Home / साहित्य / आधुनिक साहित्य / जब तक समर शेष है साथी मत लेना विश्राम

जब तक समर शेष है साथी मत लेना विश्राम

उठो पुनः हुंकार भरो करना है प्रभु का काम,
जब तक समर शेष है साथी मत लेना विश्राम॥

सदियों के संघर्षों बलिदानों से तृषा छँटी है,
अरुणाई की आहट है पौ देखो वहाँ फ़टी है।
भारत माता पुनः हमारा करती है आह्वान।
जब तक समर शेष है साथी मत लेना विश्राम॥

राजा दाहिर, वीर शिवाजी राणा को तर्पण है,
भारत माता की रक्षा में शीश सदा अर्पण है।
स्वाभिमान की रक्षा में हँस कर आ जाना काम,
जब तक समर शेष है साथी मत लेना विश्राम॥

पुरखों ने बलिदान दिया और तप कर पुण्य कमाया,
सदियों का संघर्ष कि जिसने मन्दिर भव्य बनाया।
धर्म ध्वजा ले बढ़ते जाना लेना नहीं विराम।
जब तक समर शेष है साथी मत लेना विश्राम।।

भान करो अर्जुन हो फिर अपनी गांडीव उठाओ,
शेष तिमिर को चीर राष्ट्र को हिन्दू राष्ट्र बनाओ।
कानों में घण्टों की ध्वनि हो मुँह में राम का नाम,
जब तक समर शेष है साथी मत लेना विश्राम।।

उठो पुनः हुंकार भरो करना है प्रभु का काम।
जब तक समर शेष है साथी मत लेना विश्राम॥

सप्ताह की कविता

पद्म सिह श्रीनेत
नोयडा, उत्तर प्रदेश

About nohukum123

Check Also

जलियां वाला बाग नरसंहार का लंदन में बदला लेने वाले वीर उधम सिंह

31 जुलाई 1940 : क्रान्तिकारी ऊधमसिंह का बलिदान दिवस कुछ क्रांतिकारी ऐसे हुए हैं जिन्होंने …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *