे कोई भी हो पर माँ शब्द के उच्चारण मात्र से उसके आँचल की शीतल छाया एवं प्यार भरी …

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राजिम त्रिवेणी स्थित कुलेश्वर मंदिर एवं संरक्षण प्रक्रिया

राजिम त्रिवेणी संगम स्थित यह मंदिर राज्य संरक्षित स्मारक है। तथापि धार्मिक स्थल होने के कारण यह मंदिर पूजित है। इस मंदिर की व्यवस्था, पूजा तथा सामान्य देखभाल स्थानीय ट्रस्ट के अधिन है। यहॉं पर नियमित रूप से दर्शनार्थी आते रहते हैं। शिवरात्रि के पर्व पर राजिम में विशाल मेला …

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छत्तीसगढ़ की स्थापत्य कला में हनुमान

हमारे देश में मूर्ति पूजा के रूप में महावीर हनुमान की पूजा अत्यधिक होती है क्योंकि प्रत्येक शहर, कस्बों तथा गांवों में भी हनुमान की पूजा का प्रचलन आज भी देखने को मिलता है। हनुमान त्रेतायुग में भगवान राम के परम भक्त तथा महाभारत के युद्ध में अर्जुन के रथ …

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काकतीय वंश की कुलदेवी मां दंतेश्वरी

बस्तर का दंतेवाड़ा जहां विराजमान है काकतीय राजवंश की कुलदेवी मां दंतेश्वरी। डकनी, शंखनी और धनकिनी नदी संगम तट पर माता का मंदिर अपनी पारंपरिक शैली में बना है वनवासियों की आराध्या दंतेश्वरी माई के दरबार से बस्तर के हर तीज-त्यौहार और उत्सव प्रारंभ होते हैं। अपनी समृद्ध वास्तु कला, …

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जहाँ विराजी है मलयारिन माई : नवरात्रि विशेष

रायपुर से जगदलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 30 पर विकास खंड मुख्यालय फरसगांव स्थित है। यहां से लगभग 16 कि. मी. दूर पश्चिम दिशा में पहाड़ियों से घिरा बड़ेडोंगर नामक गांव है, जहां पहले बस्तर की राजधानी हुआ करती थी। ग्राम बड़ेडोंगर के भैंसा दोंद डोंगरी ( महिषा द्वंद्व ) नामक …

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कलचुरी शासकों की कुलदेवी महामाया माई रायपुर : नवरात्रि विशेष

भारत देश के हृदय स्‍थल में स्थित प्राचीन दक्षिण कोसल क्षेत्र जिसे अब छत्‍तीसगढ के नाम से जाना जाता है, इस छत्‍तीसगढ राज्‍य के हृदय स्‍थल में बसे तथा राज्‍य की राजधानी होने का गौरव प्राप्‍त रायपुर शहर वर्तमान ही नहीं बल्कि प्राचीन समय से ही प्राप्त है । लोकमत …

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