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Tag Archives: राम काव्य

बस राम लिखूं

रघुकुल गौरव, अवध सिया के, दशरथ कोशला राम लिखूं। या रावण हंता, दुष्ट दलंता, लंका विजई सम्मान लिखूं। है अनुज दुलारे भरत भाल, जिन पर मैं अपना स्वास लिखू।है अनुज दुलारे लखन लाल, जिन पर मैं अपना विश्वास लिखूं। ये सम्मानित राघव रघु कुल, ना काम क्रोध मद लोभ लिखूं।केवट …

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