रघुकुल गौरव, अवध सिया के,
दशरथ कोशला राम लिखूं।
या रावण हंता, दुष्ट दलंता,
लंका विजई सम्मान लिखूं।
है अनुज दुलारे भरत भाल,
जिन पर मैं अपना स्वास लिखू।
है अनुज दुलारे लखन लाल,
जिन पर मैं अपना विश्वास लिखूं।
ये सम्मानित राघव रघु कुल,
ना काम क्रोध मद लोभ लिखूं।
केवट उर के प्रिय राजन तुम,
सबरी के सब्र का ज्योत लिखूं।
केवट का सम्मान राम है,
श्रवना का अभिमान लिखूं।
गिद्ध, भूसुंडी, भील, अहिल्या,
नर नारी का सम्मान लिखूं।
हे राम अतुल बल धाम हो तुम,
तुम पर कैसा उपमान लिखूं।
तुम सा ना कोई जग में दूजा,
बस तुमसा, तुम, बस “राम” लिखूं।
सप्ताह के कवि