उठो पुनः हुंकार भरो करना है प्रभु का काम, जब तक समर शेष है साथी मत लेना विश्राम॥ सदियों के संघर्षों बलिदानों से तृषा छँटी है, अरुणाई की आहट है पौ देखो वहाँ फ़टी है। भारत माता पुनः हमारा करती है आह्वान। जब तक समर शेष है साथी मत लेना …
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